भेड़िया | राज कॉमिक्स | परशुराम शर्मा

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: भेड़िया | लेखक: परशुराम शर्मा | चित्रांकन: धीरज वर्मा 

भेड़िया | राज कॉमिक्स | परशुराम शर्मा | समीक्षा

कहानी 

वह छः लोग अपने अपने फन में माहिर थे। वह किसी भी खतरे से जूझने के लिए तत्पर थे। 

यही कारण था कि काला बच्चा ने उन्हें अपने पास बुलाया था। उसने उन्हें अपना काम करने की एवज में 10 लाख डॉलर देने का वादा किया था।

काला बच्चे दुनिया के सबसे बेहतरीन शिकारियों में से एक था। 

आखिर ऐसा कौन सा काम था जिसे वह इन लोगों के माध्यम से पूरा करना चाहता था?

क्या वो अपने लक्ष्य में सफल हो पाया?

मेरे विचार

भेड़िया राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित भेड़िया का पहला कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक की कहानी लेखक परशुराम शर्मा द्वारा लिखी गई है और इसका चित्रांकन धीरज वर्मा द्वारा किया गया है। यह भेड़िए, जो पिछले पचास हजार सालों से मूर्ति में तब्दील हो रखा था, की जागृत होने की कहानी है।
कॉमिक बुक की कहानी अमेरिका के शिकागो में हो रहे एक फ्री स्टाइल मैच से शुरू होती है। लारा और जैकी का मैच होते हुए हम देखते हैं। मैच खत्म होता है और लारा को काला बच्चा की एक चिट्ठी मिलती है। चिट्ठी में ऐसा कुछ लिखा हुआ होता है कि लारा सीधे आसाम पहुँच जाता है। आसाम में काला बच्चा उसे और अन्य पाँच और लोगों (दक्षिण अफ्रीका का ग्रांडी जो एक मशहूर गनमैन है, नागारेड्डी जो एक जानवरों का ट्रेनर है, शहरयार खान, जिसे कबिलाई संस्कृति की जानकारी है, चीमा, जो तकनीकी जानकारी का एक्सपर्ट है, और जोगो, जो बेहतरीन तीरअंदाज और असम के इलाके का एक्सपर्ट है) को एक मिशन सौंपता है जिसके एवज में उन्हें वह दस-दस लाख डॉलर देने की बात करता है। यह मिशन क्या है और इसमें वह लोग किन खतरों से दो चार होते हैं यही कॉमिक बुक बनती है। 
कॉमिक बुक की कहानी मनोरंजक  है। काला बच्चा के साथी कैसे अपने मिशन को कामयाबी देते हैं और इसके बाद उनके साथ क्या होता है ये देखना रोचक रहता है। लेखक ने काला बच्चा की टीम के हर सदस्य के लिए कोई न कोई कार्य रखा है जो कि उनका इस टीम में होना सार्थक करता है। 
वहीं जंगल किस तरह काम करता है यह भी इधर देखने को मिलता है। जीना के साथ जो होता है  और कॉमिक का अंत जैसे होता है वह जंगल की क्रूरता को तो दर्शाता ही है साथ ही यह ख्याल भी मन में ले आता है कि इस शृंखला की कॉमिक बुक आम कॉमिक बुक से ज्यादा हिंसक होने वाली हैं।
इस कॉमिक्स से भेड़िए की एंट्री हुई है और यह एंट्री यह सोचने को मजबूर करती है कि भेड़िया आगे क्या करने वाला है।  क्या कबीले वालों की उसको लेकर जो धारणा है वो सच है? यह प्रश्न भी कॉमिक के विषय में मन में उठता है जिसके विषय में कॉमिक पढ़कर पाठक जरूर जानना चाहेंगे। 
परंतु कॉमिक बुक में कुछ ऐसी चीजें भी दिखती हैं जो कि कुशल संपादन से दूर की जा सकती थी और कॉमिक्स और बेहतर बन सकती थी। 
कॉमिक बुक की शुरुआत लारा की फाइट से होती है। लारा अमेरिकी है और शायद अंग्रेजी ही उसकी मातृभाषा होगी। लेकिन कॉमिक के एक पैनल में उसे चेक तो अंग्रेजी में लिखा मिलता है लेकिन चिट्ठी हिंदी में लिखी मिलती है  और वह देवनागरी में लिखी उस चिट्ठी को आराम से पढ़ते दिखता है। यह कुछ अटपटा लगता है। बेहतर होता उसे चिट्ठी केवल पढ़ता दिखाया जाता और चिट्ठी की सामग्री को केवल विवरण में दर्शाया जाता। 
इस कॉमिक का मुख्य खलनायक काला बच्चा है। कॉमिक में हमें यह तो पता चलता है कि वह बहुत अमीर है और यह भी कि वह दुनिया का सबसे खतरनाक शिकारी है लेकिन फिर भी उसके विषय में कई प्रश्न मन में उठे ही रह जाते हैं। काला बच्चा एक अटपटा नाम है? यह नाम क्यों पड़ा इस पर कोई रोशनी नहीं डाली गई है? काला बच्चे के पास अकूत धन संपत्ति कैसे आई यह भी पता नहीं लगता है। इसके साथ साथ काल बच्चा खुद को बहुत बड़ा शिकारी कहता है लेकिन कॉमिक में कई जगह उसे देखकर ऐसा लगता नहीं है। एक कुशल शिकारी वो होता है जो कि हथियार के साथ और हथियार के बिना भी शिकार कर सके लेकिन काला बच्चा बिना हथियार के केवल बच्चा बनकर रह जाता है। 
कॉमिक में काला बच्चा द्वारा लाए गए विशेषज्ञ काला बच्चे के कहने पर एक कबीले में जाते हैं और उधर जाने के उनके प्लान में कबीले वासियों की तरह कपड़े पहनना और एक टैटू चिपकाना ही शामिल होता है। यहाँ इस बात को बिलकुल भुला दिया जाता है कि ये लोग अलग अलग देश के और अलग अलग नस्लों के हैं। ऐसे में किसी को ये यकीन दिलाना कि ये एक ही कबीले के हैं तभी मुमकिन होगा जब जिसे यकीन दिलाया जा रहा हो उसके अंदर दिमाग न हो और मुझे नहीं लगता कि कबीले वाले बिना दिमाग होते हैं।  अगर ये कुछ और मेकअप करते दिखते तो बात अलग थी लेकिन अभी ये युक्ति अटपटी ही लगती है। मुझे लगता है इस प्रसंग पर ढंग से काम किए जाने की जरूरत थी। 
कॉमिक में एक प्रसंग है जिसमें बंगाड़ा कबीला सरदार एक व्यक्ति को इन नए आगंतुको  पर नज़र रखने को कहता है। पर यह आदमी इतना नाकारा रहता है कि आगे ये लोग जो करते हैं वो उस पर नजर नहीं रख पाता है। अगर इधर उस आदमी के चलते ये किरदार मुसीबत में पड़ते और उससे  बाहर निकलते दिखते तो बेहतर होता क्योंकि इससे कॉमिक बुक और रोमांचक हो जाती। 
कॉमिक में जब काला बच्चे के टीम वाले अपने मकसद में कामयाब होते हैं तो एक जगह पर इस कहानी में कुछ और किरदार जैसे जंगल में रहने वाली डकैतों की गैंग, कुछ मवाली और एक तस्कर भी जुड़ते हुए प्रतीत होते हैं। लेकिन इनका जिक्र भर ही आता है। अगर इनका कहानी में और दखल होता तो बेहतर होता। ऐसे में केवल जिक्र करके छोड़ना कहानी में कुछ जोड़ता तो नहीं ही है बस एक प्रश्न छोड़ देता है कि इन लोगों ने अपने मसद को पाने के लिए क्या किया होगा? उम्मीद है आगे के कॉमिक बुक में इनके विषय में दर्शाया होगा। 
कॉमिक बुक के आर्ट वर्क की बात करूँ तो इसका आर्टवर्क धीरज वर्मा ने किया हुआ है। आर्ट वर्क अच्छा है और कहानी के साथ न्याय करता है। ऐसे फ्रेम कम हैं जो आपको ठिठकने पर मजबूर करें लेकिन किरदारों, फिर वो मनुष्य हों या जानवर, के चेहरे के भाव बड़ी कुशलता से कहानी से न्याय करते हैं। 
अंत में यही कहूँगा कि भेड़िया का यह प्रथम कॉमिक इस किरदार के विषय में उत्सुकता जगाता है। भेड़िया के विषय में इतनी ज्यादा जानकारी हमें  इस कॉमिक में मिलती नहीं है लेकिन मन में यह जानने की इच्छा तो जागृत हो ही जाती है कि ये चीज आखिर क्या है? यह कहना भी जरूरी है कि सम्पादन से अगर कहानी में मौजूद ऊपर बताई हुई चीजों में सुधार कर दिया जाता तो कॉमिक और अच्छी बन सकती थी।

यह भी पढ़ें


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

2 Comments on “भेड़िया | राज कॉमिक्स | परशुराम शर्मा”

    1. लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *