संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: इंस्पेक्टर स्टील
टीम:
लेखक: हनीफ अजहर | चित्रकार: नरेश कुमार | कैलीग्राफी: टी आर आजाद | संपादक: मनीष गुप्ता
कहानी
इंस्पेक्टर स्टील अब बनकर रह गया था केवल स्टील। पुलिस की नौकरी से उसे हटा दिया गया था और वह अब एक आम नागरिक बनकर रह गया था। अब स्टील को तलाश थी मारथा नामक उस लड़की की जो उसे उसकी पत्नी और बेटे का पता देगी।
वहीं इंस्पेक्टर स्टील के केवल स्टील बने रह जाने से राजनगर में होने वाले अपराधों में कमी नहीं आयी थी।
राजनगर के ऊपर अब मैटलमैन का खतरा मंडरा रहा था।
क्या स्टील को मारथा मिली थी?
आखिर क्या था ये मैटलमैन?
मेरे विचार
इस बार मामा के घर गया तो उनके यहाँ से इंस्पेक्टर स्टील के कुछ कॉमिक भी लेकर आ गया था। ‘मैटलमैन’ उन्हीं कुछ कॉमिक बुक्स में से एक है। इंस्पेक्टर स्टील के विषय में आप अगर नहीं जानते हैं तो यह राज कॉमिक्स का एक किरदार है। राज कॉमिक्स ने रोबोकॉप से प्रेरित होकर इसका निर्माण किया था। अमर पुलिस में इंस्पेक्टर था जिसके कुछ जरूरी अंग एक दुर्घटना में क्षत विक्षित हो जाते हैं। उसकी जान बचाने के लिए उसका दोस्त अनीस उसके मस्तिष्क को एक रोबोट के शरीर में फिट कर देता है जिसको वह स्टील नाम देता है और चूँकि स्टील पुलिस में नौकरी करता है तो उसे इंस्पेक्टर स्टील कहा जाता है।
प्रस्तुत कॉमिक की शुरुआत में पाठक जान पाते हैं कि स्टील को पुलिस की नौकरी से निकाल दिया है और अब वह साधारण नागरिक है। उसे कमिश्नर ने चेतावनी दी है कि अगर उसने कानून हाथ में लिया तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा। वहीं उसका अगला मकसद अपने बीवी बच्चों की तलाश है और उसके लिए उसे एक युवती मारथा से मिलना है।
लेकिन फिर हालात ऐसे बन जाते हैं कि वह अपने दोस्त अनीस के समझाने पर यह समझ जाता है कि उसका फर्ज किसी भी चेतावनी से ऊपर है।
इसके बाद कथानक एक अलग मोड़ लेता है और स्टील का टकराव मैटलमैन से होता है। यह मैटलमैन कौन है और इस टकराव का क्या नतीजा निकलता है यह तो खैर आप कहानी पढ़कर ही जानिएगा।
यहाँ मैं ये कहना चाहूँगा कि कहानी में एक्शन तो भरपूर है लेकिन एक तरह का अधूरापन भी झलकता है। ऐसा लगता है जैसे आपको किसी फिल्म का एक बीच का टुकड़ा दिखाया गया हो जिसमें आप फिल्म चलने के दस बीस मिनट बाद हॉल में पहुँचे हो और फिल्म का अंत ऐसी जगह पे हो जहाँ पर मामला साफ हुआ नहीं है और निर्माता ने यह बताने की जहमत भी नहीं उठाई है कि आगे इस कहानी का क्या होगा।
यहाँ मैं इतना कहना चाहूँगा कि अगर आप मेरी तरह आगे पीछे की कहानियों को पढ़े इस कहानी को पढ़ेंगे तो कई सवाल आपके मन में रह जाएँगे। मसलन, कहानी की शुरुआत में पाठक को यह बताया जाता है कि स्टील की नौकरी कुछ जालसाजों की वजह से अब जा चुकी है। यह क्यों गयी और किस विशेष कारण से गयी यह बताया नहीं गया है। इसके बाद कहानी में मारथा नामक लड़की का प्रवेश होता है जिसके माध्यम से मणिरत्नम और मैटलमैन कहानी में आते हैं लेकिन इनके विषय में भी हमें कहानी में केवल उतना ही बताया जाता है जितना जरूरी है। मणिरत्नम मारथा से एक शर्त की बात करता है लेकिन यह शर्त किस कॉमिक में दर्शाई गयी थी ये नहीं बताया गया है। कहानी के अंत में भी कई सवाल रह जाते हैं। कहानी के खलनायक स्टील के हाथों से बचकर निकल जाते हैं और जिस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए स्टील मरा जा रहा था वह अनुत्तरित ही रह जाता है। इसके अलावा कहानी में एक मुख्य किरदार घायल हुआ रहता है। उस किरदार के साथ क्या होता है ये भी नहीं बताया गया है।
मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि अगर लेखक ने पिछली कॉमिक बुकों का जिक्र किया होता, घायल किरदार की हालत के विषय में बताया होता तो बेहतर होता।
कॉमिक बुक का आर्टवर्क नरेश कुमार द्वारा बनाया गया है। आर्टवर्क ठीक ठाक है।
अंत में यही कहूँगा कि इंस्पेक्टर स्टील का यह कॉमिक एक्शन से भरपूर तो है लेकिन फिर भी मुख्य प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ यह अधूरेपन का अहसास पाठक के मन में जगाता है। कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है।
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