संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | प्रकाशक: फ्लाईड्रीम्स | पृष्ठ संख्या: 202
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
छोटे न बड़े शहर में रहता था त्रिपाठी और सिंह परिवार। जहाँ त्रिपाठी परिवार नीचा मकान में रहता था वहीं सिंह परिवार दो मंजिला ऊँचा मकान में रहता था।
इन्हीं घरों में रहते थे दो युवा। गोपाल त्रिपाठी का बेटा नटराज त्रिपाठी और मान सिंह की बेटी सरगम सिंह। दोनों ही अपनी अपनी कलाओं में माहिर थे। जहाँ नटराज गाता अच्छा था वहीं सरगम नृत्य में पारंगत थी।
और फिर इन दोस्तों के जीवन में प्रेम आया और सब कुछ बदल गया। शहर के लोगों को इस कारण कुछ ऐसा देखने को मिला जो चमत्कार ही कहलायागा जायेगा।
आखिर इनके जीवन में प्रेम कैसे आया?
इनको किससे हुआ था प्रेम?
इनके जीवन में आगे क्या हुआ?
शहर में क्या चमत्कार घटित हुआ?
मुख्य किरदार
नटराज त्रिपाठी – एक युवा जो गाता अच्छा था
सरगम सिंह – एक युवती जो नृत्य अच्छा करती थी
गोपाल त्रिपाठी – नटराज के पिता
शांति देवी – नटराज की माँ
पंखुड़ी – नटराज की बहन
मान सिंह – सरगम के पिता
रमा सिंह – सरगम की माता
शक्ति सिंह राठौड़ उर्फ बेताल – जिला यूथ कॉंग्रेस का अध्यक्ष
संकट सिंह – शक्ति के पिता
प्रवीण सिंह – नटराज के कॉलेज का डायरेक्टर
मैत्रेय – एक संगीताचार्य
सरगम सिन्हा – एक युवती
विक्रम सिन्हा – सरगम सिन्हा के पिता
ईशा सिन्हा – सरगम की माता
रॉकी, टाइगर – सरगम के कुत्ते
दुखीराम – सरगम का गार्ड
लव पालीवाल – मुंबई में प्रवीण सिंह का जानकार जीसे नटराज को ऑडिशन करवाना था
भगवान सिंह – मान सिंह का बड़ा भाई
माया – मान सिंह की बहन
दिव्यांग – नटराज के मामा का लड़का
चंदु शिंदे, फरहत खान, राजा भौंसले – द स्टार सिंगर ऑफ हिंदुस्तान के जज
बन्नालाल – शक्ति सिंह का चेला
करणबीर चौधरी – बन्नालाल का चाचा
गिरिजादेवी – शक्ति की माँ
विचार
प्रेम दुनिया का सबसे पवित्र भावों में से एक है। प्रेम ही एक ऐसा भाव है जो शैतान को भी इंसान बनाने की कुव्वत रखता है। प्रेम को लेकर कई कहानियाँ लिखी गई हैं। प्रेम में करे गये त्याग को दर्शाती यह कहानियाँ आज भी प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन (Flydreams Publication) द्वारा प्रकाशित अभिषेक जोशी (Abhishek Joshi) का लिखा ‘आखिरी प्रेमगीत’ (Aakhiri Premgeet) भी प्रेम की कहानी है। यह कहानी है एक कलाकार की अपनी कला के प्रति प्रेम की, यह कहानी है दो दोस्तों की आपसी प्रेम की जिसके चलते वह एक दूसरे के सुख-दुख के साथी बने और यह कहानी है दो जवान दिलों के अपनी मोहब्बतों के प्रति प्रेम की और उसके लिए किये गये त्याग की। ‘आखिरी प्रेमगीत’ (Aakhiri Premgeet) जुलाई 2021 में मेरे संग्रह (जुलाई अगस्त 2021 में संग्रह में जुड़ी पुस्तकों के विषय में जानने के लिए इधर क्लिक करें) में जुड़ी थी। यहाँ ये बताना भी जरूरी है कि लेखक द्वारा यह पुस्तक मुझे उपहार स्वरूप दी गई थी।
अभिषेक जोशी (Abhishek Joshi) के उपन्यास ‘आखिरी प्रेमगीत’ (Aakhiri Premgeet) के केंद्र में हैं दो घर जो कि न बड़े न छोटे शहर में हैं। एक दूसरे के बगल में मौजूद इस घर में रहते हैं दो दोस्त नटराज और सरगम और यह कहानी इन्हीं के जीवन के चारों तरफ घूमती है। सरगम और नटराज दोनों बचपन के दोस्त हैं। दोनों ही कलाकार प्रवृत्ति के हैं और इसलिए संगीत महाविद्यालय में पढ़ते हैं। ‘आखिरी प्रेमगीत’ (Aakhiri Premgeet) की कहानी की शुरुआत इनके परिचय से होती है और फिर इनकी ज़िंदगी में घटित होने वाली घटनाओं के माध्यम से यह आगे बढ़ती है। पाठको को पता लगता है कि नटराज गायन कला के प्रति समर्पित है और सरगम नृत्य कला के प्रति। कथानक के आगे बढ़ने पर इन युवा दिलों को अलग अलग लोगों से मोहब्बत भी होती है। इस मोहब्बत में आते उतार चढ़ाव के साथ साथ इनके जीवन में आते उतार चढ़ाव से भी पाठक वाकिफ होते हैं। यह किरदार किस तरह से अपनी दिक्कतों का सामाने करते हैं यह भी पाठक देखते हैं। जीवन में प्रेम करना जितना आसान है उसे निभाना कितना मुश्किल है यह भी उपन्यास का अंत दर्शाता है। कई बार यह ऐसा त्याग प्रेम करने वालों से माँगता है जो दुनिया के लिए बहुत बड़ा हो लेकिन प्रेमी मुस्कराते हुए यह त्याग भी दे देते हैं। लेखक ने उपन्यास लिखते हुए यह कोशिश की है कि उपन्यास की पठनीयता में कहीं कमी न आये और वह इसमें सफल भी हुए हैं। यह उपन्यास मुख्य किरदारों के जीवन के सन 1991 से 2001 के मध्य तक के वक्फे को दर्शाता है और इस कारण कई चीजें लेखक काफी तेजी से लिखते चले जाते हैं। इस दौरान कई मोड़ इन किरदारों के जीवन में आते हैं और इनमें से कुछ मोड़ों में पाठक को लगता है कि शायद गति कम होती तो बेहतर होता। उदाहरण के लिए सिम्मी सिंह के स्टार बनने का वाला प्रसंग बुलेट ट्रेन सरीखी गति से भागता लगता है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगा था कि सिम्मी के उस कुछ माह के सफर पर एक अलग लघु-उपन्यास बन सकता है। वहीं चूँकि किरदार संगीत और नृत्य से जुड़े हुए हैं यह दोनों चीजें भी कथानक का महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं।
उपन्यास के शुरुआत में लेखक बताते हैं कि बचपन में तानसेन के द्वारा गीत गाकर दीपक जलाने की कहानी उन्होंने पढ़ी थी और फिर तानसेन और उनके गुरु हरीदास के विषय में उन्होंने पढ़ा जिसने उनके बाल मन में काफी प्रभाव छोड़ा। वह ऐसे ही किरदारों को लेकर एक कथानक रचना चाहते थे और इसी सोच के चलते उन्होंने इस उपन्यास को लिखा है। यह चीज उपन्यास में झलकती भी है। इस उपन्यास में आचार्य मैत्रेय हैं, अप्सरा है, कला को साधने के लिए तत्पर एक कलाकार है और कुछ तंत्र साधना है जो कि कथानक के अनुरूप ही जगह पाती है। यह एक रहस्यमय दुनिया है जिसकी झलक लेखक ने दिखायी है।
उन खोजों के दौरान ही मुझे तानसेन के जीवन की एक घटना पढ़ने को मिली, शायद आपने भी उसके बारे में पढ़ा या सुना हो। तानसेन अपने गायन से दीये जला सकते थे, असमय बारिश करवा सकते थे। उनके गुरु ‘हरिदास’ तो उनसे भी पहुँचे हुए थे। वे कुछ भी करने में सक्षम थे।तानसेन और हरिदास के जीवन की पढ़ी हुई बातें मेरे हृदय पर छप गयीं। मैंने उसी दिन सोच लिया कि तानसेन-हरीदास जैसे पात्रों को लेकर एक उपन्यास की रचना करूँगा। आज वो उपन्यास आपके हाथ में है। – उपन्यास में मौजूद लेखकीय से
उपन्यास के बाकी किरदार कथानक के अनुरूप हैं। इन किरदारों के माध्यम से लेखक कई सामाजिक मुद्दों पर भी बात करते हैं दिखते हैं। कैसे जमीन जायदाद के लिए भाई भाई का नहीं होता यह मानसिंह और भगवान सिंह के रिश्ते से देखा जा सकता है। कैसे माँ बाप बच्चों को अपनी आर्थिक मुश्किलातों से बचाते हैं यह मान सिंह और सरगम के रिश्ते से जाना जा सकता है। पर ऐसा करके कई बार माँ बाप अपने बच्चों को किस तरह की मुसीबत में डाल सकते हैं यह भी उपन्यास में देखा जा सकता है। मान सिंह अपनी दिक्कतें अगर अपनी बेटी से साझा करते तो शायद वह उनकी मदद करती है और उनका बोझ कम ही होता। राजनीति की उठा पटक और राजनीतिज्ञों के दोहरे चरित्र संकट सिंह के माध्यम से उजागर होते हैं। वही नटराज के अनुभवों के माध्यम से लेखक रीऐलिटी शो के माहौल को भी दिखाने में सफल होते हैं। कथानक में सरगम सिन्हा के कुत्ते रॉकी और टाइगर भी हैं। यह दोनों रोचक किरदार है। लेखक ने इनके मनोभावों को भी उपन्यास में दर्शाया है। ये आपस में बातचीत करते हुए दिखते हैं जो कि कई बार हास्य भी पैदा करती है।
उपन्यास के कमजोर पक्ष की बात करूँ तो इक्के दुक्के पक्ष ही मुझे ऐसे लगे जिन पर काम होना चाहिए था। उपन्यास में कुछ जगह प्रूफ की गलतियाँ हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है। इसके अलावा चूँकि उपन्यास में संगीत एक बड़ा पक्ष है तो मैं चाहता था कि इसके बारीक पहलुओं की जानकारी लेखक उपन्यास में रखते। नटराज और सरगम क्रमशः गायन और संगीत एक विद्यार्थी हैं लेकिन वह इनके बारीक पहलुओं पर कभी बातचीत करते हुए नहीं दिखते हैं। वहीं उस महाविद्यालय के अंदर भी जब वो होते हैं तो ऐसा कोई पक्ष उजागर नहीं होता है। कभी कभी ऐसा लगता है जैसे यह आम कैम्पस उपन्यास हो या आम विद्यार्थी ही हों। संगीत के ऊपर जो बातचीत होती भी है तो वह सतही होती है। मुझे लगता है कि चूँकि संगीत इस कहानी का इतना जरूरी भाग है तो इसके पहलुओं पर शोध कर इनका इस्तेमाल और अच्छी तरह से उपन्यास में होता तो बेहतर होता। रागों के इतिहास के ऊपर, अलग अलग संगीत पद्धतियों के ऊपर या संगीत से जुड़े कई कई पहलुओं पर बात हो सकती थी, नृत्यों के प्रकार के ऊपर बात हो सकती थी या इन दोनों पक्षों से जुड़ी कई बातें की जा सकती थी पर ऐसा होता नहीं है। अगर ऐसा होता तो उपन्यास और ज्यादा समृद्ध होता तो इसे पढ़ने का मज़ा और बढ़ जाता। यही चीज उपन्यास में दिखलाई गई साधना पद्धति के विषय में भी कही जा सकती है लेकिन उससे मुझे इतनी दिक्कत नहीं हुई क्योंकि वह उपन्यास का फंतासी वाला तत्व था।
उपन्यास की भाषा आम बोल चाल की भाषा है। वैसे मैं भाषा को लेकर इतना आलोचनात्मक नहीं रहता हूँ लेकिन मुझे लगता है कि कई कथानक ऐसी भाषा की माँग करते हैं जो कि आपको ठहरने पर मजबूर करे। ऐसे खूबसूरत वाक्य कथानक में बिखरे हुए हों जो कि आपके मन को भिगा जाएँ और आप उन मोतियों को इकट्ठा करने को मजबूर हो जाए। प्रेम उपन्यासों में मुझे ऐसी भाषा पसंद आती है। मुझे लगता है कि अगर लेखक ने इस उपन्यास में भी ऐसी भाषा का प्रयोग किया होता जो ठिठकर कर उस हिस्से का आनंद लेने के लिए आपको मजबूर कर देती तो इस खूबसूरत उपन्यास पर चार चाँद लग जाते। युवा दिलों में झंकृत होते प्रेम के गीत का विवरण पाठकों के मन को भी उस सुधारस से भिगो देता और वह भी उस प्रेम को उतनी ही गहराई से महसूस कर पाते। ऐसा नहीं है अभी ऐसा नहीं होता है लेकिन और बेहतर भाषा होने से यह अनुभव और गहरा हो सकता था।
उपन्यास का शीर्षक रोचक है और कथानक पर सटीक बैठता है वहीं दूसरी उपन्यास का आवरण चित्र भी बेहतरीन बन पड़ा है। कवर आर्टिस्ट निशांत मौर्य इसके लिए बधाई के पात्र हैं।
अंत में यही कहूँगा कि ‘आखिरी प्रेमगीत’ (Aakhiri Premgeet) एक कलाकार की प्रेम के लिए किये गये त्याग की कहानी है। त्याग आपकी आँखें अक्सर नम कर देता है और ऐसा ही इधर भी होता है। उपन्यास का अंत भी अलग तरह से लेखक ने किया है जो कि मुझे पसंद आया। हाँ, अगर संगीत और नृत्य के विभिन्न पहलुओं की बारीकियों की अपेक्षा आप उपन्यास से लगाएँगे तो हो सकता है आपको निराश होना पड़े।
अगर आपने ‘आखिरी प्रेमगीत’ (Aakhiri Premgeet) को नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़िए। उम्मीद है यह प्रेम उपन्यास आपको पसंद आएगा।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
Full disclosure: यह उपन्यास मुझे लेखक द्वारा उपहार स्वरूप दिया गया था।
बहुत बढ़िया समीक्षा विकास जी !
पुस्तक के प्रति लिखी यह पाठकीय प्रतिक्रिया आपको पसंद आई यह जानकर अच्छा लगा मैम। आभार।
बढ़िया समीक्षा। किताब अच्छी है।
जी सही कहा उपन्यास अच्छा है। पुस्तक पर लिखा मेरा लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।