Finished On: 31st of march 2014
रेटिंग : २.५ /५
रेटिंग : २.५ /५
संस्करण विवरण :
प्रकाशक : हिन्द पॉकेट बुक्स प्राइवेट लिमेटेड
पृष्ट संख्या : ११५
फॉरमेट : पेपरबेक
अमृता प्रीतम के उपन्यास अदालत में केवल एक ही पात्र है। यह
पात्र दुनिया के नज़रों में बहुत सफल है। वो एक ऊँचे पद पर है और उसे
पदोन्नति देके विदेश भेजा जा रहा है। लेकिन जहाँ हर कोई आदमी ऐसी ज़िन्दगी
हासिल करके बहुत खुश होगा वही इकबाल बहुत दुखी है। जब वो सामान पैक कर रहा
होता है, तो घर के ऐसे कमरे में जाता है जिसे उसने इस्तेमाल करना काफी पहले
छोड़ दिया था। कमरे के खुलते ही उसकी यादों के पिटारे से ग्लानि का ऐसा
सांप भी आज़ाद होता है, जिसने उसके जीवन को विषाक्त कर दिया है। और पाठक को
पता चलता है की वो क्यूँ अपनी ही अदालत में अपने को अपने क़त्ल का दोषी करार
देना चाहता है।
पात्र दुनिया के नज़रों में बहुत सफल है। वो एक ऊँचे पद पर है और उसे
पदोन्नति देके विदेश भेजा जा रहा है। लेकिन जहाँ हर कोई आदमी ऐसी ज़िन्दगी
हासिल करके बहुत खुश होगा वही इकबाल बहुत दुखी है। जब वो सामान पैक कर रहा
होता है, तो घर के ऐसे कमरे में जाता है जिसे उसने इस्तेमाल करना काफी पहले
छोड़ दिया था। कमरे के खुलते ही उसकी यादों के पिटारे से ग्लानि का ऐसा
सांप भी आज़ाद होता है, जिसने उसके जीवन को विषाक्त कर दिया है। और पाठक को
पता चलता है की वो क्यूँ अपनी ही अदालत में अपने को अपने क़त्ल का दोषी करार
देना चाहता है।
कहानी बहुत खूबसूरती से लिखी गयी है। हाँ, इकबाल का पात्र
मुझे ज्यादा अच्छा नहीं लगा। क्यूँकी इकबाल एक ऐसे व्यक्ति की तरह प्रतीत
होता है, जिसे पता होता है उसने गलती की है, लेकिन वो केवल इसके लिए रोता
ही है और इस सुधारने के कोई कोशिश नहीं करता है।और मुझे ऐसे लोग पसंद नही आते हैं , इसलिए इस उपन्यास को मैं ढंग से आनंद नही ले पाया । मुझे इकबाल से खीज सी उठने लगी थी ।
मुझे ज्यादा अच्छा नहीं लगा। क्यूँकी इकबाल एक ऐसे व्यक्ति की तरह प्रतीत
होता है, जिसे पता होता है उसने गलती की है, लेकिन वो केवल इसके लिए रोता
ही है और इस सुधारने के कोई कोशिश नहीं करता है।और मुझे ऐसे लोग पसंद नही आते हैं , इसलिए इस उपन्यास को मैं ढंग से आनंद नही ले पाया । मुझे इकबाल से खीज सी उठने लगी थी ।
ज्यादा कहना उपन्यास की
कहानी को उजागर करना होगा। मेरे हिस्साब से ये प्रीतम जी के सर्वश्रेस्ठ
उपन्यासों में नहीं है ,लेकिन इसे एक बार पढ़ा जा सकता है।
कहानी को उजागर करना होगा। मेरे हिस्साब से ये प्रीतम जी के सर्वश्रेस्ठ
उपन्यासों में नहीं है ,लेकिन इसे एक बार पढ़ा जा सकता है।
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