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  • योगेश मित्तल

    25 मार्च 1957 को दिल्ली के चांदनी चौक के पत्थरवालान में जन्में योगेश मित्तल के बचपन के कुछ वर्ष सिविल लाइन्स, शाहदरा में व्यतीत हुए। शाहदरा के बाद उन्होंने कुछ वर्ष चुरू, राजस्थान में गुज़ारे। उसके बाद 1963 से 1968 तक वे अपने परिवार के साथ कलकत्ता में रहे और फिर 1969 में दिल्ली आकर दिल्ली में ही बस गए। तब से लेकर अब तक वह दिल्ली में ही रहते आये हैं।

    कलकत्ता में रहते हुए ही योगेश मित्तल की पहली कविता व कहानी 1964 में कलकत्ता के दैनिक समाचार पत्र 'सन्मार्ग' के 'बालजगत' स्तम्भ में छपी।

    1969 में दिल्ली आने के पश्चात उनकी रचना जब गर्ग एंड कम्पनी की पत्रिका 'गोलगप्पा' में छपी तो वो प्रकाशक ज्ञानेंद्र प्रताप गर्ग की नज़र में आये। इसके पश्चात शुरू हुआ लेखन का सिलसिला आज पाँच दशक से भी ऊपर का समय गुजरने के बाद भी अनवरत ज़ारी है।

    लेखन की पहली पारी में योगेश मित्तल का अधिकतर लेखन ट्रेड नाम के लिए किया गया है। उपन्यास लेखन के अतिरिक्त उन्होंने खेल पत्रकारिता, कॉमिक बुक लेखन और सम्पादन के क्षेत्र में भी कार्य किया।

    अपने लेखन की दूसरी पारी में अब अपने नाम से उनकी पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं।  प्रेतलेखन, वेद प्रकाश शर्मा: यादें बातें और अनकहे किस्से, शैतान: जुर्म के खिलाड़ी नीलम जासूस कार्यालय से और  चांदी की चोंच, लड्डू मास्टर की भैंस, लोमड़ी का दूल्हा, काठ की अम्मा लायंस पब्लिकेशंस से प्रकाशित हुई हैं।

पुस्तक टिप्पणी: एक म्युजिकल दस्तावेज है पराग डिमरी का 'श्रवण राठौड़: हाँ एक सनम चाहिए आशिकी के लिए'
जीवनी, समीक्षा
पुस्तक टिप्पणी: एक म्युजिकल दस्तावेज है पराग डिमरी की पुस्तक ‘श्रवण राठौड़: हाँ एक सनम चाहिए आशिकी के लिए’
'श्रवण राठौड़: हाँ एक सनम चाहिए आशिकी के लिए' लेखक पराग डिमरी द्वारा... Read more.
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