आखिरी पृष्ठ तक बाँधकर रखता है ‘राज का राज’ | राज कॉमिक्स | अनुपम सिन्हा

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | कथा: जॉली सिन्हा | चित्र: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विट्ठल कांबले | प्लैटफॉर्म: किंडल 

पुस्तक लिंक: अमेज़न

कहानी

देश के न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स में अजीब सी चीजें घटित हो रही थी। कोई था जो देश के विभिन्न न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में मौजूद यूरेनियम गायब कर रहा था। 

महानगर की बाहरी सीमा में मौजूद नरोरा पॉवर प्लांट के डायरेक्टर को जब अपने पॉवर प्लांट में ऐसा होने के आसार लगे तो उसने नागराज से मदद माँगने में भलाई समझी। 

नागराज आया भी और पॉवर प्लांट में मौजूद खतरे से टकराया भी लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको हैरान कर दिया। 

अचानक से नागराज गायब हो गया। राज की माने तो नागराज मर चुका था और नरोरा पॉवर प्लांट पर आए खतरे से राज ने सबको बचाया था। 

यही नहीं अब राज ने दुनिया पर राज करने की ठान लेनी थी और उसके आगे जो आता वह उसे कुचल देने वाला था। 

डरपोक राज के अंदर आए इन बदलावों ने सबको हैरान कर दिया था। 

वहीं नागराज के गायब होने  ने भी सभी को परेशान कर दिया था। 

आखिर नागराज कहाँ गायब हो गया था? 

डरपोक राज अचानक से इतना शक्तिशाली कैसे बन गया था? 

आखिर क्या था इस राज का राज? 

और क्या दुनिया पर होगा राज का राज?

मेरे विचार

किंडल पर मैंने उपन्यास, कहानियाँ इत्यादि तो काफी सारे पढ़ें हैं लेकिन कॉमिक बुक्स नहीं ही पढ़े थे। ऐसा नहीं था कि कोशिश नहीं की। मैंने कोशिश की थी और पाया था कि किंडल डिवाइस पर कॉमिक बुक पढ़ने का अनुभव उतना अच्छा नहीं था। आपको हर पैनल ज़ूम करना होता था क्योंकि जितना बड़ा पेज उसमें डाला था वह एक बार में साफ नहीं दिखाई देता है। ऐसे में मैं कभी किंडल में कोई कॉमिक पढ़ नहीं पाया। लेकिन हाल ही में ये बदला। इन दिनों मैंने किंडल के एप्लीकेशन को अपने लैपटॉप पर भी इंस्टॉल किया हुआ है। ऐसे में जब राज का राज किंडल पर मुफ़्त मिलते देखी तो लैपटॉप वाले एप्लीकेशन पर ही उसे खोल लिया और नतीजा अच्छा रहा। मैंने ये पाया कि किंडल डिवाइस की तुलना में लैपटॉप पर कॉमिक पढ़ना बहुत ज्यादा बेहतर अनुभव था। चूँकि स्क्रीन बड़ी है तो आपको बार बार ज़ूम इन और ज़ूम आउट नहीं करना पड़ता है। पूरा पेज एक बार में ही ऐसा दिख जाता है कि हर पैनल साफ नजर आता है। यही कारण था कि मैं राज का राज के पृष्ठ पलटते चला गया और इस कॉमिक का भरपूर आनंद मैंने लिया। इस कॉमिक को पढ़कर ये तो पक्का हो गया है कि किंडल में मौजूद दूसरे कॉमिक भी मैं पढ़ूँगा। 

कॉमिक बुक की बात करें तो राज का राज नागराज शृंखला का कॉमिक बुक है। इसकी कथा जॉली सिन्हा जी द्वारा लिखी गयी है। अगर आपने नागराज के कॉमिक बुक पढ़ें हैं तो आप यह तो जानते ही होंगे कि राज नागराज का ऑल्टर ईगो है। राज के रूप में ही नागराज भारती कम्यूनिकेशंस में पत्रकार की हैसियत से कार्य करता है। वहीं नागराज ने उसकी छवि एक डरपोक पत्रकार की रखी है जो छोटी छोटी चीजों से भी डर जाता है। 

ऐसे में जब कॉमिक के आवरण चित्र पर और फिर उसके पहले चित्र पर भी आप नागराज और राज को आमने सामने देखते हैं तो कॉमिक पढ़ने के लिए लालायित हो जाते हो। आखिर ऐसा क्या हुआ कि नागराज का ऑल्टर ईगो उससे अलग हो गया है? और वह उसके खिलाफ क्यों लड़ रहा है? क्या ये असल में राज है या उसके भेष में कोई बहरूपिया? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिसके उत्तर जानने के लिए आप कॉमिक के पृष्ठ पलटते चले जाते हो। 

लेकिन यहाँ मैं बता दूँ राज और नागराज का आमना सामाना इस कॉमिक में आधे कॉमिक के गुजरने के बाद ही होता है। नागराज के राज के सामने पड़ने और उससे भिड़ने से पहले भी काफी एक्शन कॉमिक में घटित होता है। वह कॉमिक की शुरुआत में एक विशालकाय बिच्छू और एक खलनायक रिएक्टर से भिड़ता हुआ दिखता है। यह दोनों खतरनाक विलन हैं और नागराज इनसे कैसे जूझता है यह देखना रोमांचकारी रहता है। 

वहीं जब राज़ नागराज के सामने आता है तो राज उस पर भारी पड़ता ही दिखता है। राज और नागराज के बीच यह युद्ध आपको एज ऑफ द सीट थ्रिलर का अनुभव देता है। नागराज किस तरह से राज की चालों का सामना करता है यह देखना रोचक तो रहता ही है वहीं यह रहस्य भी आपके दिमाग में कुलबुलाता रहता है कि आखिर राज का राज क्या है? 

कथानक के विषय में यही कहा जा सकता है कि यह पूरा पैसा वसूल है। इसमें रहस्य भी है और रोमांच भी। एक अच्छी कहानी के लिए जितना जरूरी ताकतवर नायक होता है उतना ही जरूरी उसको टक्कर देते खलनायक होते हैं। नागराज के इस कॉमिक में पाठक को तीन ऐसे खलनायक (दैत्याकार बिच्छू, रिएक्टर, राज) मिलते हैं जो कि नागराज को केवल टक्कर ही नहीं देते हैं वरन कई बार लगता है कि उसको हरा भी देंगे। वहीं इस कॉमिक में कुछ ऐसे प्रसंगों का जिक्र भी है जो नागराज की पुरानी कॉमिक विशेषकर इच्छाधारी पढ़ने की इच्छा भी मन में जगा देता है। 

कथानक की कमी की बात करूँ तो एक ही चीज थी जो मुझे खली। कॉमिक में शुरुआत में एक बिच्छू है जिससे नागराज टकराता है। इस विशालकाय का बिच्छू के जन्म और उसके महानगर में आने का कोई पुख्ता कारण कॉमिक में पता नहीं चलता है। क्या उसका रिएक्टर से कोई लेना देना था? इस पर भी रोशनी नहीं डाली गई है।  बस एक तरह का अंदेशा व्यक्त कर दिया जाता है। 

हाँ, कॉमिक में एक प्रसंग है जिसमें नागराज बच्चों के लिए झूले बनाता है और ये झूले साँप से बने होते हैं। उन बच्चों का तो पता नहीं लेकिन मैं बचपन में साँप के बने झूले में कभी नहीं बैठता। यह साँप का डर नहीं है। साँप को अगर आपने छुआ है तो आप जानते होंगे कि वह कितना लिसलिसा जीव होता है। उसकी खाल को छूना उतना अच्छा अनुभव नहीं होता है। ऐसे में इतने साँपों के ऊपर खेलना अपने से तो न हो पाएगा। वह लिसलिसापन। सोचकर भी झुरझुरी हो जाती है। सचमुच वो बच्चे बहुत बहादुर होंगे जो ऐसा करेंगे।

कॉमिक की आर्टवर्क की बात करूँ तो इसमें आर्टवर्क अनुपम सिन्हा का है। वह अनुभवी चित्रकार हैं और आर्टवर्क कहानी के साथ न्याय करता है। वह कहानी को उठाता ही है। 

कॉमिक के इस संस्करण में कुछ कमियाँ प्रकाशक की भी थी। प्रकाशक ने शायद किसी और व्यक्ति की स्कैन की हुई कॉपी किंडल में अपलोड की है। यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि कॉमिक के पृष्ठों के ऊपर amaan नाम का वाटरमार्क देखा जा सकता है। वहीं कुछ पृष्ठों के कुछ पनेल्स के स्कैन धुंधले हैं जो कि दर्शाते हैं कि कॉमिक बुक स्कैन करते हुए और उसे अपलोड करते हुए क्वालिटी टेस्टिंग नहीं हुई है। प्रकाशक को इससे बचना चाहिए। यह पढ़ने का अनुभव बिगाड़ता है और प्रकाशन के गैरजिम्मेदाराना रवैये को भी उजागर करता है। 

राज का राज - समीक्षा | comic book review
वाटरमार्क

राज का राज समीक्षा | comic book review: raj ka raj
धुँधले पैनल्स

अंत में यही कहूँगा कि राज का राज जॉली सिन्हा की एक शानदार लेखनी से निकला जानदार कॉमिक है। मुझे तो यह काफी पसंद आया और इसने मेरा भरपूर मनोरंजन किया। आपने अगर नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़कर अवश्य देखें। उम्मीद है निराश नहीं होंगे। 

अगर आपने यह कॉमिक पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? कॉमिक के विषय में अपनी राय जरूर दीजिएगा। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “आखिरी पृष्ठ तक बाँधकर रखता है ‘राज का राज’ | राज कॉमिक्स | अनुपम सिन्हा”

  1. इस काॅमिक्स को प्रथम संस्करण पर ही पढा था। इस बात को लम्बा समय बीत गया।
    काॅमिक्स और समीक्षा दोनों रोचक हैं।

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