फसाने जैसा फसानेकार: अगाथा और पोइरो

अगाथा और पोइरो; स्रोत: विकिपीडिया, पिक्साबे 

गजानन रैना साहित्यानुरागी हैं। साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखते रहते हैं। उन्होंने रहस्यकथाओं की रानी कही जाने वाली अगाथा क्रिस्टी और उनके जगप्रसिद्ध किरदार हरक्यूल पोइरो पर यह टिप्पणी भेजी है। आप भी पढ़िये। 

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जासूसी उपन्यासों के पितामह धे सर आर्थर कानन डायल। उनका पात्र शर्लाक होम्स जासूस का पर्याय ही बन गया। 

डायल से बस एक कदम पीछे थीं अगाथा क्रिस्टी । वे भी डायल की तरह ब्रिटिश थीं । उनका जन्म 1890 में हुआ था। लिखने का शौक था लेकिन प्रकाशकों ने उनकी छह किताबें ठुकरा दीं थीं ।

फिर सब बदल गया जब 1920 में  परिदृश्य में अगाथा के मानसपुत्र एरक्यूल पावो ( हरक्यूल पोइरो) ने कदम रखा।

उपन्यास था,  ‘द मिस्टीरियस अफेयर एट स्टाइल्स’

यह भी एक संयोग था कि अगाथा के पहले सुपर सफल उपन्यास का घटनास्थल था स्टाइल्स नाम का इन और अंतिम उपन्यास का भी।

अगाथा ने छाछठ उपन्यास लिखे। रेडियो,  थियेटर , टेलीविजन और फिल्मों,  सब जगह उनकी कृतियों ने रंग जमाया। एक समय इंग्लैंड की महारानी ने बी बी सी से अपने जन्मदिन के उपहार के रूप में अगाथा की नयी कृति माँगी थी।

अगाथा का शाहकार ‘मर्डर आफ रोजर एक्रायड’ सबसे अधिक अनुवाद होने वाला उपन्यास बना और क्राइम राइटर्स एसोसिएशन के छह सौ सदस्यों ने इसे सर्वश्रेष्ठ सस्पेंस नावेल माना।

उनका उपन्यास ‘एंड देयर वर नन’ विश्व की सबसे अधिक बिकने वाली किताबों में है।

उनका लिखा नाटक ‘माउसट्रैप’ विश्व रिकॉर्ड बना चुका है। यह नाटक 1952 से मार्च 2018 तक मंचित होता आया है, कुल उनतीस हजार के आसपास मंचन हुये हैं।

पचासी साल की उम्र में अगाथा को लगने लगा था कि विदाई का समय निकट आ रहा है। वे अपने  बाद अपने मानसपुत्र की छीछालेदर नहीं होने देना चाहती थीं । 

बेल्जियन, गंजे डिटेक्टिव एरक्यूल पावो (हरक्यूल पोइरो) के बत्तीस हिट 

उपन्यास आ कर धूम मचा चुके थे। 

अगर शर्लाक होम्स के साथ उनके दोस्त डाक्टर वाटसन थे तो एरक्यूल पावो (हरक्यूल पोइरो) के साथ डाक्टर हेस्टिंग्स थे जो कि हिंदुस्तान और अफगानिस्तान में ब्रिटिश फौज में सर्व कर चुके थे।

दूसरा स्थायी पात्र था कि  एरक्यूल पावो (हरक्यूल पोइरो) का वैलेट/ सेवक, जार्ज ।

पचासी साल की उम्र में अगाथा को अब एक ऐसा उपन्यास लिखना था जो कि उनकी और एरक्यूल पावो (हरक्यूल पोइरो), दोनों की इज्जत रख सके। यह उपन्यास एरक्यूल पावो (हरक्यूल पोइरो) का विदागीत होना था।

यह एक चुनौती थी और अब उम्र भी अगाथा के पक्ष में नहीं थी , लेकिन उन्होंने उपन्यास लिखा। 

हेस्टिंग्स को पावो (पोइरो) का निमंत्रण मिलता है कि, स्टाइल्स इन, जहाँ उनकी पहली मुलाकात हुई थी, आ कर मिले। वहाँ पहुँचने पर हेस्टिंग्स ने पाया कि पावो (पोइरो) इतना कमजोर हो चुका है कि व्हीलचेयर का मोहताज है। उसका विश्वस्त सहायक जार्ज उसके साथ नहीं है, है एक नया वैलेट।

हेस्टिंग्स पावो से यहाँ बुलाने की वजह पूछता है। 

पावो कहता है, “क्योंकि यहाँ एक हत्या होने वाली है और यह इकलौती हो, यह कतई जरूरी नहीं । हेस्टिंग्स, मेरे दोस्त,  कैरियर के इस मोड़ पर मेरी मुलाकात हुई है मास्टर क्रिमिनल से, परफेक्ट क्राइम के सूत्रधार से। दुनिया की कोई अदालत उसको सजा नहीं दे सकती। वो न हाथों का इस्तेमाल करता है, न जहर का और न ही हथियार का। उसका दिमाग ही उसका हथियार है।”

( और यह सच है। यह खलनायक ‌शेक्सपीयर के अमर पात्र इयागो की तरह काम करता है, यह दिमागों को संक्रमित कर अपना काम करवाता है।‌ इसके प्रभाव में आया व्यक्ति खून करता तो है लेकिन ‌हत्यारा हर बार खलनायक ही होता है।) 

यह उपन्यास पावो का विदागीत था। अपराधी को, कोई प्रमाण नहीं होते हुये भी,  पावो सजा दिलवाता है, सजा ए मौत, और इस प्रक्रिया में खुद जान से जाता है।

‘कर्टेन’ अगाथा का, पावो का आखिरी उपन्यास था।

जरूर पढ़िए।

 टिप्पणीकार परिचय

गजानन रैना
गजानन रैना बनारस से हैं। वह पढ़ने, लिखने, फिल्मों  व संगीत के शौकीन हैं और इन पर यदा कदा अपनी खास शैली में लिखते भी रहते हैं। 
एक बुक जर्नल में मौजूद उनके अन्य आलेख: गजानन रैना

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About गजानन रैना

गजानन रैना का जन्म फिरोजपुर, पंजाब में  हुआ था। वह वाराणसी में पले, बढ़े हैं। काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से स्नातकोत्तर हैं। वह पढ़ने, लिखने, फिल्मों  व संगीत के शौकीन हैं और इन पर यदा कदा अपनी खास शैली में लिखते भी रहते हैं।  फ्रीलांस अनुवाद व संपादन आय का जरिया । हॉबी ज्योतिष।

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