पुस्तक टिप्पणी: एडवेंचर्स ऑफ गोलू – मन मोहन भाटिया

पुस्तक टिप्पणी: एडवेंचर्स ऑफ गोलू - मन मोहन भाटिया
संस्करण विवरण

फॉर्मैट: ई-बुक | पृष्ठ संख्या: 78 | प्रकाशक: फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशंस

पुस्तक लिंक: अमेज़न

कहानी

दस वर्षीय गोलू को पढ़ने के बजाय शरारत करना और खेलना कूदना पसंद है। अपने दोस्त टोनी के साथ मस्ती मारने में उसे बड़ा मज़ा आता है।

यूँ ही मस्ती मज़ाक करते करते कई रोमांचक परिस्थितियों से उसका सामना हो जाता है।

यह परिस्थितियाँ क्या थीं? वह इनसे किस तरह निकला? इस दौरान क्या क्या उसके साथ हुआ?

इन्हीं सब प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में पढ़ने को मिलते हैं।

टिप्पणी

फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मन मोहन भाटिया द्वारा लिखित ‘एडवेंचर्स ऑफ गोलू’ गोलू के किस्सों का संकलन है। गोलू से जुड़े कई किस्सों को जोड़कर यह पुस्तक बनाई गयी है। पुस्तक 17 अध्यायों में विभाजित है। कुछ किस्से एक ही अध्याय में खत्म हो जाते हैं और कुछ दो अध्यायों तक जाते हैं।

दस वर्षीय गोलू एक शरारती बालक है जिसके जीवन में कुछ न कुछ ऐसा होता रहता जो उसके जीवन में रोचकता बनाए रखता है। वो एक तेज बुद्धि का मालिक है जिसे कौन सा काम कैसे करना है ये अच्छी तरह पता है और वो किसी न किसी तरह से अपने काम को करवा ही देता है।

प्रस्तुत पुस्तक में लेखक द्वारा उसके जीवन से जुड़े कई किस्सों को पाठकों के सामने परोसा गया है जिसमें पाठक उसकी तेज बुद्धि और शरारती प्रकृति से वाकिफ होते हैं। वहीं कुछ अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्तियों से भी गोलू को दो चार होते हुए वो देखते हैं। अपने इन अनुभवों से क्या क्या सीख लेते हुए गोलू अपने व्यवहार में परिवर्तन लाता है यह भी देखने को उन्हें मिलता है।

कहानी के अन्य किरदारों की बात की जाए तो गोलू के अलावा उसके दोस्त टोनी और अनाया दो महत्वपूर्ण किरदार हैं जिनका गोलू और उसके जीवन पर काफी प्रभाव है। जहाँ टोनी उसका पड़ोसी है वहीं अनाया उसके स्कूल की दोस्त है। चूँकि दोनों दोस्त उसके दिनचर्या में अलग अलग जगहों पर आते हैं तो उनके प्रभाव भी प्रभाव अलग-अलग अध्यायों में देखने को मिलता है। स्कूल से जुड़े किस्सों में अनाया अधिक दिखती है और घर से जुड़े किस्सों में टोनी अधिक दिखता है। फिर जहाँ टोनी के चलते गोलू के जीवन में रोमांच आता है और वह उसके साथ कई शरारते भी करता है वहीं अनाया गोलू को सुधारने का काम करती हुई भी दिखती है। यही कारण है दोनों के साथ गोलू का समीकरण अलग-अलग है। कहानी में गोलू के दोस्तों के अतिरिक्त उसकी बुआ शीला, फूफा जी और भाई बिट्टू भी हैं। जरूरत भर के लिए ये आते हैं जिसमें उनके बीच का समीकरण देखने को मिलता है। गोलू के अभिभावकों यक जिक्र भी कथानक में जरूरत भर को किया गया है। उम्मीद है उनके विषय में अधिक आगे जाकर बताया जाएगा।

कथानक में एक किरदार मोंटू का भी है। मोंटू एक तरह से गोलू के प्रतिद्वंदी के तरह लाया गया था लेकिन एक आध झड़प के बाद उसे भुला सा दिया गया था। अच्छा होता कि वह कथानक में आगे आता। विशेषकर उन हिस्सों में जो उसके मोहल्ले में घटित हो रहे थे। उम्मीद है उनके बीच के समीकरण को लेखक आगे जाकर और एक्सप्लोर करेंगे और उनके बीच प्रतिद्वंदिता गोलू के जीवन में रोमांच लाएगी।

किताब की कमी की बात की जाए तो मुझे लगा कि इस पुस्तक में कई किस्से ऐसे हैं जिन्हें संक्षिप्त में निपटाया गया है और अगर लेखक कोशिश करते तो उस चीज को लेकर एक अलग उपन्यास बन सकता था। विशेषकर डॉक्टर डैंग से गोलू की भिड़ंत, मसूरी घूमने जाने पर हुई घटनाओं और गोगा गैंग से गोलू की झड़प को विस्तार देकर अलग-अलग उपन्यास के रूप में ढाला जा सकता था। इन किरदारों पर और कार्य करके इनको उभारा जा सकता था ताकि ये और प्रभावशाली बनें। अभी बस जल्दबाजी में इन्हें बनाया गया लगता है और कोई विशेष प्रभाव ये नहीं छोड़ पाते हैं क्योंकि इसके लिए समय ही नहीं मिलता है।

इसके अतिरिक्त पुस्तक में एक गुफा और वहाँ मौजूद खजाने का प्रसंग है। इस प्रसंग में एक बात समझ नहीं आयी। भले ही वो गुफाएँ शहर के बाहर थीं लेकिन चूँकि उधर गाइड वगैरह थे तो ये बात तो साफ थी कि जगह प्रसिद्ध थी और उधर पर्यटक आते रहते थे। इसलिए बच्चों को भी पिकनिक के लिए ले जाया गया था। अब अगर कोई जगह प्रसिद्ध है और उस जगह में खजाना होने वाली बात है तो ये चीज आसपास के लोगों को पता होगी। ऐसे में शहर के आपराधिक तत्वों का बच्चों की बात सुनकर उस पर विश्वास करके अपनी योजना बनाना अटपटा लगता है। उन्हें तो पहले ही उधर मौजूद खजाने की कहानियों का पता होगा। अगर अपराधियों द्वारा गोलू की बात का एतबार करने के पीछे कोई मजबूत कारण देते तो बेहतर होता। मसलन गोलू को घूमते हुए कुछ मिल जाता और फिर इस विषय में शहरवासियों को पता चल जाता कि उसे कुछ ऐसा पता है जो आजतक किसी और को पता नहीं चला था। या फिर किसी और माध्यम से अपराधियों को ये पता लगता कि गोलू कुछ ऐसा अनोखा तथ्य जान चुका है जिससे खजाने तक पहुँचा जा सकता है। पर ऐसा कुछ होता दिखता नहीं है जो कि कथानक को थोड़ा कमजोर बना देता है।

इसके अतिरिक्त पुस्तक में कई परिस्थितियों में गोलू के साथ चीजें संयोग से होती हैं जो कि कथानक को कमजोर बनाता है। कहानी में एक आध बार तो संयोग होना चल जाता है लेकिन कई बार होना थोड़ा खटकता है। यहाँ इत्तेफाक से गोलू मुसीबतों में फँसता है और कई बार संयोग से ही पुलिस वालों से टकरा जाता है जिसके कारण वो बच जाता है। ऐसे में कई बार लगता है कि लेखक ने नायक के लिए रास्ता थोड़ा सरल कर दिया है जबकि थोड़ा कठिन रास्ते से होकर नायक मंजिल तक पहुँचता तो बेहतर होता। कथानक और अधिक रोमांचक बन सकता था।

किताब की खूबी की बात की जाए तो यह किताब छोटे छोटे हिस्सों में विभाजित है। भाषा सहज सरल है जिससे अध्याय खुद को पढ़वा लेते हैं। किरदार के रूप में भी गोलू मुझे पसंद आया। अक्सर बाल साहित्य में कई बार किरदार आदर्श से बन जाते हैं लेकिन एडवेंचर्स ऑफ गोलू में लेखक ने उसका बालपन उसका नटखटपन बरकरार रखा है। वो उद्दंड है, बड़बोला भी है। इसके अतिरिक्त भी कई कमियाँ उसके भीतर हैं लेकिन खूबियाँ भी है। वह दोस्त का साथ देना जानता है, अपने दिमाग का प्रयोग करना जानता है और मुसीबत में पड़ने पर संयम नहीं खोता है। वहीं सबसे बड़ी खूबी उसकी ये है कि वह अपनी गलतियों को समझता है और धीरे-धीरे अपने में सुधार भी लाता है जो कि उसे असलियत के नजदीक ले आता है। गोलू, उसके दोस्तों, परिवार वालों और पड़ोसियों के किरदार असलियत के निकट प्रतीत होते हैं और पढ़ते हुए आप अपने बचपन के लोगों से या बच्चे अपने आस पास के लोगों में इनकी झलक पा जाएँगे।

उम्मीद है आने वाली पुस्तकों में गोलू के विस्तृत कारनामें पढ़ने को मिलेंगे जिसमें लेखक एक ही कारनामें को अच्छे से विस्तार देकर बिना अधिक संयोगों का उपयोग लिए कथानक को उसकी नियति तक लाएँगे। वो कारनामें निश्चित तौर पर और बेहतर होंगे।

पुस्तक लिंक: अमेज़न


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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