रात की रानी | राज कॉमिक्स | भरत, संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: डोगा

टीम

मूल कथानक: भरत | पटकथा: संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही | संपादन: मनीष गुप्ता | चित्र: मनु

कहानी

मुंबई की रातों में जब रात की रानी की महक उठती तो कानून के रखवालों की नींद चैन गायब हो जाती थी। 

वह खुद को रात की रानी कहती थी और चोरी करना उसका काम था। चोरी के बाद वह अपने पीछे छोड़ जाती थी तो बस हाथ मलते सुरक्षाकर्मी और रात की रानी की महक।

अब डोगा ने इस रात की रानी को पकड़ने की ठानी थी।  

आखिर कौन थी ये रात की रानी?

क्या हुआ जब टकराए रात की रानी और डोगा?

विचार

रात की रानी राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित डोगा का 60 पृष्ठों में फैला विशेषांक है। इस कॉमिक बुक का मूल कथानक भरत द्वारा रचा गया था जिसे कि संजय गुप्ता और तरुण कुमार वाही द्वारा विकसित करके कॉमिक रूप में ढाला गया। 
यह एक एक्शन कॉमिक्स है जिसमें शुरुआत से लेकर अंत तक एक्शन बना रहता है। 
‘रात की रानी’ एक चोरनी है जिसने मुंबई में अपना आतंक फैला रखा है। जहाँ भी वो चोरी करती है वहाँ बस रह जाते हैं हाथ मलते सुरक्षाकर्मी और रात की रानी की खुशबू। 
कॉमिक बुक की कहानी जब शुरू होती है तब तक रात की रानी अपना नाम बना चुकी होती है और कई चोरियों को अंजाम दे चुकी होती है। 
वह इस बार एक और चोरी को सफलता पूर्वक करके निकल जाती है जब उसका रास्ता डोगा रोकने की कोशिश करता है और यहीं पर कॉमिक के दूसरे खलनायक एनीवेयर की एंट्री होती है।
एनी वेयर कहीं भी किसी भी रूप में मौजूद हो सकता है और इसलिए उसे एनी वेयर कहते हैं।
अब डोगा को इन दो खलनायकों को पकड़ना है।
डोगा कैसे रात की रानी तक पहुँचता है? रात की रानी जो करती है वो क्यों करती है? एनीवेयर और रात की रानी के बीच के समीकरण कैसे बनते बिगड़ते हैं? डोगा इन लोगों से कैसे जूझता है?
इन्हीं प्रश्नों का उत्तर यह कथानक देता है। 
चूँकि कथानक में दो खलनायक हैं और कभी डोगा इनसे भिड़ता हुआ दिखता है और कभी ये आपस में भिड़ते दिखते हैं और कभी मिलकर डोगा को पछाड़ने की कोशिश करते दिखते हैं। इस कारण कथानक में एक्शन की कमी नहीं रहती है। 
रात की रानी कैसे बनी इसकी कहानी को भावनात्मक रूप देने की कोशिश की गई है। रात की रानी को लगता है जो वो कर रही है वो सही है लेकिन उसमें कमी कहाँ है ये डोगा बतलता है और उनका ये वार्तालाप रोचक बन पड़ा है। 
कॉमिक बुक की कमी की बात करूँ तो जो कुछ बातें मुझे लगीं वो यूँ हैं। 
कॉमिक का नाम रात की रानी है लेकिन इसमें एनीवेयर की मौजूदगी कॉमिक का फोकस हटाने का काम करती है। दो खलनायकों के होने से एक्शन तो बढ़ जाता है लेकिन डोगा और रात की रानी के बीच की उठा पटक कम हो जाती है। पूरी कॉमिक में तीन ही चोरियाँ होती दिखती हैं और डोगा का आधा ध्यान एनीवेयर पर भी लगा रहता है। 
मुझे लगता है कि कॉमिक बुक में अगर एक ही खलनायक रखते तो बेहतर होता। अभी दो खलनायक हैं लेकिन एक की खलनायक बनने की कहानी पर ही ध्यान दिया गया है जबकि दूसरे के खलनायक बनने की कहानी जानना भी रोचक हो सकता था। मुझे लगता है दूसरे को केवल पेज और एक्शन बढ़ाने के लिए रखा गया है। 
इसके अतिरिक्त रात की रानी के बनने की कहानी को एक भावनतात्मक रूप देने की कोशिश की है लेकिन इसमें जो बैंक वाला कोण है वो कमजोर और चलताऊ कर दिया है। यहाँ इतना ही कहूँगा कि कोई भी बैंक इतना लचर नहीं होता कि कोई बच्चा उधर घुस जाए और कैशियर से माल उड़ा ले और वो भी तब जब वो माल गिन रहा हो। बैंक की जगह किसी दुकान इत्यादि का गल्ला दर्शाते तो शायद बेहतर होता। 
कॉमिक में अंत में जो हथियार एनीवेयर के हाथ में दिखता है उसका होना ही अजीब था। वो हथियारकिसी डोगा का कॉमिक का नहीं किसी भविष्य के साई फ़ाई उपन्यास के खलनायक का हथियार लगता है। डोगा के कॉमिक जिस दुनिया में बसाये गए हैं उधर उस हथियार का होना अटपटा ही लगता है। वो कहता है कि वो हथियार उसके दोस्त ने अमेरिका से भेजा है जो कि तार्किक नहीं दिखता। अगर अमेरिका में इतनी खतरनाक चीज होगी तो भारत के बड़े बड़े खलनायक उसे पाने का जुगाड़ करेंगे और वो उनके हाथों में होगी न कि एनीवेयर जैसा तीसरे दर्जे का खलनायक उसे पा लेगा। मुझे लगता है कथानक थोड़ा फ़ैन्सी बनाने के लिए लेखकों ने ये काम किया पर यह प्रयोग मेरी नजर में सफल नहीं हुआ है। इधर इस हथियार को छोड़कर अगर कोई और तरीका अपनाते तो शायद बेहतर होता। 
इसी तरह अगर मैं कोई चोरी करने जाऊँ और मेरा कोई हस्ताक्षर हो जैसे कि खुशबू इत्यादि तो मैं उसे आने से पहले ही उजागर नहीं करूँगा। वो भी तब जब मैं रूप बदलकर जा रहा हूँ। पर इधर ऐसा ही होता है जो कि बेतुका लगता है। इस चीज से बचा जा सकता था। 
कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात करें तो मुझे पसंद आया। कहानी में रात की रानी की कहानी दर्शाते हुए उसके बचपन के दृश्य बनाए गए हैं जो कि बहुत अच्छे बने हैं। किसी को खोने पर जो आँखों में वेदना आती है वो किरदार की आँखों से साफ झलकती है और मन को बींध सी देती है। मनु जी का आर्ट मुझे पसंद रहा है और इधर भी हमेशा की तरह आँखों से भाव दर्शाने में वह सफल हुए हैं।
अंत में यही कहूँगा कि रात की रानी एक बार पढ़ा जा सकता है। एक्शन से भरपूर कॉमिक्स आपको पसंद हैं तो आपको यह निराश नहीं करेगा। जो थोड़ी बहुत कमी है वो बढ़िया संपादन से हटा देते तो यह कॉमिक बुक और अच्छा बन सकता था। 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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