संस्करण विवरण
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 23 | प्रकाशक: फिक्शन कॉमिक्स | शृंखला: अमावास #4 | श्रेणी: वयस्क (Mature Audience)
टीम
लेखक: आशुतोष सिंह राजपूत, के. गोविंद थान्वी | चित्रांकन: विकास सतपती | कलर्स: बसंत पंडा | कैलीग्राफी: हरीश दास मानिकपुरी | सह संपादक: नवीन पाठक | संपादक: सुशांत पंडा
कहानी
भैरोंगढ़ से निकल कर अमावस बिलासा सिटी तक पहुँच चुका था। अब वह बिलासा सिटी में महिलाओं की बलि देकर अपना काम करने लगा था।
अमावस के साथ ही एक रहस्यमय शख्सियत भी बिलासा सिटी पहुँची थी जो कि हुड पहनकर उन जगहों पर पायी जाती थी जहाँ भी अमावस कत्ल करके हटा होता था।
वहीं समीर के शरीर में रह रहा अमावस अब दिव्या यानी ब्लू आई के शरीर पर कब्जा पाना चाहता था।
क्या अमावस ब्लू आई के शरीर पर कब्जा जमा पाया?
आखिर वह क्यों उसके शरीर को पाना चाहता था?
बिलासा सिटी में आया वह रहस्यमय हुडधारी कौन था?
मेरे विचार
फिक्शन कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित ‘अमावस पजेस्ड’ अमावस शृंखला का चौथा कॉमिक बुक है। इस कॉमिक की कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पर अमावस अलाइव की खत्म हुई थी इसलिए अगर अपने अमावस अलाइव नहीं पढ़ी है तो उसे पढ़ लें।
अब कॉमिक की कहानी पर आते हैं तो जैसा ऊपर बताया कॉमिक की कहानी उसी बिंदु से शुरू होती है जहाँ अमावस अलाइव खत्म हुई थी। यानी वहाँ से जहाँ पर अमावस ब्लू आई यानी दिव्या यानी ब्लू आई से लड़ रहा था। लड़ाई के दौरान ही अमावस को अहसास होता है कि वह किसी ऐसे मनुष्य से लड़ रहा है जिस पर वह काबू पा ले तो उसे काफी फायदा हो सकता है। अपनी इस सोच को वह जिस तरह से अमलीजामा पहुँचाता है और फिर जो कार्य वह करता है यही कॉमिक का कथानक बनता है।
इस कॉमिक में अमावस तो है ही साथ ही फिक्शन यूनिवर्स में होते वह दूसरे मामले भी हैं जिनमें पाठकों की रुचि कॉमिक्स पढ़ते हुए जागती है। मसलन सिन्हा मर्डर केस ऐसा मामला जिससे ब्लैक मास्क और शालिनी दोनों जूझ रहे हैं। यह मामला क्या है इसके विषय में तो इस कॉमिक में पता नहीं चलता है लेकिन यह बात तो तय है कि जरूर कोई न कोई पेचीदा मामला जरूर होगा इस कॉमिक में होता उसका जिक्र पाठक के मन में इस मामले को जानने की इच्छा बलवती कर देता है। अच्छी बात यह है कि इस कॉमिक के अंत में सिन्हा मर्डर केस नाम की कॉमिक का विज्ञापन है तो पाठकों को पता है कि उनकी जिज्ञासा कहाँ जाकर शांत होने वाली है।
इसके अलावा अमावस और साध्वी की मुलाकात में हॉरर डायरीज़ के चरित्र भी पाठकों के सामने आते हैं जो उनके प्रति पाठक की इच्छा जागृत करते हैं।
अमावस अलाइव में एक रहस्यमय शख्स उसके शिकार करने की जगह पर पाया जाता था। इस कॉमिक में पाठकों को यह भी पता लगता है कि वह शख्स कौन है और उसके होने से कहानी में रोमांच बढ़ ही जाता है।
वहीं कॉमिक की कहानी जहाँ पर अंत होती है वह पाठकों के मन में अगला भाग पढ़ने की इच्छा जागृत कर देती है।
जहाँ एक तरफ इस कॉमिक में अमावस की कहानी आगे बढ़ती है तो वहीं कॉमिक के अन्य पात्रों जैसे नरेंद्र और शालिनी के इतिहास के कुछ पल भी पाठकों को देखने को मिलते हैं। यह कुछ पल इन चरित्रों के प्रति पाठकों की उत्सुकता को बढ़ाते हैं और पाठकों के मन में उन्हें अच्छे तरफ से जानने की इच्छा को जागृत करते हैं।
कॉमिक चूँकि 23 पृष्ठ की है जिसमें से 2 पृष्ठ बैक स्टोरी के लिए रखे गए हैं तो इसमें ज्यादा कथानक आना तो संभव नहीं होता है लेकिन जितना कथानक आया है वह अच्छा है और आगे के भागों के अलावा प्रकाशन की अन्य कॉमिक बुक्स को पढ़ने की लालसा जगाता है।
आर्टवर्क की बात करूँ तो फिक्शन कॉमिक की आर्ट मुझे पसंद रही है और इस कॉमिक की आर्ट मुझे तो पसंद आई है। वैसे भी सुघड़ कन्याएँ बनाने में फिक्शन कॉमिक्स का कोई सानी नहीं है और इस कॉमिक में तो ब्लू आई, शालिनी शेखावत, साध्वी और निलिमा जैसे किरदार पाठकों की नींद चुराने के लिए काफी हैं। इन्हें देखकर चचा गालिब का ये शेर बरबस ही मुँह से निकल पड़ता है:
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
हाँ, चूंकी कॉमिक्स व्यस्कों के लिए हैं तो कुछ दृश्य थोड़ा कामोत्तेजक हैं तो उस हिसाब से ही देखा जाना चाहिए। बाल पाठकों की पहुंच से इसे दूर रखा जाना चाहिए।
अंत में यही कहूँगा कि यह भाग शृंखला के आखिरी भाग के लिये पाठकों के मन में उत्सुकता जगाने में पूरी तरह से कामयाब होता है। कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। बस पृष्ठ की संख्या कम होना थोड़ा खलती है अगर पृष्ठ 32 या 40 होता तो मज़ा आ जाता। फिर लेखक भी काफी और रोचक प्रसंग शायद कहानी में जोड़ पाते। खैर, अब अमावस का आखिरी भाग अमावस टर्मिनेशन पढ़ने का मन है क्योंकि अब देखना है कि इस बार अमावस का क्या होता है।
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