बहुत दिनों बाद मामा जी के घर जाना हुआ और उनके संग्रह में मौजूद कॉमिक्स पढ़ने का मौका लगा। वो मेरी तरह कॉमिक्स के शौक़ीन रहे हैं और मैं जब भी उनके यहाँ जाता हूँ कॉमिक्स जरूर पढ़ता हूँ। वैसे भी मुझे हॉरर कॉमिक्स पसंद हैं और पिछले कई दिनों से कोई हॉरर कॉमिक्स नहीं पढ़े थे तो इस बार पढ़ने के लिए हॉरर कॉमिक्स ही मैंने चुनी हैं। अभी फिलहाल दो कॉमिक्स पढ़ीं- संगीन टीवी और मौत की नींद।
यह दोनों ही कॉमिक्स किंग कॉमिक्स से प्रकाशित हुई हैं। यह किंग कॉमिक्स राज कॉमिक्स का ही एक उपक्रम मुझे लग रहा है क्योंकि अन्दर प्रकाशक के नाम पर राज कॉमिक्स का ही नाम लिखा है। यह पहली बार था जब मैं किंग कॉमिक्स की कोई कॉमिक्स पढ़ रहा था। इसके पहले मैंने आजतक इनका नाम भी नहीं सुना था। इसके अलावा इस कॉमिक्स में जो दूसरे हीरोज के नाम दिये है वह भी मेरे लिए काफी नये थे। वक्र,अभेद्य, लीज़ा, हंटर शार्क,ब्लाइंड डेथ और गमराज इत्यादि हीरोज की कॉमिक्स का जिक्र इसमें है। इन सब में से मैंने तो केवल गमराज का ही नाम सुना है। आपने क्या बाकी हीरोज की कॉमिक्स पढ़ी हैं? अगर हाँ, तो आपको इनमें से कौन से पसंद थे? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
यह दोनों कॉमिक्स किंग कॉमिक्स के थ्रिल श्रृंखला की कॉमिक्स हैं। राज से अब इस प्रकार के कॉमिक्स उसकी थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला के अंतर्गत आते हैं।
फिलहाल इस पोस्ट में मौत की नींद और संगीन टीवी के विषय में ही लिखूँगा।
मौत की नींद और संगीन टीवी |
सम्पादक: विवेक मोहन
लेखिका: नाजरा खान
कला दिग्दर्शक: विनोद कुमार
चित्र: सुनीता तंवर
इंकिंग: आदिल खान
पृष्ठ संख्या : 32
प्रकाशक: किंग कॉमिक्स (राजा पॉकेट बुक्स)
पन्द्रह वर्षीय रोहन के साथ अजीब सी हरकतें हो रही थी। जब भी वह सोता था उसे स्वप्न में अपने परिवार वालों की ह्त्या होते हुए दिखती थी। अजीब बात ये थी कि उसके ये स्वप्न सच्चे साबित हो रहे थे। उसके परिवार के लोगों की हत्या ठीक वैसे ही हो रही थी जैसे उसे स्वप्न में दिखती थी।
वहीं डॉक्टर सुधीर मेहरा, जो एक जाने माने मनोचिकित्सिक थे, के अनुसार यह सब केवल एक संयोग था। दुर्घटनाओं और रोहन की नींद के बीच कोई सम्बन्ध नहीं था।
क्या डॉक्टर मेहरा सही थे?
क्या रोहन की नींद और दुर्घटनाओ में कोई सम्बन्ध नहीं था?
आखिर क्यों रोहन को ये बुरे स्वप्न दिखाई दे रहे थे?
मौत की नींद वैसे तो थ्रिल श्रृंखला की कॉमिक्स है लेकिन इसमें हॉरर के तत्व मौजूद हैं। कॉमिक्स रोचक है। रोहन को यह सपने क्यों आ रहे हैं यह जानने की उत्सुकता अंत तक रहती है। अगर आप काफी कहानियाँ पढ़ते हैं तो आपको यह अंदाजा तो हो जाता है कि कहानी क्या रुख अख्तियार करेगी। वैसे भी यह कॉमिक्स काफी पुरानी है तो मैंने इस बात पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी। इतनी रियायत इसके लिए मैं कर सकता था।
ऐसी कहानियाँ हम कई बार पढ़ चुके हैं लेकिन फिर भी इसे पढ़ने का उत्साह बना रहता है। फिर एक बार जब हमें घटनाओं के पीछे का कारण पता चलता है तो यह देखने के लिए कॉमिक्स पढ़ते जाते हैं कि इससे किरदार कैसे उभरेंगे।
हाँ, उभरने वाला हिस्सा थोड़ा और रोमांचक बनाया जा सकता था। वहीं डॉक्टर मेहरा अपने कार्यक्षेत्र से काफी अलग हटकर रोहन की मदद करते हैं। यह वो क्यों करते हैं इसके पीछे एक कारण तो ग्लानि है लेकिन यह इतना मजबूत कारण नहीं दिखता है। एक मजबूत कारण इसके पीछे दिया जाता तो बेहतर रहता।
खैर, ऊपर लिखी चीजों के बावजूद यह एक ठीक ठाक कॉमिक्स है। कहानी में पहले घटनाओं के पीछे के कारण के कारण संस्पेंस बना रहता है और उसके उजागर होने के बाद किरदारों की नियति क्या होगी यह जानने की उत्सुकता रोमांच बरकरार रखती है।
रेटिंग: 3/5
संगीन टीवी
सम्पादक: विवेक मोहन
लेखक: भरत नेगी
चित्रांकन : एम एस गुलजारी
पृष्ठ संख्या: 31
प्रकाशक : किंग कॉमिक्स
मिस्टर कश्यप अपनी पत्नी सुलेखा और बेटे गुल्लू को लेकर जब बाल मेला गये तो उनका इरादा थोड़ा बहुत घूमने फिरने का ही था। लेकिन फिर उधर कुछ ऐसा हुआ जिसका उन्हें अंदेशा भी नहीं था। उन्हें होरो टीवी नामक कम्पनी के स्टाल में बुलाया गया और बतौर ईनाम एक टीवी भेंट किया गया।
कश्यप परिवार का खुशी का ठिकाना न रहा। वैसे भी वह लोग अपने ब्लैक एंड वाइट टीवी के बदले कलर टीवी लेने की सोच ही रहे थे। और उन्हें आज यह कलर टीवी मुफ्त में मिल रहा था। वह टीवी लेकर खुशी खुशी घर तो चले गये लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई।
कुछ दिनों बाद ही कश्यप परिवार उस टीवी से पीछा छुडाने की जुगत लगाने लगे। लेकिन यह इतना आसान कहाँ था।
आखिर क्या हुआ था कश्यप परिवार के साथ?
क्यों वो नये टीवी से पीछा छुड़वाना चाहते थे?
संगीन टीवी भी किंग कॉमिक्स की थ्रिल सीरीज का एक कॉमिक है।
कॉमिक्स की बात करूँ तो कॉमिक्स की शुरुआत बेहतरीन होती है। टीवी जो कर रहा है वो क्यों कर रहा है यह जानने की उत्सुकता कॉमिक्स के पन्ने पलटने के लिए मजबूर कर देते हैं। परन्तु कोई मजबूत कारण इसके पीछे नहीं पता चलता है। कुछ प्रश्न है जो अनुत्तरित रह जाते हैं। जैसे कश्यप परिवार को टीवी के लिए क्यों चुना गया? टीवी में खराबी कब और क्यों शुरू हुई? इसके पीछे क्या कारण था? इन सब प्रश्नों को दरकिनार करके कहानी में केवल यह दिखाया गया है कि कैसे कश्यप परिवार टीवी से पीछा छुडाने की कोशिश करता है और क्या करके वह कामयाब होता है। उनकी यह कोशिशें हॉरर और रोमांच का वातावरण जरूर बनाती हैं लेकिन फिर कॉमिक्स के खत्म होने पर ऊपर लिखे अनुत्तरित प्रश्न एक अधूरेपन का अहसास जरूर दे देते हैं।
अगर ऊपर लिखे प्रश्नों के उत्तर भी कॉमिक्स में होते तो यह और अच्छा बन सकता था।
रेटिंग: 2/5
यह कॉमिक्स अब तो शायद ही कहीं मिले लेकिन अगर आपने किंग कॉमिक्स की थ्रिल सीरीज की कोई और कॉमिक्स पढ़ी हैं और वो आपको पसंद आई तो उनके नाम मुझे जरूर बताइयेगा।
तो यह थी दो थ्रिल सीरीज की कॉमिक्स जो इस हफ्ते मैंने पढ़ी। अभी और भी कॉमिक्स हैं जिन्हें जल्द ही पढूँगा।
राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित और कॉमिक्स भी मैंने पढ़ी हैं। अगर आप उनके प्रति मेरी राय जानना चाहते हैं तो निम्न लिंक पर क्लिक करके इसे पढ़ सकते हैं:
राज कॉमिक्स
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
सुन्दर समीक्षा ।
जी आभार।