रोशनी का प्रेत – एस सी बेदी

किताब 2 नवम्बर 2018 को पढ़ी गई
संस्करण विवरण:
फॉरमेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 48
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स
रोशनी का प्रेत - एस सी बेदी
रोशनी का प्रेत – एस सी बेदी
पहला वाक्य:
इकबाल ने कार डीलक्स होटल के सामने रोक दी।
इकबाल और नफीस जब होटल डीलक्स पहुँचे थे तो उनके मन में केवल नृत्य देखने की लालसा थी। परन्तु उधर नृत्य के साथ एक और हैरतअंगेज परफॉरमेंस होने वाला था। प्रोफेसर हकोबा नाम का जादूगर  प्रेतों को बुलाकर एक गगन नृत्य पेश करने वाला था।
प्रोफेसर हकोबा का प्रदर्शन हुआ और असल में ही फिर एक प्रेत भी उधर प्रकट हुआ। इस प्रेत के चारो और से रोशनी फूट रही थी।यह रोशनी का प्रेत ऐसा था जिसके आने से दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए थे। और फिर उधर दर्शकों के बीच अफरा तफरी तब मची जब उस प्रेत ने दर्शकों पर हमला कर दिया। उसने होटल के प्रबंधक को उठाकर फेंक दिया और एक लड़की का अपहरण करके भाग गया।
इसके बाद में शहर में रोशनी के प्रेत ने ऐसा कोहराम मचाया कि शहर में दहश्त का माहौल बन गया। तीन क़त्ल उस प्रेत ने कर दिए थे और उसका इरादा न जाने कितने और कत्ल करने का था।
आखिर क्या थी इस रोशनी के प्रेत की असलियत? क्या उसके दहशत से राजन-इकबाल शहर को निजाद दिला पाए?
ऐसे प्रश्नों का उत्तर आपको इस उपन्यास को पढ़कर मिलेंगे।

मुख्य किरदार:
इक़बाल – बाल सीक्रेट एजेंट 
नफीस – एक ठेकेदार और इकबाल का दोस्त 
प्रोफेसर हकोबा – एक आध्यात्मिक विशेषज्ञ और जादूगर  जो आत्माओं का नृत्य दिखाने का दावा करता था 
अशोक – होटल का मैनेजर 
कप्तान अफजल – होटल का सेक्रेटरी 
राजन – बाल सीक्रेट एजेंट 
इंस्पेक्टर बलबीर – चन्दननगर का पुलिस इंस्पेक्टर
आशा चावला – एक लड़की जिसका अपहरण रोशनी के प्रेत ने कर दिया था
सपना चावला – आशा की चचेरी बहन 
मैडम मारिया – एक विदेशी पामिस्ट 
मदन – अशोक का दोस्त 
विलियम – मदन का पार्टनर 
मारबल – एक विदेशी अपराधी 
जब से मैंने एस सी बेदी जी का कलेक्शन राजा पॉकेट बुक्स से खरीदा है तो हर एक महीने कोई न कोई बाल उपन्यास उठाकर पढ़ लेता हूँ। इस बार भी पहले खौफनाक जाल उठाया था लेकिन एक दो पृष्ठ पढ़ने के पश्चात ही पता चल गया था कि इसका दूसरा भाग है जो कि मेरे पास नहीं है। उस कलेक्शन में यही बात अखरती है कि उसमें कुछ ऐसे उपन्यास हैं जिनके दूसरे भाग तो हैं लेकिन वो कलेक्शन में मौजूद नहीं है। खैर, अब मैंने खौफनाक जाल को उठाकर किनारे रखा और उसके बदले रोशनी का प्रेत उठाया। इस बार यह सुनिश्चित कर लिया था कि यह एक एकल बाल-उपन्यास है
उपन्यास की शुरुआत इक़बाल और नफीस की एंट्री से होती है। दोनों के बीच के संवाद मजाकिया है और मुझे यह पंसद आये।  उदाहरण के लिए:
“डांस तो ठीक है इकबाल भाई।” नफीस बोला-“लेकिन यह साली प्रेतलीला बीच में कहाँ से घुस आई।”
“चुप रहिये।”
“काये को चुप रहें। रूपये खर्च किये हैं।”
“कान पकड़ कर बाहर निकाल दिया जायेगा।”
“काये तो कान पकड़ेंगे, आपून हाथ तोड़ देंगे।”
“यहाँ शरीफ लोग बैठे हैं।”
“आपून भी शरीफ है बल्कि डबल शरीफ।”


शुरुआत के कुछ पन्नो के बाद ही रोशनी का प्रेत कथानक में आ जाता है तो उसके पश्चात पाठक  के अन्दर यह उत्सुकता जाग जाती है कि आखिरकार मामला क्या है? राजन इकबाल इस केस में शामिल हो जाते हैं और उनके चलते केस की परते उतरती जाती हैं।
कहानी में ज्यादा घुमाव नहीं है। ज्यादातर क्लूस या तो राजन को पता रहते हैं या उन्हें चलते चलते संयोगवश दिख जाते हैं। बेदी जी के उपन्यास की सबसे बड़ी कमजोरी मुझे यही लगती है। इस उपन्यास में एक प्रसंग है जिसमें राजन एक साधू के पास जाता है लेकिन उस साधू के विषय में उसे पता कैसे चलता है यह हमे नहीं दिखाया गया है। बस उसे पता रहता है। फिर कई बार राजन इकबाल को लोग गाड़ी में चलते हुए दिखाई दे जाते हैं जिनका पीछा करने के पश्चात वो लोग कहानी में आगे बढ़ते हैं। हो सकता बाल उपन्यास को सरल रखने के लिए यह ट्रिक लगाई जाती हो लेकिन यह एक तरह से ज्यादातर उपन्यासों में दृष्टिगोचर होती है।
उपन्यास में राजन इकबाल के डायलॉग भी अच्छे हैं। दोनों के बीच मजाकिया सम्वाद रहता है। हमेशा की तरह राजन का किरदार संजीदा है और इकबाल ह्यूमर के लिए है। इकबाल की झख सुनने को मिल जाती है। सलमा और शोभा कथानक में नहीं थे तो उनकी कमी खली थी। बाकी के किरदार किताब के हिसाब से ठीक हैं। किताब में एक अपराधी मारबल का जिक्र है। उपन्यास पढ़ते समय लगता है कि मारबल और राजन इकबाल को जानते थे। मुझे इस विषय में पता नहीं है आपको पता हो तो बताइयेगा। 
अंत में तो केवल यही कहूँगा यह बाल उपन्यास एक बार पढ़ा जा सकता है। कहानी पठनीय है और 48 पृष्ठों में सिमटी है तो आसानी से एक आध घंटे में यह निपटाया जा सकता है।
अगर आपने इसे पढ़ा है तो आपको यह कैसी लगी? अपने विचारों से मुझे कमेन्ट के माध्यम से बताईयेगा।
मेरी रेटिंग: 2.5/5
एस सी बेदी के दूसरे उपन्यासों के विषय में आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
राजन इकबाल के दूसरे उपन्यासों के विषय में आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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