
कहानी: अमिट छाप – जयशंकर प्रसाद
होली का त्यौहार आ चुका था और गोपाल होली मनाने के लिए उत्कंठित था। उसने मनोहरदास जी को सितार बजाने का अनुरोध किया तो उन्होंने बताया कि होली के दो दिनों में वो न सितार बजाते थे और न होली ही खेलते थे। वह ऐसा क्यों करते थे? जानने के लिए पढ़ें जयशंकर प्रसाद की यह कहानी ‘अमिट छाप’।
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