शेर का बच्चा | राज कॉमिक्स | संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: डोगा

टीम 

लेखक: संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही | सहयोग: विवेक मोहन | चित्रांकन: मनु 

कहानी 

हर साल शहर में  बहादुरी का काम करने वाले सबसे बहादुर को शेर का बच्चा नामक पुरस्कार दिया जाता था।

मोनिका को लगता था कि इस बार का यह पुरस्कार उस व्यक्ति को दिया जाना था जिसने डोगा नामक अपराधी की हत्या कर दी थी।

आखिर कौन था ये शेर का बच्चा?

क्या सच में किसी ने डोगा को मार दिया था?

विचार 

‘शेर का बच्चा’ डोगा का एक विशेषांक है। कॉमिक बुक की कहानी संजय गुप्ता और तरुण कुमार वाही द्वारा लिखी गई है और इसका चित्रांकन मनु द्वारा किया गया है। मनु द्वारा किया गया आर्टवर्क अच्छा ही होता है और प्रस्तुत कॉमिक का आर्टवर्क भी अच्छा ही है। 

कॉमिक बुक की कहानी की बात करूँ तो इसकी शुरुआत एक आयोजन से होती है जहाँ बहादुरी के लिए पुरस्कार का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन का मुख्य पुरस्कार देने की बात जब आती है तो मोनिका स्टेज पर आकर इस पुरस्कार के लिए एक कैंडिडेट सुझाती है। यह कैंडिडेट कौन है और इसे क्यों पुरस्कार दिया जाना चाहिए यह प्रश्न ही कथानक बनता है। कॉमिक बुक का कथानक मुख्य रूप से बैक फ्लैश में चलता है और पाठको को पता चलता है कि पिछले दिनों क्या हुआ था जिसने मोनिका को स्टेज पर चढ़ने पर मजबूर किया है।

कॉमिक बुक के बैक फ्लैश में हमें राजनीति, पुलिस और अपराध का गठजोड़ देखने को मिलता है। इस क्षेत्र के धुरंधर मिलकर एक अपराध करते हैं और फिर डोगा से बचने के लिए वो क्या तिकड़म लगाते हैं और डोगा उनकी तिकड़मों का जो जवाब देता है वह पाठकों को एक एक्शन से भरपूर रोमांचक कारनामा पढ़ते हुए मिलता है। इस कारनामें में ट्विस्ट भी देखने को मिलते हैं जो कि पढ़ने का मज़ा बढ़ा देते हैं। 

इस कॉमिक का एक पहलू मोनिका और डोगा के प्रति उसकी नफरत भी है। इस कॉमिक में कुछ ऐसा हो जाता है कि मोनिका डोगा का सफाया करने की योजना बना लेती है। वह क्या योजना बनाती है। इस योजना का नतीजा निकलता है और आखिरकार डोगा और मोनिका के बीच का यह समीकरण कहाँ पर जाकर खत्म होता है यह भी पाठक कॉमिक पढ़ते हुए जानना चाहेंगे।

कॉमिक बुक के खलनायक नेता बनवारी लाल, पुलिस कमिश्नर और एक अपराधी डॉन हैं। तीनों ही अपराधी ताकतवर हैं। यह तीनों मिलकर जो चालें डोगा के खिलाफ चलते हैं वह कॉमिक को अधिक रोमांचक बना देता है। इन तीनों खलनायकों में कमिश्नर विशेष रूप से छाता है क्योंकि वो कई बार डोगा को छकाने में भी कामयाब हो जाता है। बनवारी और डॉन की भूमिका भी उतनी ही देखने को मिलती तो बेहतर होता। 

कॉमिक बुक की कमी की बात करूँ तो कुछ कमियाँ मुझे इसमें लगी। पहली कमी तो इसकी शुरुआत ही है। मोनिका स्टेज पर क्यों चढ़ती है यह बात समझ के परे है। फिर वह इसके लिए जो कारण बताती है और जिस व्यक्ति को ‘शेर का बच्चा’ घोषित करती है वह भी अजीब लगता है। किसी ने डोगा का कत्ल किया तो उसे पब्लिक के सामने लाने का क्या औचित्य है? कत्ल हुआ तो सजा भी मिलेगी। इसके साथ ही उसे उन लोगों की नफरत का सामना करना पड़ेगा जिनके लिए डोगा मसीहा था। ऐसे में मोनिका का स्टेज में चढ़ने और नाम को उजागर करना एक बचकाना कार्य ही लगता है। पूरी कहानी पटा चलने पर तो और भी अतर्कसंगत लगता है।  

फिर कॉमिक बुक की शुरुआत में एक प्रसंग है जिसमें कॉमिक बुक के खलनायक एक अपराध करते नजर आते हैं। वह एक व्यक्ति को, उसकी पत्नी को और उसके बच्चे को मारने का प्रयास करते हैं। जब अपराध शुरू ही हो रहा होता है तो यह दर्शाया जाता है कि डोगा वहाँ मौजूद गतिवधि देख रहा था। पत्नी की मौत तो चलो अचानक हो जाती है लेकिन व्यक्ति की मौत को डोगा बचा सकता था। लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं करता दिखता है। यह अजीब लगता है। अगर डोगा जैसा निशाने बाज मैं होता तो एक गोली उन तीन अपराधियों में से एक पर चला देता जिससे कम से कम व्यक्ति की जान तो बच जाती। हाँ, गोली चलने के बाद भी वो उस व्यक्ति को मारने में सफल होते तो वो अलग बात होती लेकिन डोगा का कुछ न करना उसके किरदार से मेल खाता नहीं दिखता है। 

कहानी में एक प्रसंग डोगा का एक इमारत में घुसकर वहाँ मौजूद डॉन को मारने का भी है। डोगा इसमें लिफ्ट से इमारत में जाता दिखाया जाता है जो कि अटपटा रहता। डोगा जिस पोशाक में रहता है उसमें उसका लिफ्ट तक पहुँचना भी उसे किसी की नजर में लाने के लिए काफी होगा। ऐसे में डोगा लिफ्ट तक किसी की नजर बचाकर कैसे पहुँचा यह बात समझ से परे है। यहाँ नजर बचाकर इमारत में दाखिल होता दर्शाते तो बेहतर होता। 

कॉमिक बुक की कहानी के अलावा इसके शीर्षक पर भी बात करना चाहूँगा। कॉमिक बुक का शीर्षक ‘शेर का बच्चा’ है। मुझे लगता है कि ‘शेर का बच्चा’ शीर्षक शायद पहले घोषित किया गया था और किसी तरह प्रस्तुत कॉमिक की कहानी में उसे फिट करने की कोशिश की गयी है। ऊपर मोनिका के स्टेज पर चढ़ने की बात मैंने की है जिसका कोई औचित्य नहीं दिखता है और बचकाना लगता है। वह केवल इसलिए किया गया था ताकि ‘शेर का बच्चा’ के टाइटल को जस्टफाइ करने की कोशिश किया जा सके। यह कोशिश विफल ही हुई है। मुझे लगता है अगर ‘शेर का बच्चा’ ही शीर्षक रखना था तो उसके लिए पुरस्कार वाले प्रसंग से बेहतर कोई प्रसंग गढ़ा जा सकता था। 

अंत में यही कहूँगा कि ‘शेर के बच्चा’ टाइटल का औचित्य ठहराने के लिए जो कॉमिक में किया गया है उसे छोड़कर कॉमिक की मुख्य कहानी देखें तो कॉमिक बुक रोचक है और पढ़ने वाले को भरपूर मजा देती है। अगर नहीं पढ़ी है तो आपको एक बार पढ़कर देखनी चाहिए। 

 

यह भी पढ़ें


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *