संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: सुपर कमांडो ध्रुव
टीम:
कहानी: जॉली सिन्हा | आर्ट: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विनोद कुमार, विट्ठल कांबले | सुलेख एवं रंज संयोजन: सुनील पांडेय
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
एक बार फिर ध्वनिराज आ गया था राजनगर। उसे पूरा यकीन था कि वह इस बार दुनिया को अपने घुटनों पर झुका देगा। उसके पास था ऐसा हथियार जिसके बल पर वह दुनिया का राजा बनने का सपना देख रहा था।
और अपने इस हथियार के पहले प्रयोग के लिए उसने राजनगर को चुना था।
यह हथियार था कालध्वनि।
आखिर क्या था ये कालध्वनि?
क्या ध्रुव राजनगर को ध्वनिराज के कहर से बचा पाया?
विचार
‘कालध्वनि’ राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित विशेषांक है। यह सन 2000 में पहली दफा प्रकाशित की गई थी।
अपनी बात करूँ तो मुझे राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित विशेषांक पढ़ना उनके सामान्य अंक पढ़ने से बेहतर लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आपको अक्सर एक ही अंक में पूरी कहानी मिल जाती है। इसके बनिस्पत 32 पृष्ठ में पूरी कहानी आने की संभावना कम होती है। ऐसे में कई बार होता है कि आपको एक भाग तो पढ़ने को मिल जाता है लेकिन दूसरा नहीं मिल पाता है। इसके अलावा अगर 32 पृष्ठ में कहानी खत्म भी हो गई तो कई बार वह आपको उस तरह से संतुष्ट नहीं कर पाती है। कई बिन्दु ऐसे आपको मिल जाते हैं जिनको लेखक द्वारा सरसरी तौर पर छुआ गया होता जबकि उनको थोड़ा विस्तार देने की जरूरत होती है। यह सब समस्याएँ अक्सर 64 पृष्ठ वाले विशेषांकों में नहीं मिलते हैं। प्रस्तुत कॉमिक बुक विशेषांक ‘कालध्वनि’ की बात की जाए तो इस पर भी यह बात लागू होती है। आपको इस विशेषांक में काफी कुछ पढ़ने को मिल जाता है।
कॉमिक बुक की शुरुआत ग्रेंड मास्टर रोबो की बेटी कमांडर नताशा की प्रयोगशाला से होती है। नताशा अपने विज्ञानिकों की मदद से एक ऐसा धातु वायब्रेनियम बना चुकी है जिसे वह अपराधियों को बेचकर काफी पैसे कमा सकती है। लेकिन ध्वनिराज के कुछ और इरादे हैं। ध्वनिराज प्रयोगशाला में हमला करता है और ध्रुव के बीच में आने के बावजूद वह वाइब्रेनियम तो उड़ा ही देता है साथ ही ध्रुव को ऐसी क्षति पहुँचा देता है जो कि ध्रुव के लिए असहनीय हो उठती है। लेकिन ध्वनिराज का मकसद वायब्रेनियम को खाली चुराना नहीं है बल्कि उसकी मदद से एक ऐसा प्रलयंकारी हथियार कालध्वनि बनाना है जिससे वह धरती पर कब्जा कर सके। वह ऐसा कैसे करना चाहता है? नताशा अपने पर हुए इस हमले का बदला कैसे लेती है? धविनराज और उसके बीच टकराव का क्या नतीजा निकलता है? ध्रुव ध्वनिराज को रोकने के लिए क्या क्या करता है? ध्रुव और ध्वनिराज की इस लड़ाई में ध्रुव को किन किन मुसीबतों से गुजरना पड़ता है? यह सब ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब यह कॉमिक बुक देता है।
यह एक एक्शन से भरपूर कॉमिक बुक है जहाँ तीसरे पृष्ठ से ही एक्शन शुरू हो जाता है और अंत तक बना रहता है। कम ही पृष्ठ ऐसे हैं जहाँ कुछ न कुछ एक्शन हो रहा है। ऐसे में एक्शन पसंद करने वाले पाठकों का यह भरपूर मनोरंजन करने में सफल होगा।
ध्वनिराज पहली दफा ‘आवाज की तबाही’ में आया था। मैं यह कॉमिक बुक काफी पहले पढ़ा था और अब इतना इसके विषय में याद नहीं है लेकिन यह मुझे पता है कि ध्वनिराज ध्वनि तरंगों का प्रयोग करके हथियार बनाने में माहिर हैं। यह हथियार किसी को भी छठी का दूध याद दिलाने की कुव्वत रखते हैं। यह सब हथियार भी ‘कालध्वनि’ में दिखते हैं। नींद लाने वाला संगीत, सोनिक कैनन, सोनिक बैट, निनाद, कालध्वनि जैसे हथियार ध्वनिराज ध्रुव के खिलाफ प्रयोग करता है। ध्रुव दिमाग का प्रयोग कर कैसे इनसे पार पा पाता है यह देखना रोचक रहता है।
एक्शन के साथ साथ भावनात्वक पहलू भी इस कॉमिक बुक में दिखने को मिलता है। नताशा के लिए ध्रुव के मन में कैसे भाव हैं यह देखना भी रोचक रहता है। ध्रुव का नताशा के लिए स्नेह देखकर तो ध्वनिराज को भी कहना पड़ता है:
यह तो गुस्से से पागल हो रहा है। शायद नताशा इसको जरूरत से ज्यादा प्यारी थी! यह तो सचमुच मुझे लंगड़दीन बना देगा!
ध्वनिराज का ऊपर दिया डायलॉग पढ़कर तो एक बार को मेरी हँसी भी निकल आई थी और घर वालों को मुझसे पूछना पड़ा था कि मैं क्यों हँस रहा हूँ। ध्वनिराज को यह क्यों कहना पड़ा? नताशा को आखिर क्या हुआ था? यह सब आप कॉमिक बुक पढ़कर जानें तो अच्छा रहेगा।
अक्सर ध्रुव के कॉमिक बुक में ध्रुव और श्वेता के बीच की चुहलबाजी हास्य पैदा करती है। श्वेता इस कॉमिक बुक में चंद ही पैनल के लिए आती है। उसमें हास्य के तत्व हैं लेकिन उस समय माहौल इतना संजीदा रहता है कि चुहलबाजी के लिए ज्यादा जगह नहीं रहती हैं।
कहानी के बाकी किरदार कथानक के अनुरूप हैं। सोनिक बैट, निनाद रोचक किरदार हैं जो कि कहानी में मनोरंज के तत्व बढ़ाने में सफल होते हैं।
कहानी की कमी की बात करूँ तो कहानी में एक ट्विस्ट आखिर में आता है। यहाँ ध्रुव और एक किरदार मिलकर पेंट के माध्यम से मुख्य खलनायक की आँखों में धूल झोंकते हैं। जहाँ यह प्रसंग घट रहा होता है वह आम आबादी से दूर समुद्र के बीच स्थित एक टापू होता है। इसके साथ ही ध्रुव जिस किरदार के साथ मिलकर यह खेल खेलता है उसके विषय में उसे पता नहीं होता है कि ऐसी कुछ नौबत आ सकती है या नहीं। साथ ही उस वक्त स्थति ऐसी रहती है कि ध्रुव का जल्द से जल्द कुछ करना जरूरी रहता है। ऐसे में अचानक से पेंट की उलब्धता होना और इतनी जल्दी उसका इस तरह से प्रयोग करना कि ध्रुव का काम बन जाए थोड़ा सा पचने लायक नहीं लगता है। ऐसा लगता है कि लेखक ने कथानक को ट्विस्ट देने के लिए आसान सा रास्ता चुना है। अगर इससे इतर कोई दूसरा रास्ता चुनकर यह काम करते तो बेहतर होता। मसलन, जिस किरदार की बात इधर हो रही है उसके दिमाग को कोई और नियंत्रित कर रहा होता है। ध्रुव अगर दिमाग पर मौजूद नियंत्रण को किसी तरह हटवा देने में सफल होता तो शायद बेहतर रहता। वह ज्यादा आसानी से पचने वाला ट्विस्ट होता।
कॉमिक बुक के चित्रों की बात करूँ तो यह अनुपम सिन्हा द्वारा किया गया है। आर्टवर्क ठीक है। ध्रुव और नताशा के क्लोज़ अप वाले इक्का दुक्का पैनल ऐसे हैं जो थोड़ा बेहतर बन सकते थे लेकिन कथानक के फ़्लो में वो नोटिस नहीं होते हैं। जब आप आलोचनात्मक नजरिए से आर्ट पर नजर फिराते हैं तभी ही दिखते हैं तो मुझे नहीं लगता कि यह इतनी बड़ी कोई कमी है। आर्टवर्क कथानक के साथ न्याय करता है और कथानक मनोरंजक है तो इतना मेरे लिए चल जाता है।
अंत में यही कहूँगा कि ‘कालध्वनि’ एक एक्शन से भरपूर कथानक है। ध्रुव के सामने लगातार आती मुश्किलें कथानक में रोमांच की कमी नहीं होने देती हैं। अगर नहीं पढ़ा है तो पढ़ कर देख सकते हैं आप। मुझे उम्मीद है जितना इसने मेरा मनोरंजन किया उतना ही आपका भी करेगी।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
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