पॉकेट बुक्स में ट्रेडमार्क लेखकों की शुरुआत - योगेश मित्तल

पॉकेट बुक्स में ट्रेडमार्क लेखकों की शुरुआत – योगेश मित्तल

पॉकेट बुक्स में जितने लेखकों ने अपने नाम से लिखा है उससे अधिक लेखकों ने प्रकाशकों के लिए भूत नाम या ट्रेडनाम से लिखा है। आखिर ये चलन कब शुरु हुआ? इसी पर रोशनी डाल रहे हैं श्री योगेश मित्तल जिन्होंने कई प्रकाशकों के लिए ट्रेड नाम से सेकड़ों उपन्यास लिखे हैं। आप भी पढ़ें:

पॉकेट बुक्स में ट्रेडमार्क लेखकों की शुरुआत – योगेश मित्तल Read More
मेरी पहली रचना - प्रेमचंद

मेरी पहली रचना – प्रेमचंद

कथासम्राट प्रेमचंद की पहली रचना कौन सी थी? अपने बचपन में उन्होंने क्या क्या पढ़ा था? यह सब वह इस लेख में बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

मेरी पहली रचना – प्रेमचंद Read More
असली केशव पंडित और उसका बेटा - योगेश मित्तल

असली केशव पंडित और उसका बेटा – योगेश मित्तल

केशव पंडित लेखक वेद प्रकाश शर्मा के सबसे मकबूल किरदारों में से एक था। इसकी प्रसिद्धि का अंदाजा ही इस बात से लगाया जा सकता है कि आगे जाकर केशव पंडित की प्रसिद्ध को भुनाने के लिए प्रकाशकों ने इसका ट्रेडनाम के तरह प्रयोग तो किया ही साथ ही केशव पंडित के परिवार वालों के नाम पर भी उपन्यास प्रकाशित किए। पर असली केशव पंडित कौन था? इस पर लेखक योगेश मित्तल यह लेख प्रकाश डालता है। आप भी पढ़ें।

असली केशव पंडित और उसका बेटा – योगेश मित्तल Read More
लेख: सम्पादकों के लिए स्कूल - महावीर प्रसाद द्विवेदी

लेख: सम्पादकों के लिए स्कूल – महावीर प्रसाद द्विवेदी

‘सम्पादकों के लिए स्कूल’ महावीर प्रसाद द्विवेदी का लेख है जो 1904 में तब प्रकाशित हुआ था जब अमेरिका में सम्पादकों के लिए पहला स्कूल खुलने की खबर आयी थी। इसमें वह बता रहे हैं इस स्कूल में क्या क्या होने वाला था और एक कुशल सम्पादक को क्या क्या पता होना चाहिए। आप भी पढ़ें:

लेख: सम्पादकों के लिए स्कूल – महावीर प्रसाद द्विवेदी Read More
लंदननामा: अंग्रेज़ी ज़ुबान में हिंदुस्तानी लफ्ज़ – हॉब्सन-जॉब्सन

लंदननामा: अंग्रेज़ी ज़ुबान में हिंदुस्तानी लफ्ज़ – हॉब्सन-जॉब्सन

अंग्रेजी भाषा ने कई हिंदुस्तानी शब्दों को आत्मसात किया है। ये शब्द अब अंग्रेजी में भी धड़ल्ले से प्रयोग किये जाते हैं। हालाँकि इनके उच्चारण में हुए बदलावों के कारण कई बार इनका रूप भी बदल भी जाता है। इन्हीं शब्दों से जुड़ी रोचक जानकारी संदीप नैयर इस लेख में दे रहे हैं। आप भी पढ़ें:

लंदननामा: अंग्रेज़ी ज़ुबान में हिंदुस्तानी लफ्ज़ – हॉब्सन-जॉब्सन Read More
कथा संरचना: पहली पंक्ति का महत्व - प्रवीण कुमार झा

कथा संरचना: पहली पंक्ति का महत्व – प्रवीण कुमार झा

गल्प लेखन में प्रथम पंक्ति का अपना अलग महत्व होता है। अलग -अलग लेखक किस तरह से पहली पंक्ति का प्रयोग करके उससे विभिन्न भाव जागृत करते हैं यह प्रवीण कुमार झा अपने इस लेख में बता रहे हैं। लेखन से जुड़े और लेखन की इच्छा रखने वालों को इस लेख से काफी कुछ सीखने को मिलेगी।

कथा संरचना: पहली पंक्ति का महत्व – प्रवीण कुमार झा Read More
लंदननामा: इंग्लिश ज़ुबान पर हिन्दुस्तानी ज़ायका - संदीप नैयर

लंदननामा: इंग्लिश ज़ुबान पर हिन्दुस्तानी ज़ायका – संदीप नैयर

लेखक संदीप नैयर पिछले कई वर्षों से ब्रिटेन में रह रहे हैं। लंदननामा के अंतर्गत वह ब्रिटेन और यूरोप की संस्कृति को साझा करते है। भारतीय मसालों ने किस तरह ब्रिटेन के भोजन को प्रभावित किया है यह वह इस लेख में बता रहे हैं। आप भी पढ़िए।

लंदननामा: इंग्लिश ज़ुबान पर हिन्दुस्तानी ज़ायका – संदीप नैयर Read More
राइटर्स ब्लॉक कैसे तोड़ें? - प्रवीण कुमार झा | लेख | साहिंद

राइटर्स ब्लॉक कैसे तोड़ें? – प्रवीण कुमार झा

एक लेखक कभी नहीं चाहेगा कि उसकी चलती कलम में विराम लगे लेकिन फिर भी लेखक के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब उसे लगने लगता है कि उसकी कलम ने उसका साथ छोड़ दिया है। अंग्रेजी में इस स्थिति को राइटर्स ब्लॉक कहा जाता है जब लेखक को सूझता नहीं है कि वो जो लिख रहा था उसे पूरा कैसे करे या कुछ नए लिखने की शुरुआत कैसे करे?

राइटर्स ब्लॉक कैसे तोड़ें? – प्रवीण कुमार झा Read More
मैं ऐसा ही हूँ.... - संदीप नैयर | लेख

मैं ऐसा ही हूँ – संदीप नैयर

यूँ तो लगभग सभी का बचपन अलमस्ती और बेफिक्री में बीतता है, मगर मेरा कुछ अधिक ही था। मेरी बचपन और लड़कपन की बेपरवाही लापरवाही की सीमा तक थी। अधिकांश समय मैं दिवास्वप्नों में डूबा रहता। वे दिवास्वप्न आत्ममुग्धता में सने होते।

मैं ऐसा ही हूँ – संदीप नैयर Read More
कथेतर विधा पर दो टिप्पणियाँ - प्रवीण कुमार झा

कथेतर विधा पर दो टिप्पणियाँ – प्रवीण कुमार झा

लेखक प्रवीण कुमार झा ने साहिंद वेबसाइट में कथेतर विधा के ऊपर दो टिप्पणियाँ प्रकाशित की थीं। यह टिप्पणियाँ चूँकि एक दूसरे से सम्बंधित हैं तो हमने सोचा एक बुक जर्नल पर प्रकाशित करते समय इन्हें एक साथ ही रखा जाए। आप भी पढ़िए:

कथेतर विधा पर दो टिप्पणियाँ – प्रवीण कुमार झा Read More
मानवीय जीवटता का समय के प्रहार के विरुद्ध संघर्ष – फ्लेमेंको और बुलफाइट

लंदननामा: मानवीय जीवटता का समय के प्रहार के विरुद्ध संघर्ष – फ्लेमेंको और बुलफाइट

फ्लेमेंको और बुलफाइट स्पेन की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन दोनों अंगों विशेषकर फ्लेमेंको और उसके इतिहास के ऊपर लेखक संदीप नैयर इस लेख में बता रहे हैं। उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आएगा।

लंदननामा: मानवीय जीवटता का समय के प्रहार के विरुद्ध संघर्ष – फ्लेमेंको और बुलफाइट Read More
पुस्तक अंश: कोरोया फूल: जन, जंगल, जीवन - अथनास किसपोट्टा

पुस्तक अंश: कोरोया फूल: जन, जंगल, जीवन – अथनास किसपोट्टा

अथनास किसपोट्टा की पुस्तक कोरोया फूल: जन ,जंगल ,जीवन छोटा नागपुर इलाके के आदिवासियों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का दस्तावेज है। अपने इन संस्मरणों और लेखों से लेखक ने वहाँ की संस्कृति और उसमें होते बदलावों को दर्शाने का प्रयास किया है। एक बुक जर्नल पर पढ़िए पुस्तक कोरोया फूल में मौजूद एक लेख ‘गोंगो’।

पुस्तक अंश: कोरोया फूल: जन, जंगल, जीवन – अथनास किसपोट्टा Read More