राही की कलम द्वारा सांप्रदायिकता की निरपेक्ष पड़ताल है ‘टोपी शुक्ला’

‘टोपी शुक्ला’ राही मासूम रज़ा  द्वारा लिखा गया उपन्यास है। उपन्यास 1969 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था और साठ के दशक के अलीगढ़ की कहानी बयान करता है।  राही मासूम रज़ा के इस उपन्यास पर आज एक बुक जर्नल पर पढ़िए गजानन रैना की यह संक्षिप्त टिप्पणी। 

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राही मासूम रज़ा | टोपी शुक्ला | Rahi Masoom Raza |  Topi Shukla

 ” इसी बाअस तो कत्ले आशिकाँ से मन्ना करते थे 

अकेले फिर रहे हो,  यूसुफे बेकारवाँ होकर “

ये वो शे’र है जो कथानायक पर ईंट की तरह फेंक कर मारते हैं लफंगे , उपन्यास  ‘टोपी शुक्ला’ के अंतिम पन्नों पर। 

यह किताब हमारे समय के सबसे बड़े प्रश्न पर चर्चा करती है। राही की कलम ने सर्जन के चाकू की तरह निरपेक्ष होकर इस मुद्दे की पड़ताल की है।

मुद्दा है सांप्रदायिकता ।

राही ने इस विमर्श के लिये जमीन चुनी है अपनी और डाक्टर कुँवरपाल सिंह की दोस्ती की कथा । यह राही के अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के दिनों की कहानी है ।

इस आख्यान में अनूठी कहन चुनी है राही ने । अपने हिस्से की कथा कही है हिन्दू चरित्र,  बलभद्र उर्फ टोपी के माध्यम से और डाक्टर कुँवरपाल सिंह की कही है, मुस्लिम चरित्र  सैयद जर्गाम उर्फ इफ्फन के माध्यम से।

इस कथा में बड़े मजे हैं भाई ।

एक हिन्दू महासभाई का जनसंघी बेटा पढ़ाई के लिये चुनता है मुस्लिम सांप्रदायिकता के ग़ढ़ अलीढ़ विश्वविद्यालय को।

एक मुस्लिम लड़की को दंगों में घर पहुँचाने में उसका हिन्दू भाई मारा जाता है ।

वो लड़की हिन्दुओं से नफरत करने लगती है । क्या सचमुच करने लगती है?

सांप्रदायिक दंगों में एक मुस्लिम कॉंग्रेसी मारा जाता है और उसकी मौत बलवे रोक देती है ।

उसके कातिलके खिलाफ उस कॉंग्रेसी नेता का हिन्दू दोस्त गवाही देकर  सजा दिलवाता है।

पढ़िये, राही की जादूबयाँ कलम से लिखी इस गाथा को, जहाँ काला सिर्फ काला नहीं है और सफेद बस सफेद नहीं ।

अँधेरों, उजालों के झुटपुटे से गुजरती इस कथा में कहीं आपके होठों पर मुस्कान आ जायेगी और कहीं आँखों में नमी ।

– रैना उवाच

पुस्तक विवरण:

पुस्तक: टोपी शुक्ला | लेखक: राही मासूम रज़ा | प्रकाशन: राजकमल प्रकाशन | प्रथम प्रकाशन: 1969 | पुस्तक लिंक: अमेज़न

टिप्पणीकार परिचय

गजानन रैना

गजानन रैना बनारस से हैं। वह पढ़ने, लिखने, फिल्मों  व संगीत के शौकीन हैं और इन पर यदा कदा अपनी खास शैली में लिखते भी रहते हैं। 
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About गजानन रैना

गजानन रैना का जन्म फिरोजपुर, पंजाब में  हुआ था। वह वाराणसी में पले, बढ़े हैं। काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से स्नातकोत्तर हैं। वह पढ़ने, लिखने, फिल्मों  व संगीत के शौकीन हैं और इन पर यदा कदा अपनी खास शैली में लिखते भी रहते हैं।  फ्रीलांस अनुवाद व संपादन आय का जरिया । हॉबी ज्योतिष।

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