गोल्डन फाइव के कारनामें – नेहा अरोड़ा | फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 148 | प्रकाशक: फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स | शृंखला: गोल्डन फाइव #1 

पुस्तक लिंक: अमेज़न 

गोल्डन फाइव के कारनामें - नेहा अरोड़ा | फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स

फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन द्वारा प्रकाशित  ‘गोल्डन फाइव के कारनामें’ में नेहा अरोड़ा के दो लघु उपन्यासों को संकलित किया गया है। इसमें विवान, मान्या, हेयांश, किमाया और करनव के कारनामें हैं जो कि आपस में दोस्त हैं। वह खुद को गोल्डन फाइव कहते हैं और उन्हें रहस्यमय मामलों को सुलझाना पसंद है। इस पुस्तक में उनके पहले दो कारनामें ‘खजाने का रहस्य’ और ‘चमकते पत्थर का रहस्य’ को संकलित किया गया हैं। 

खजाने का रहस्य

कहानी 

दिसंबर के उस दिन उठकर विवान ने देखा कि धूप निकली हुई थी और यह दिन क्रिकेट खेलने के लिए बहुत ही अच्छा था। ऐसे में जब उसने अपने दोस्तों मान्या, हेयांश , किमाया और करनव को अपनी योजना के विषय में बताया तो वो भी क्रिकेट खेलने के लिए तैयार हो गए। 

खेल शुरू ही हुआ था कि गेंद ग्राउन्ड के नजदीक मौजूद एक पुरानी इमारत के भीतर जाकर खो गई। 

इसी इमारत में उन्हें वो मिला जिसने उन्हें एक रहस्यमय सफर पर जाने के लिए मजबूर कर दिया।  

आखिर इन दोस्तों को ऐसा मिला? 

वो कौन था सफर था जिस पर वो चल पड़े?

 

किरदार

विवान, मान्या, हेयांश, किमाया, करनव – पाँच दोस्त 
 नेहा, अमित – करनव के माता पिता 
वंदिता, कार्तिक – किमाया के माता-पिता 
चित्रा, विकल्प – विवान के माता-पिता 
पूनम शर्मा – एक पुरातत्त्ववेत्ता जो कि एएसआई में अफसर थीं और बच्चों के माता पिता की दोस्त थी 
मनीषा,मनीष – हेयांश की मम्मी-पापा  
रुचि, मनमोहन – मान्या के मम्मी-पापा 

मेरे विचार 

‘खजाने का रहस्य’ गोल्डन फाइव का पहला कारनामा है जहाँ न केवल पाठकों से गोल्डन फाइव के सदस्यों का परिचय करवाया जाता है बल्कि साथ में ये दर्शाया जाता है कि ये नाम कैसा पड़ा। 

खेल के दौरान मिली एक चीज बच्चों के मन में इतनी जिज्ञासा जागृत कर देती है वो लोग उस जिज्ञासा को शांत करने जयपुर पहुँच जाते हैं। यह जिज्ञासा वो जिस तरह शांत करते हैं वही कहानी बनती है। 

चूँकि लघु उपन्यास का शीर्षक ‘खजाने का रहस्य’ है तो ये तो साफ पता ही लगता है कि वो लोग किसलिए जयपुर पहुँचे होंगे। ये खजाना क्या रहता और बच्चे अपनी सूझबूझ से इस रहस्य का पता लगाते हैं ये देखना रोचक रहता है। इसके साथ साथ कथानक में पिरोई गई ऐतिहासिक जानकारी पाठकों का ज्ञानवर्धन करने के काम भी आती है। साथ ही कुछ प्रसंगों से यह भी दर्शाती है कि कैसे कई मामलों में हमारे पूर्वज हमसे आगे थे।  

गोल्डन फाइव पाँच दोस्तों का समूह है जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में रुचि है। इन रुचियों का प्रयोग वो मामले को सुलझाने में भी करते हैं। बालपन में जिस तरह की चुहलबाजी दोस्तों के बीच होती है वह भी इनमें होती है जो कि अपने बचपन की याद वयस्क पाठकों को दिलवाएगी और बच्चों का किरदारों से जुड़ाव महसूस करवाएगी। करनव और किमाया के बीच की नोकझोंक पढ़ने में मज़ा आता है।

लेखिका ने बच्चों पर तो ध्यान दिया ही है साथ साथ उनके अभिभावकों को भी ऐसे चारित्रिक गुण दिए हैं जो कि कथानक को रोचक बनाते हैं। ये सभी किरदार जीवंत लगते हैं।

लघु उपन्यास की कमी की बात करूँ तो इसमें बच्चे के सामने रहस्य तो रहता है लेकिन कोई खलनायक नहीं रहता है। खलनायक के नदारद होंने के चलते रोमांच की थोड़ा कमी इसमें दिखती है। अगर बच्चे किसी से प्रतिस्पर्धा करते दिखते तो बेहतर होता। मसलन पूनम का कोई खडूस बॉस जो कि बच्चों से पहले खजाने का पता लगाकर वाहवाही और शौहरत बटौरने का इच्छुक होता तो एक तरह से बच्चों को उससे पहले रहस्य सुलझाना पड़ता जिससे कथानक और रोमांचक हो सकता था। ऐसा कुछ लेखिका सोचती तो कथानक न केवल अधिक पृष्ठों का होता बल्कि साथ में रहस्य के साथ रोमांच भी इसमें समाहित होता जो कि रचना को और अच्छा बना देता। 

अगर इस चीज को छोड़ दिया जाए तो गोल्डन फाइव के शुरुआती कारनामें के तौर पर यह एक रोचक रचना है जो कि गोल्डन फाइव और उनके माता पिता से परिचय करवाने में सफल होता है। कहानी में रहस्य छोटा है लेकिन बच्चों को उसे सुलझाते देखना मनोरंजक रहता है। बच्चों को यह पसंद आएगा।

चमकते पत्थर का रहस्य 

कहानी 

उत्तराखंड का छोटा सा गाँव रामपुर आजकल चर्चा का केंद्र बना हुआ था। 

वहाँ एक ऐसा चमकता पत्थर मिला था जिसके बारे में कहा जाता था कि वह सबकी मनोकामना पूरा कर देता है। 

पत्थर ने देश का ध्यान तो अपनी ओर आकर्षित किया ही था साथ में गोल्डन फाइव का ध्यान भी आकृष्ट किया था। 

वो भी इस चमकते पत्थर को देखने और उसके चमकने का कारण जानने के लिए लालायित हो गए थे। 

आखिर क्या था चमकते पत्थर का रहस्य?

क्या गोल्डन फाइव इस रहस्य का पता लगा पाए?

किरदार 

विवान, मान्या, हेयांश, किमाया, करनव – पाँच दोस्त 
 नेहा, अमित – करनव के माता पिता 
वंदिता, कार्तिक – किमाया के माता-पिता 
चित्रा, विकल्प – विवान के माता-पिता 
मनीषा,मनीष – हेयांश की मम्मी-पापा  
रुचि, मनमोहन – मान्या के मम्मी-पापा 
अभिषेक – रामपुर के मुखिया 
विद्या – अभिषेक की पत्नी 

मेरे विचार

‘चमकते पत्थर का रहस्य’ गोल्डन फाइव के कारनामें में संकलित दूसरी रचना है। कहते हैं भारत एक समय में कई कालों में जीता है। जहाँ एक तरफ यहाँ लोग तकनीक का प्रयोग कर वक्त के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चलते हैं वहीं कई जगह अंधविश्वास का इतना बोल बाला है कि लगता है कि जैसे वहाँ समय न जाने कौन सी सदी में अटक गया है। लोग आज भी अंधविश्वास से इस तरह जकड़े हुए हैं कि कई बार उनका इस कारण दोहन होता है। ‘चमकते पत्थर का रहस्य’ में इसी बात को रेखांकित किया गया है। 

यह गोल्डन फाइव का दूसरा कारनामा है। अपने पहले कारनामें के चलते गोल्डन फाइव को रहस्यमय कारनामों को सुलझाने की लत लग गई है लेकिन काफी समय गुजरने के बाद भी उनके साथ में कुछ नहीं लग पाता है। ऐसे में जब सब परेशान होने लगते हैं तो उन्हें रामपुर के चमकते पत्थर के विषय में पता चलता है और वो लोग इस रहस्य को सुलझाने निकल पड़ते हैं। जहाँ पहली रचना में विवान के पिता विकल्प की दोस्त पूनम ने उनकी मदद की वहीं इस रचना में करनव के पिता अमित के दोस्त अभिषेक के घर बच्चों को जाने का मौका मिलता है। वह लोग किस तरह चमकते पत्थर के रहस्य तक पहुँचते हैं और किस तरह इसे सुलझाते हैं यह देखना रोचक रहता है। इसके साथ साथ नया मामला मिलने पर ये लोग अपनी अपनी खूबियों का प्रयोग किस तरह उसे सुलझाने में करते हैं यह देखना भी रोचक रहता है। 

बच्चों के बीच की चुहलबाजी मनोरंजन करती है। जहाँ तक रहस्य की बात है। अंधविश्वास के कारण भोले भाले मनुष्यों का दोहन करने को लेकर कई कथानक लिखे गए हैं। ये भी इसी श्रेणी में आएगा। रहस्य सरल है और उसका पता संयोग से लग जाता है। अगर बच्चों को थोड़ा और मेहनत करनी पड़ती तो बेहतर होता। इसके साथ साथ इस लघु उपन्यास में खलनायक जरूर हैं लेकिन उनके और बच्चों के बीच और रोमांचक प्रसंग डाले जा सकते थे। फिर भी रहस्य के साथ थोड़ा रोमांच इसमें मौजूद है। 

हाँ, चूँकि उपन्यास का कथानक एक पहाड़ी गाँव का है तो एक चीज मुझे थोड़ी अटपटी लगी। गढ़वाल और कुमाऊँ में घर भले ही बड़े बड़े हो लेकिन कमरे ज्यादा ऊँचे ऊँचे नहीं होते हैं। वो इसलिए भी क्योंकि उधर ठंड अधिक होती है और ऊँचे ऊँचे  कमरे अधिक ठंडे होते हैं। चूँकि अभिषेक की हवेली पुश्तैनी थी तो वहाँ का विवरण पहाड़ी घरों के हिसाब से होता तो अच्छा होता। 

उतराखंड के पारंपरिक घर स्रोत: उत्तराखंड न्यूज

हमारा गाँव का घर 

दोनों ही रचनाओं में चित्र भी मौजूद हैं। दीपक आईडी द्वारा बनाए गए चित्र कहानी पढ़ने के अनुभव को बढ़ा देते हैं। 

अंत में यही कहूँगा कि चमकते पत्थर का रहस्य एक रोचक उपन्यास है। बच्चों को ये पसंद आएगा। हाँ, इसमें चीजें बच्चों के लिए थोड़ा आसानी से ही सुलझ गई। उन्हें थोड़ा मुश्किल आई होती तो कथानक और रोमांचक बन सकता था। तब वयस्कों को भी ये अधिक पसंद आता। 

*****

अब लेखिका से उम्मीद रहेगी कि गोल्डन फाइव के अगले कारनामें थोड़ा जटिल, थोड़ा मुश्किल और थोड़ा और अधिक रोमांचक हों। अगर ऐसा होता है तो मैं उन्हें जरूर पढ़ना चाहूँगा। आपके घर में दस से बारह साल के बच्चे हैं तो उन्हें यह पढ़ने के लिए यह पुस्तक दे सकते हैं। उम्मीद है उन्हें भी यह उतनी ही मनोरंजक लगेगी जितना मुझे लगी। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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