आजकल पढ़ रहा हूँ… (Currently Reading)

Guns and Thighs और लाल घाट का प्रेत
Guns and Thighs और लाल घाट का प्रेत

आजकल मुख्य रूप से दो किताबें एक साथ पढ़ रहा हूँ। मुख्य रूप से इसलिए क्योंकि इनके बीच kindle से डाउनलोड की कुछ एकल लघु-कथाएँ और लघु उपन्यास भी निपटा देता हूँ। खैर, किताबों पर आते हैं यह दो किताबें निम्न हैं:

लाल घाट का प्रेत – राज भारती 
गन्स एंड थाइस – राम गोपाल वर्मा 


राज भारती जी के काफी उपन्यास मेरे पास ऐसे रखे हैं जो बिना पढ़े रखे हुए थे। इस साल उनका एक भी उपन्यास पढ़ना नहीं हुआ तो सोचा क्यों न एक उपन्यास पढ़ ही लिया जाए। पिछले साल रंगमहल के प्रेत पढ़ा था।


लाल घाट का प्रेत अनिल चौधरी की कहानी है। अनिल एक फारेस्ट अफसर है जिसे उसकी इमानदारी का यह सिला मिलता है कि उसे लाल घाट जैसे बीहड़ इलाके में स्थानांतरित (ट्रान्सफर) कर दिया जाता है। लाल घाट के विषय में यह मान्यता है कि उधर प्रेतों का साया है। लाल घाट के लाल मन्दिर के मृत पुजारी भैरवदास के प्रेत की उधर पूजा होती है और उसका दर्जा उधर किसी भगवान से कम नहीं है। अनिल चौधरी जो कि इन दकियानूसी रिवाजों को नहीं मानता है उसे इससे फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन फिर उधर जाकर कुछ ऐसी परिस्थिति बन जाती हैं कि अनिल को भैरवदास के प्रेत से मुकाबला करना होता है। आगे क्या होता है यह तो आपको कहानी पढ़कर ही पता चलेगा?

मुझे पुरानी हॉरर फिल्में पसंद आती हैं और इस कारण ऐसे कथानकों का भी लुत्फ़ लेता हूँ। अभी इतना ही कहूँगा कि इसे पढ़ते हुए मजा आ रहा है।

दूसरी किताब Guns and Thighs राम गोपाल वर्मा जी की जीवनी है। यह किताब मूलतः अंग्रेजी में है। राम गोपाल वर्मा इनसान के तौर पर मुझे पसंद रहे हैं। उनके मन में जो होता है अधिकतर जबान पर भी वही होता है और इस कारण कई बार विवादों में वो फँस जाते हैं। उनकी जीवनी पढ़ने का इरादा काफी पहले से था और इस कारण जब मौका मिला तो अब पढ़ रहा हूँ। इससे पहले अमरीश पूरी जी की जीवनी The Act of Life का हिन्दी संस्करण जीवन का रंगमंच  पढ़ा  था जो मुझे बहुत पसंद आया था। कुछ और जीवनियाँ इसके बाद पढ़ने का इरादा है।

गन्स एंड थाइस की बात करूँ यह किताब छोटे छोटे अध्यायों में विभाजित है। यह अध्याय राम गोपाल वर्मा के जीवन के कई पहलुओं पर रोशनी डालते हैैं। उनकी फ़िल्मी सफर की शुरुआत कैसी हुई या पहले फिल्म को बनाने के पीछे उन्होंने क्या तिकड़म लगाई थी, या फिल्म इंडस्ट्री की क्रूरता को दर्शाने वाले उनके कैसे अनुभव रहे। सभी कुछ उन्होंने बहुत बेबाकी से इधर दर्ज किया है। बासु चटर्जी जी के ऊपर लिखा एक चैप्टर बहुत मार्मिक है जो फिल्म इंडस्ट्री की चमक दमक के पीछे छुपे क्रूर रूप को दर्शाता है। यहाँ केवल उगते सूरज को सलाम किया जाता है और जिसके सितारे बुलंदी पर नहीं होते उन्होंने भले ही कितना अच्छा काम किया हो उन्हें सभी नजरअंदाज कर देते हैं।

यह किताब मेरे पास अभी किंडल में है लेकिन जल्द ही इसका पेपरबैक एडिशन मैं जरूर खरीदूँगा। मुझे यह किताब संग्रहणीय लगी।

तो फिलहाल मैं यह सब पढ़ रहा हूँ? आजकल आप क्या पढ़ रहे हैं? टिप्पणी बॉक्स में दर्ज कर मुझे बताइयेगा। क्या पता मुझे मेरी अगली किताब मिल जाये?

© विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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5 Comments on “आजकल पढ़ रहा हूँ… (Currently Reading)”

  1. बहुत बढ़िया । हो सकता है आपने ये किताबें पढ़ी हो तीन किताबें जिनमें दो बिमल मित्र की – औरत का सफर व उनकी लोकप्रिय कहानियां हैं और एक रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी है ।

    1. बिमल मित्र जी के कुछ उपन्यास मैंने पढ़े हैं लेकिन उपरोक्त में से कोई किताब मैंने नहीं पढ़ी है। बताइयेगा आपको उपरोक्त किताबें कैसे लगी ?

  2. बताने के लिए आपकी विधा सीखनी पड़ेगी विकास जी । रश्मिरथी पद्य विधा में लिखा हुआ दिनकर जी का खंड काव्य है जो मुख्य रूप से कर्ण के चरित्र पर आधारित है लेकिन अन्य पात्रों के साथ साथ महाभारत कालीन राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं पर भी प्रकाश डालता है ।अगर आपने बारहवीं तक हिन्दी विषय पढ़ा है तो इसके कवितांश जरूर पढ़े होंगे । उपन्यास छूट गया बीच में … फिर शुरू करूंगी । कहानियों को आपके अनुसार 3.5 की श्रेणी में रखूंगी ।

    1. जी रश्मिरथी नहीं पढ़ी। जल्द ही पढ़ूँगा। उपन्यास जल्दी खत्म कीजियेगा। बिमल जी की कहानियों को मौका मिलते ही पढ़ता हूँ। 

  3. जी, यह किताब फिलहाल तो अंग्रेजी में ही है…

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