संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | प्रकाशक: प्रिंस कॉमिक्स | पृष्ठ संख्या: 11 | लेखक: अंसार अख्तर | चित्रकार: हुसैन जामिन | संपादक: मोहित मिश्रा
कहानी
अश्वजीत राणा एक जाना माना सॉफ्टवेयर इंजीनियर था जो कि अपने क्षेत्र में काफी सफल समझा जाता था। ऐसे में जब उसे एक सॉफ्टवेयर के बारे में संदेश आया तो उसने उसे झट से मंगवा लिया।
सॉफ्टवेयर वालों की माने तो उनका यह सॉफ्टवेयर ‘जिन्न’ किसी भी कंप्यूटर को सुपर कंप्युटर में बदल सकता था।
आखिर सॉफ्टवेयर में ऐसा क्या था?
क्या अश्वजीत का कंप्यूटर असल में सुपरकंप्यूटर बन पाया?
इस सॉफ्टवेयर के आने से अश्वजीत के जीवन में क्या बदलाव हुआ?
विचार
जैसे जैसे तकनीक विकसित हो जा रही है मनुष्यों की उस पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। आज कल ऐसा हो गया है कि सभी उपकरण स्मार्ट होते जा रहे हैं। फिर वह चाहे वह आपका फोन हो, फ्रिज हो, टीवी हो, घर की सुरक्षाव्यवस्था हो, गाड़ी हो या आपका कॉफी मैकर जैसी छोटी चीज ही क्यों न हो। इन सभी उपकरणों को स्मार्ट बनाने के पीछे कंप्यूटर हैं जो कि एक नेटवर्क से जुड़े हुए होते हैं। हम मनुष्य इन उपकरणों के इतने आदि हो गए हैं कि इनके बिना गुजारा मुश्किल लगने लगा। लेकिन क्या हो जब यह नेटवर्क ही हमारे खिलाफ हो जाए। ऐसे में व्यक्ति के साथ क्या क्या हो सकता है इसी की कल्पना प्रस्तुत कॉमिक बुक जिन्न में की गयी है। ऐसा नहीं है कि ऐसी कहानियाँ मैंने पढ़ी नहीं है या ऐसी चीजें देखी नहीं है। एशलोन कॉन्सपिरेसी (echelon conspiracy) नामक फिल्म और डीन कून्टज की डीमन सीड (demon seed) नामक उपन्यास में मैं ऐसा देख और पढ़ चुका हूँ।
जिन्न के केंद्र में अश्वजीत राणा नाम का व्यक्ति है जिसे जब एक सॉफ्टवेयर जिन्न के विषय में संदेश आता है तो वह उसे मँगवा लेता है। इसके बाद जो होता है वही कथानक बनता है। कहानी लेखक द्वारा इस तरह से लिखी है कि आप व्यक्ति के साथ क्या हुआ ये जानने के लिए इसे पढ़ते चले जाएंगे। कहानी का कान्सेप्ट काफी अच्छा है लेकिन चूँकि लेखक ने इसे 11 पृष्ठ में ही खत्म कर दिया है तो कुछ प्रश्न इसमें भी अनुत्तरित रह जाते हैं। जैसे: जिन्न खरीदने का संदेश क्या अश्वजीत के अलावा भी किसी और को आया या उसे ही आया अगर किसी और को भी आया तो उनके साथ क्या हुआ? अगर केवल अश्वजीत को आया तो उसे ही क्यों आया? यह सॉफ्टवेयर बनाया किसने था? उनका इसके पीछे मकसद क्या था?
वैसे अगर एक लघु-कथा के रूप में देखा जाए तो यह कथा रोचक है लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि शायद ही पाठक कहानी से पूरी तरह से संतुष्ट हो पाएंगे।
वहीं इसका अंत भी जल्दबाजी में किया गया लगता है। ऐसा लगता है जैसे किसी बड़ी कहानी का टुकड़ा ही आपके सामने प्रस्तुत किया गया हो। काफी कुछ ऐसा है जिसे कि लेखक अभी लिख सकते हैं।
कॉमिक बुक का नाम भी अटपटा है। इसका नाम जिन्न आकर्षित करता है लेकिन कायदे से इसका नाम जिन होना चाहिए था क्योंकि सॉफ्टवेयर ‘GIN’ रहता है। अगर इसका नाम जिन्न रखने के पीछे कोई और पुख्ता वजह होती तो शायद बेहतर होता।
कॉमिक बुक के आर्ट की बात करूँ तो इसका आर्ट हुसैन जामिन द्वारा बनाया गया है। आर्टवर्क अच्छा है और बाल पत्रिकाओं में मौजूद कॉमिक स्ट्रिप्स की याद दिलाता है। मुझे ऐसा आर्ट पसंद आता था।
अंत में यही कहूँगा कि जिन्न एक रोचक कान्सेप्ट पर लिखा गया कॉमिक है जिस पर लेखक थोड़ा और विस्तृत तौर पर लिखते तो बेहतर हो सकता था। एक लघु-कॉमिक बुक के रूप में इसे एक बार पढ़ सकते हैं।
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