कई आनंद समेटे हुए है सुरेन्द्र मोहन पाठक की नवीनतम पुस्तक ‘ब्लाइन्ड डील’

 लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक हिन्दी अपराध साहित्य के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक हैं। उनका नवीन उपन्यास ‘ब्लाइंड डील’ हाल ही में किंडल पर ई बुक पर प्रकाशित हुआ है। उनके इस नव प्रकाशित उपन्यास पर लेखक अंकुर मिश्रा ने अपने विचार हमें लिखकर भेजे हैं। आप भी पढ़िए। 

ब्लाइंड डील - सुरेन्द्र मोहन पाठक | Review: Blind Deal - Surender Mohan Pathak

‘ब्लाइंड डील’ हिंदी उपन्यास जगत के पुरोधा सुरेंद्र मोहन पाठक की नवीनतम पुस्तक है।  इस पुस्तक में उनका एक उपन्यास ब्लाइन्ड डील और चार कहानियाँ संकलित की गई हैं।  साथ में इसमें एक वृहद लेखकीय भी है जो कि पुस्तक की रोचकता को बढ़ाता है। 

उपन्यास की बात करूँ तो उपन्यास का ताना बाना एक बूढ़े की अपनी सालों पहले मर चुकी प्रेमिका को हीरों का उपहार देने की ख्वाइश के इर्द गिर्द बुना गया है। ब्लाइंड डील क्या है? यही वो सवाल है जो इस उपन्यास की जीवंतता एवं नवीनता बरक़रार रखता है। उपन्यास की भाषा पाठक साहब की करामाती लेखनी का तड़का लिए हुए है, शैली पाठक को बांधे रखती है। रहस्य का पुट उपन्यास में अधिक नहीं है। पाठक साहब के नियमित पाठक आसानी से कातिल व गुम हीरों का पता उपन्यास के बीच में ही लगा लेंगे परंतु इसके बाद भी उपन्यास की रोचकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

पुस्तक में मौजूद कहानियों की बात करूँ तो यह कहानियाँ अपने मूल रूप में अप्रकाशित जरूर हैं लेकिन लेखकीय में लेखक यह बात साफ कर देते हैं  कि ये चारो ही कहानियाँ प्रथमतः पहेली के रूप में प्रकाशित हो चुकी हैं। सभी कहानियों में पाठक साहब स्वयं अपने मित्र इंस्पेक्टर अमीठिया के साथ अन्वेषक के रूप में मौजूद हैं। यह कहानियाँ ‘ठाकुर हरनाम सिंह का कत्ल’, ‘पब्लिसिटी स्टंट’, ‘विष के व्यापारी’ और ‘ओपन एंड शट केस’ हैं। चारों कहानियाँ औसत हैं। अगर पसंद की बात की जाये तो इन चारों कहानियों में से मेरी नजर में ‘पब्लिसिटी स्टंट’ सर्वोत्तम है और ‘ओपन एंड शट केस’ सबसे कमजोर है। तीसरी कहानी ‘विष के व्यापारी’ चारो में सबसे लंबी कहानी है व पाठक साहब (नायक) के अतिरिक्त साहस की कथा है। 

पुस्तक में एक उपन्यास और चार कहानियों के अलावा एक लेखकीय भी है जो कि मेरे नजर में इस पुस्तक का सबसे खास नगीना है। यही कारण है कि पुस्तक में सबसे पहले होने पर भी मैं इसका जिक्र आखिर में कर रहा हूँ।  लेखकीय में पाठक साहब ने देश के प्रकाशन व्यवसाय मुख्यतः जासूसी कहानियों के प्रकाशन के इतिहास पर प्रकाश डाला। इसके बाद उन्होंने वर्तमान पीढ़ी की पठनीय आदतों के बारे में बताते हुए विस्तार से लिखा है, किंडल पर प्रकाशन की अपनी मजबूरी भी इसमें जाहिर है। लेखकीय का अंतिम नग महंगी कारों के बारे में विस्तृत लेख है। यही कहूँगा कि यह उम्दा है, नहीं उम्दा से ऊपर है। 

अंत में यही कहूँगा कि कुल मिलाकर ‘ब्लाइंड डील’ स्वयं में कई आनंद समेटे हुए है। पाठक साहब के शैदायियों हेतु यह किसी अमूल्य उपहार से कम नहीं है। अवश्य पढ़ें।

पुस्तक विवरण:

पुस्तक: ब्लाइन्ड डील | लेखक: सुरेन्द्र मोहन पाठक | पुस्तक लिंक: अमेज़न

पुस्तक परिचय

जेवरात का लालच हर नौजवान लड़की को होता है, लिज़ा को भी था। वो हमेशा सपने देखती थी कि उसके सपनों का शहजादा कोई ऐसा शख्स होगा जो उसके हर ख्वाब को हकीकत में बदलने की क्षमता रखता होगा। इसी ख्वाहिश के जेरेसाया जेवरात से आगे बढ़ कर वो अब हीरों के सपने देखने लगी थी। उसके सपनों के शहजादे को उसका सपना साकार करने लायक बन पाने में चालीस साल लगे।

रोमांचक उपन्यास। अनोखी लव स्टोरी।

साथ में चार अप्रकाशित कहानियाँ और एक विस्तृत लेखकीय!

टिप्पणीकार परिचय:

अंकुर मिश्रा | Ankur Mishra

अंकुर मिश्रा कानपुर उत्तर प्रदेश के हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के पश्चात बैंकिंग क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने का विचार किया। अब वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में वरिष्ठ प्रबन्धक के पद पर कार्यरत हैं। 

उनकी कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उनका ताजातरीन उपन्यास गंगापुत्र भीष्म है जिसे प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इससे पूर्व उनके दो कहानी संग्रह द ज़िंदगी और कॉमरेड प्रकाशित हो चुके हैं। 

लेखक से आप निम्न माध्यमों के द्वारा सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:

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