- बाली उम्र – भगवंत अनमोल
- भूत-खेला – गीताश्री
- लिट्टी चोखा – गीता श्री
गीताश्री जी का लिखा मैं सब कुछ पढ़ना चाहता हूँ। इसलिए उनकी जो भी किताब आती है वो ले लेता हूँ।
‘भूत-खेला’ के विषय में जब सुना था तब ही लेने का मन बना लिया था। नाम से ही एक तरह का आर्कषण हो गया था। इस बार अमेज़न में तफरी करते हुए दिखी तो ले लिया। भूत प्रेतों के प्रति मेरा आकर्षण हमेशा से रहा है। आवरण भी शानदार है। हाँ, बिना किसी अपेक्षा के इसे पढूँगा।
‘लिट्टी चोखा’ के नाम के अलावा आवरण ने भी मन मोह लिया तो उसे भी ले लिया। गीताश्री बिहार से आती हैं तो इस संग्रह के नाम से ही लगता है कि उधर की संस्कृति से इस संग्रह की कहानियों को पढ़कर और वाकिफ होऊँगा। वैसे भी गीताश्री जी हैं तो नाम ही काफी कुछ। अच्छा ही होगा।
भगवंत जी का लिखा अभी तक कुछ पढ़ा नहीं है लेकिन पढ़ने की इच्छा थी। ‘बाली उम्र’ दिखी तो इसे भी ले लिया। न जाने क्यों बाली उम्र मुझे अमरकांत जी के उपन्यास सूखे पत्ते की याद दिला रहा है। उसमें भी एक भाग में बचपन के किस्से थे जिन्हें पढ़कर बहुत आनन्द आया था। विशेषकर उन बच्चों के क्रान्तिकारी बनने की कोशिशों के विषय में पढ़कर। बाली उम्र का विषय उतना पुराना तो नहीं होगा लेकिन बचपन इसमें जरूर होगा। रोचक होगा।
खैर,किताबें तो आ गयी हैं लेकिन पढ़ी कब जाएंगी इसका कोई अंदाजा नहीं है। हाँ, पढ़ी जरूर जाएंगी यह कह सकता हूँ।
आपने इनमें से कौन कौन सी पढ़ी हैं? आपको यह कैसी लगी? बताईयेगा जरूर।
अगर आप चाहें तो किताबें निम्न लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं:
भूत खेला
लिट्टी चोखा
बाली उम्र
आपने हाल फ़िलहाल में कौन सी पुस्तकें खरीदी हैं? बताइयेगा जरूर। ताकि मैं भी उन्हें ले सकूँ।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’