चौरासी: दंगे की पृष्ठभूमि पर रची दिल को छू जाने वाली एक प्रेम कथा

राघवेन्द्र सिंह एक कुशल संपादक तो हैं ही साथ में एक सजग पाठक भी  हैं। वो अक्सर किताबों पर अपनी राय लिखते रहते हैं। आज एक बुक जर्नल पर पढ़िए लेखक सत्य व्यास के बहुचर्चित उपन्यास चौरासी पर लिखी उनकी पाठकीय टिप्पणी।  

किताब लिंक: अमेज़न

*****

 ….तो मैं ‘सत्य’ कहता हूँ, 1984 के दंगो को केंद्र में रखकर ऋषि औऱ मनु नामक दो बिन्दुओं के प्रेम रेखा की ‘व्यास’ है ये कथा । 

शुरुआत से ही कहानी सत्य व्यास की अपनी पेट स्टाईल में सेट हो जाती है औऱ कभी बनारस कभी दिल्ली की याद दिलाती है । निष्पक्ष होके कहूँ तो प्रेमी युगल का जादू ट्यूशन , ट्रेन , सिनेमा एपिसोड तक जेहन पर चढ़ा नहीं पर छठे एपिसोड के बाद प्रेम का इन्द्रधनुष दिखने लगा । कहानी चैप्टर के हिसाब के कही गईं है औऱ प्रत्येक चैप्टर के अंत में लिखा ‘वन लाईनर सबक’ मोहक दिखता है , मुलाहिज़ा फरमाएँ

 

ऋषि नें जाना आँखे अंधेरे में आवाज़ों से देखती है 

 

मनु नें सीखा मुस्कराहटे सीधे यादों में घर बना लेती हैं , इन्हे जेहन में बिठाना नहीं पड़ता 

मनु नें महसूसा प्रेम दबे पांव सिर चढ़ता है 

औऱ वो जो मानस में पेवस्त हो जाता है , उसे भी देखिये , 

प्रेम बेखुदी ही नहीं बीमारियाँ भी साझा कर जाता है , अदला बदली पत्रों की नहीं पीड़ाओं की भी होती है । 

औऱ हाँ एक औऱ 

प्रेम हर मज़हब का अंग है जबकि इसे खुद मज़हब होना चाहिये । 

84 के कालक्रम को लैंड लाईन फ़ोन , तारघर , अपट्रॉन टीवी के माध्यम से ठीक पकड़ा गया है । और फिर नामुराद दंगा विलेन बन के आता है । उस काली रात का लेखक नें भयावह चित्रण किया है , ऋषि का अपनी प्रेमिका के परिवार कों बचाने का प्रसंग बढ़िया है औऱ कहानी के नायक के रूप में ऋषि के चरित्र के विविध आयाम औऱ उसके द्वन्द का चित्रण बहुत बढ़िया है। 

अंत कों शीघ्रता से निबटाया गया है । जब दंगे का चित्रण पढ़ मन रेगिस्तान के तपते रेत सा हो जाता है तब युगल के हाथ पकड़ने वाले दृश्य हेतु एक मूसलाधार बारिश सा चैप्टर बनता था जबकि मिला केवल गर्म तवे पर पानी की बूंद जैसा । 

एक औऱ चीज़ जो महसूस किया कि इसे पटकथा आकार का नॉवेल कह सकतें हैं । लंबे कथोपकथन से बचा गया है और इसके  हर चैप्टर कों सीधे शूट कर सकतें हैं । 

एक बात औऱ इस किताब कों आप दंगे की पृष्ठभूमि में प्रेमकथा के रूप में पढ़े ना कि 84 के दंगे के दस्तावेज के रूप में । ऐम्फेसिस प्रेम पर है ना कि दंगे पर । कहानी ऋषि औऱ मनु की है ना कि दंगे के कारण औऱ परिणाम की। 

नॉवेल मनोरंजक है औऱ मेरा पुस्तक प्रेमियों से आग्रह है कि इसे पढ़े , आप निराश नहीं होँगे ।

किताब: चौरासी | लेखक: सत्य व्यास | किताब लिंक: अमेज़न

समीक्षक परिचय:

राघवेन्द्र सिंह
राघवेन्द्र सिंह

राघवेन्द्र सिंह काशी के रहने वाले हैं। वह फिजिक्स और गणित से स्नातक हैं और उन्होंने कंप्यूटर में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया है। साहित्यानुरागी हैं और लेखन, पठन पाठन, संगीत और यात्रा में रूचि रखते हैं। 


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About एक बुक जर्नल

एक बुक जर्नल साहित्य को समर्पित एक वेब पत्रिका है जिसका मकसद साहित्य की सभी विधाओं की रचनाओं का बिना किसी भेद भाव के प्रोत्साहन करना है। यह प्रोत्साहन उनके ऊपर पाठकीय टिप्पणी, उनकी जानकारी इत्यादि साझा कर किया जाता है। आप भी अपने लेख हमें भेज कर इसमें सहयोग दे सकते हैं।

View all posts by एक बुक जर्नल →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *