भारतीय मूल के अमेरिकी लेखक वेद मेहता का 9 जनवरी 2021 को निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। मेहता पार्किनसन से पीड़ित थे और इसी बिमारी से उभरी जटिलताओं के चलते उनका निधन हुआ।
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वेद मेहता का जन्म 21 मार्च 1934 को लाहोर में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। तीन साल की उम्र में ही मेनेंजाईटिस बीमारी के चलते उन्होंने अपनी दृष्टि गँवा दी थी लेकिन अपनी दृष्टिहीनता को उन्होंने कभी भी अपने प्रगति के रास्ते पर बाधा नहीं बनने दिया।
वेद मेहता 15 वर्ष की उम्र में अमेरिका चले गये थे जहाँ रहकर उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की। 1957 में 23 वर्ष की उम्र में उनकी पहली किताब फेस टू फेस, जो कि आत्मकथा थी, प्रकाशित हो गयी थी। 1966 में उनका पहला उपन्यास डेलीक्विंट चाचा प्रकाशित हुआ जो कि द न्यू योर्कर में सिलसिलेवार रूप से प्रकाश्ति हुआ था।
वर्ष 1960 में भारत यात्रा पर उनका पहला लेख द न्यू योर्कर पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। 1961 में उन्हें न्यू योर्कर पत्रिका ने काम पर रख लिया था। वेद मेहता 1961 से 1994 तक द न्यू योर्कर के लिए लिखा करते थे।
मेहता की आत्मकथा कांटिनेन्ट्स ऑफ़ एक्साइल 12 अंशों में 1974 से 2004 के बीच न्यू योर्कर में प्रकाशित हुई थी। इसकी पहली किश्त डैडीजी काफी प्रसिद्ध हुई थी। 1975 में मेहता अमेरिकी नागरिक बन गये थे।
1982 में मेहता को मैकआर्थर प्राइज, जिसे जीनियस ग्रांट भी कहा जाता था, से भी नवाजा गया था।
अपने जीवन काल में वेद मेहता ने 27 किताबें लिखी थी। उन्होंने अपने लेखन के जरिये अमेरिकी पाठकों को भारतवर्ष के विषय में काफी कुछ बताया था। दर्शन, आधुनिक भारतीय इतिहास, धर्मशास्त्र, विज्ञानं, भारतीय राजनीति जैसे विषयों के ऊपर उन्होंने लेखन किया था।
वाकिंग द इंडियन स्ट्रीट्स(1959), डेलीक्विंट चाचा(1966),पोर्ट्रेट ऑफ़ इंडियन(1970), महात्मा गांधी एंड ही अपोस्टल्स, अ फैमिली अफेयर: इंडिया अंडर थ्री प्राइम मिनिटर्स(1982) इत्यादि उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ थीं।
– विकास नैनवाल ‘अंजान’