पिछले हफ्ते जो भी पढ़ा गया अंग्रेजी में पढ़ा गया। चार लघुकथाएं पढ़ी और दो उपन्यास।
लघुकथाएं निम्न थी:
लघुकथाएं निम्न थी:
- The Evening Service by Hal Stephens
- Lure by D W Nathan
- A little Knowledge by T J Brown
- Blackwood Babies by R P Healy
यह चारों लघुकथाएं जब किंडल में डाउनलोड करी थी तब वह मुफ्त थी। सभी हॉरर थी और मुझे पंसद आई। इनके अलावा निम्न दो उपन्यास पढ़े:
- Skyfire by Aroon Raman
- The Case of Worried Waitress by Erle Stanley Gardner
वैसे मेरे औसत के हिसाब से पिछले हफ्ते मैंने काफी कम पढ़ा है। इस हफ्ते इस औसत को पटरी पर लाऊँगा। अब चूँकि पिछले हफ्ते अंग्रेजी काफी हो गया था तो इस हफ्ते की शुरूआत हिन्दी की कृतियों से करने का मन था।
पहले सुरेंद्र मोहन पाठक साहब की कोई थ्रिलर पढ़ने का विचार था लेकिन किताबों के ढेर में वो दिख नहीं रहे हैं और उस ढेर को मेरा अभी हाथ लगाने का मन नहीं है। वैसे पाठक साहब के थ्रिलर मेरे पास ई बुक रूप में भी हैं लेकिन अभी ई बुक पढ़ने का मन नहीं है क्योंकि इस महीने पाँच ई बुक पहले ही पढ़ चुका हूँ। इसलिए अब शुरुआत निम्न कृतियों से की है। इनको उठाने का क्राइटेरिया बस इतना था कि इन तक पहुँचने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।
- अनारो -मंजुल भगत
- लाश कहाँ छुपाऊँ – वेद प्रकाश शर्मा
जहाँ वेद जी को पहले पढ़ चुका हूँ वहीं मंजुल जी को पहली बार पढ़ना होगा। अनारो झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाली एक महिला है जो कि कोठियों में काम करके अपना जीवन यापन करती है।इसी थीम पर रामदरश मिश्र जी की बिना दरवाजे का मकान पहले पढ़ चुका हूँ। उसके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं।
अब देखना है यह दो कृतियाँ कैसी हैं??
आप लोगों ने पिछले हफ्ते क्या पढ़ा? और आप लोग इस हफ्ते क्या पढ़ने वाले हैं?? बताइये ज़रा।
विकास जी
दुई बात पढते पढते आपके ब्लॉग विकास बुक जनरल पर पहुंच गया।अभी आपकी कुछ समीक्षाएं पढी।बहुत बढ़िया लिखा है आपने।
मै जब 10 th क्लास में था तब मैंने लाश कहाँ छुपाऊ और इसका सेकंड पार्ट कानून मेरे पीछे पढा था।आज से दो साल पहले फिर वापिस पढा।लाश कहाँ छुपाऊ बहुत तेज रफ्तार और रोमांचक व रहस्यमय है। लेकिन मुझे सेकंड पार्ट में वह बात नहीं लगी।कहानी बहुत बेहतर हो सकती थी।ज्यादा बताऊँगा तो आपका पढने का रोमांच खत्म हो जाऐगा
मुझे आज भी याद है तब मैं बहुत छोटा था।और यह नावेल नही पढे थे।सुसनेर में उस समय एक मर्डर (**संजय हत्या कांड** सत्य कथा में भी छपा था)हुआ था।और कातिल ने लाश कहाँ छुपाऊ पढ कर उससे प्रेरणा लेकर उस तरह से मर्डर करने की कोशिश की थी।ऐसा लोग कहते थे।
तभी से मेरे मन में यह नावेल पढने की इच्छा थी।की वेद जी ने इस नावेल मे ऐसा क्या लिखा उसके बहुत समय बाद मेरे मामा के यहाँ यह नावेल मुझे मिला और मैने पढा था।
वाह!! यह तो आपने एक रोचक बात बताई। जी,आप इधर आये और अपने विचारों से अवगत करवाया उसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। मैंने लाश कहाँ छुपाऊँ तो पढ़ लिया है। जल्द ही कानून मेरे पीछे है पढ़ने का भी इरादा है।