संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | पृष्ठ संख्या: 32
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
बैरन राजा की बातें जनता तक पहुँचाने का काम करता है। वह राजा के भाषण लिखता है और अपने इस कार्य से खुश है। उसे पता है कि उसके राजा महान है और इसलिए यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह पूरी वफादारी से राजा की सेवा करे और लोगों को राजा की महानता के विषय में बताएँ।
लेकिन उसकी इस खुशहाल जिंदगी में तब उथल पुथल मच जाती है जब उसे एक दिन अपने दफ्तर में वह औरत दिखती है। वह औरत राजा के खिलाफ है और वह बैरन को उसके बारे में कुछ ऐसी चीजें बताती है जो कि उसकी जिंदगी बदलने की कूवत रखती हैं।
वह औरत कौन थी?
वह बैरन के पास क्यों आई थी?
उसने राजा के विषय में बैरन को क्या बताया?
मेरे विचार
ब्रेन्डन मेयर्स और ब्रायन पेडास की लिखी उपन्यासिका एम्पीरिकल एविडन्स भविष्य के किसी कालखण्ड में घटित होते हुए दिखती है। यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ पर एक राजा बेहद कठोरता से राज्य करता है। वह आस पास के इलाको को जीत चुका है और जहाँ कही भी उसने विद्रोह देखा है उसने अपने उच्च तकनीक वाले हथियारों और रोबॉट्स की मदद से दबा लिया है। विद्रोहियों को खुलेआम मारने में उसे सुकून मिलता है ताकि उसके राज्य के लोग भी जान सकें जो विद्रोह करता है उसका नतीजा क्या होता है।
बैरन इस राजा के लिए पिछले एक साल से काम करता आ रहा है। एक साल पहले वह क्या करता था उसे इसकी याद नहीं है और उसे उस भुला दी गयी जिंदगी से कोई लगाव भी नहीं है। वह अपने काम से खुश है और उसका काम राजा के विचारों को इस तरह से आम दुनिया तक लिखकर देना है कि राज्य की जानता राजा के प्रति वफादार रहे। बैरन अपने काम में अच्छा है और वह राजा का वफादार है और प्रस्तुत उपन्यासिका की कहानी हमें उसी के नजरिए से देखने को मिलती है।
कहानी चूँकि प्रथम पुरुष में है तो हम यहाँ घटित हो रही घटनाओं को बैरन की नज़रों से चीजें देखते हैं और जैसे जैसे घटनाएँ होती रहती हैं वैसे वैसे उसके मन में उमड़ते घुमड़ते भावों से परिचित होते हैं। हम उसका संशय, उसकी दुविधा और आखिर में उसका सच से सामना होना देखते हैं तो ऐसा लगता जैसे जैसे हम खुद उन भावनाओं से गुजर रहे हैं।
चूँकि यह एक उपन्यासिका है तो आपको इसमें उस दुनिया का एक अंश मात्र ही दिखता है। एक अधिनायकवादी राज्य किस तरह से कार्य करता है यह आपको दिखता है। चूँकि हमें यह दुनिया एक ऐसे व्यक्ति के नजरिए से दिख रही है जो कि इस व्यवस्था का समर्थक है तो जब सच्चाई उजागर होती है तो हमें वह ज्यादा प्रभावित करती है। अगर एक विद्रोही की नजरिए से हम इस चीज को देखते तो शायद हम उतने प्रभावित न हो पाते। कहानी का अंत भी आपको झटका देता है और आपको यह एहसास कराता है कि ऐसी दुनिया से बाहर निकलना इतना भी आसान नहीं है जितना की लगता है।
किरदारो की बात करूँ तो इसमें मुख्यतः दो किरदार बैरन और जोआन। बैरन कथावाचक है और चूँकि आप उसके नजरिए से चीजें देखते हो तो आप एक तरह का जुड़ाव उसके साथ महसूस करते हो। हाँ, कई बार उसके विचारों के विषय में पढ़कर थोड़ा कोफ्त होती है विशेषकर जब वह राजा का गुणगान करता रहता है लेकिन आपको पता रहता है कि यह उसके किरदार का एक महत्वपूर्ण गुण है जो कि कहानी के लिए जरूरी है।
जोआन की बात करूँ तो वह ताकतवर किरदार है। उसके विषय में पढ़ने के बाद उसकी जिंदगी के विषय में, विशेषकर उपन्यासिका में घटित होने वाली घटनाओ से कुछ महीने पहले की, ज्यादा जानने की इच्छा होने लगती है। उस दौरान की जोआन की जिंदगी के ऊपर लिखी कोई उपन्यासिका मैं जरूर पढ़ना चाहूँगा।
उपन्यासिका का कथानक सधा हुआ है और कहीं भी किसी तरह का भटकाव इसमें देखने को नहीं मिलता है। कहानी आपको बांधकर रखती है और भले ही यह कहानी एक काल्पनिक दुनिया में बसाई गयी हो लेकिन जैसे जैसे आप इसे पढ़ते जाते हैं वैसे वैसे इसमें दर्शाई गयी चीजें आपको अपनी वर्तमान दुनिया के समान लगने लगती हैं। बैरन और उसके जैसे कई लोगों की तरह हम लोग भी एक तरह के बुलबुले में जी रहे है। हमें इस बुलबुले के अंदर जो जानकारी दी जा रही है उस पर शायद ही हमारा नियंत्रण है। हमें लगता तो है कि हमें सब पता है लेकिन असल में हमें कितनी सही चीजें पता है और कितनी नहीं पता है इसका हमें कोई भी भान नहीं है। ऐसे हम सभी बैरन जैसे हो सकते हैं जिनका विश्वास किसी और के प्रोपोगाण्डा पर आधारित हो। और इस सबमें सबसे डरावनी बात यह होगी कि हममें से कई लोगों को इसका पता भी नहीं होगा जैसे बैरन को नहीं पता था। यह सोचने वाली बात है।
अंत में यही कहूँगा कि यह उपन्यासिका छोटी जरूर है लेकिन सोचने के लिए आपको काफी कुछ दे जाती है। अगर नहीं पढ़ी है एक बार पढ़कर देख सकते हैं।
पुस्तक के ऊपर अंग्रेजी में भी लेख लिखा है। वह लेख आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
Book Review: Empirical Evidence
पुस्तक लिंक: अमेज़न
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जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०८-०१ -२०२२ ) को
'मौसम सारे अच्छे थे'(चर्चा अंक-४३०३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चाअंक में प्रविष्टि को शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद…
सुंदर समीक्षा
जी आभार…