संस्करण विवरण
फॉर्मैट: ईबुक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: शक्ति | लेखक: हनीफ अज़हर | सहयोग: विवेक मोहन | पेंसिलिंग: तौफीक | इन्किनग: प्रदीप सहरावात, भूपेन्द्र वालिया, अजहर | रंग: सुनील पाण्डेय
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
कहानी
दिल्ली के पास चल रहे उस पुरातात्विक उत्खनन (खुदाई) में पुरातत्ववेता आमिर शाह को पुरानी सभ्यता के कुछ लक्षण मिले थे। इन अवशेषों में पुरानी सभ्यता के खंडहर तो थे ही साथ ही कुछ ऐसे पुतले भी थे।
और अब इन पुतलों को जागृत कर दिया गया था और ये मौत बरपाने दिल्ली तक पहुँच गए थे।
दिल्लीवासियों और मौत के बीच में केवल ही चीज खड़ी थी और वो थी शक्ति?
आखिर क्या राज था इन पुतलों का?
इन्होंने दिल्ली में मौत का तांडव खेलने का मन क्यों बना लिया था?
क्या शक्ति इन्हें रोक पाई?
विचार
राज कॉमिक्स (Raj Comics) की बात की जाए तो इसके कुछ पात्र ऐसे हैं जिसके काफी कम कॉमिक्स मैंने पढे हैं। शक्ति (Shakti) भी उन्हीं एक किरदारों में से एक है जिसकी जितनी भी कॉमिक मैंने पढ़ी हैं वो ज्यादातर मल्टीस्टारर ही रही हैं। ऐसे में जब मैं कुछ नया पढ़ने के लिए खोज रहा था और मुझे शक्ति (Shakti) की एक कॉमिक दिखी तो मैं उसको डाउनलोड करने से खुद को न रोक पाया।
‘मौत के पुतले’ (Maut ke Putle) शायद शक्ति (Shakti) का पहला सोलो कॉमिक है जिसे मैंने पढ़ा है। बचपन में अगर कुछ पढ़ा होगा तो वह मुझे आज याद नहीं है। चूँकि यह एक बत्तीस पृष्ठ का एक ही भाग में खत्म हुआ कॉमिक है तो इतना अंदाजा तो मुझे था कि कहानी ज्यादा जटिल नहीं होगी और कहानी है भी ऐसी ही।
कहानी में एक्शन की शुरुआत तीसरे पृष्ठ से ही हो जाती है और फिर अंत तक थमती नहीं है। शक्ति (Shakti) इस पूरे कॉमिक में तीन बड़े खलनायकों से लड़ती है और उन्हें हराने के लिए उसे मेहनत मशक्कत भी करनी पड़ती है। ये लड़ाइयाँ रोमांचक रहती हैं। कहानी में एक जगह लेखक ने ट्विस्ट दिया है जो हैरान करता है। हाँ, ज्यादातर कहानी चूँकि सीधी और सरल है तो आपको यह चमत्कृत नहीं करेगी। वैसे भी पुरातात्विक उत्खनन (खुदाई) के दौरान किसी खतरनाक शक्ति का निकलना एक ऐसा कान्सेप्ट है जो कि कई बार इस्तेमाल हो चुका है तो इसमें नयापन कुछ नहीं है। ऐसे में शायद इस कहानी में ट्विस्टस थोड़े ज्यादा होते तो शायद यह थोड़ा और प्रभावी बन सकती थी।
अगर आप इतिहास में जरा भी रुचि रखते हैं तो जानते होंगे कि पुरानी दुर्लभ मूर्तियों की काले बाजार में काफी माँग होती है और इस कारण कई सफेदपोश लोग इसकी तस्करी में जुड़े हुए होते हैं। मौत के पुतले (Maut Ke Putle) इस समस्या को भी एक तरह से उजागर करती है। वहीं दूसरी तरफ यह एक तरह से यह शिक्षा भी देती है कि इतिहास में दफन हर चीज की जानकारी प्राप्त करना कभी कभार जरूरी नहीं होता है। मनुष्य को समझदारी से काम लेना चाहिए और जो नहीं लेता उसे लेने के देने पड़ सकते हैं।
हाँ, चूँकि कॉमिक्स 32 पेज का है तो कथानक सरपट भागता है। कहानी टू द पॉइंट है और कहानी के लिए जरूरी चीजों के अलावा इधर ज्यादा कुछ देखने को नहीं मिलता है। आप इस बात का अंदाजा इस चीज से लगा सकते हैं कि शक्ति का मानव रूप तक कहानी में नहीं दिखता है। यह कहानी की अच्छी बात भी है और एक तरह कमी भी। अच्छी बात इसलिए क्योंकि इस कारण कथानक तेज हो चुका है और कमी इसलिए क्योंकि इसी कारण काफी चीजें जल्दबाजी में निपटाई लगती हैं।
मसलन, कहानी में एक हिस्सा है जहाँ पर एक अज्ञात व्यक्ति दो ऐसे लोगों का कत्ल कर देता है जो कि खुदाई से निकली प्राचीन मूर्तियाँ खरीद फरोख्त में शामिल होते हैं। ऐसे में पढ़ते हुए आप यह सोचने लगते हो कि यह रहस्यमय व्यक्ति कौन है। इस बिन्दु को ठीक तरह से विकसित किया जा सकता था और इस रहस्य को बेहतर तरीके से उजागर किया जा सकता था। लेकिन चूँकि शायद पेज कम थे तो लेखक गुनाहगार से ही अपने गुनाह को कबूल करवाकर इस राज से पर्दा उठवाते हैं। यह चीज रहस्य के तत्व को कमजोर कर देता है और कहानी से एक अच्छा बिन्दु छीन लेता है।
फिर जो एक मौत का पुतला है उनका इस्तेमाल जो व्यक्ति कर रहा होता है वह ऐसी छोटी चीज के लिए करता है कि आप सोचते हो कि उसने कोई बड़ा हाथ क्यों नहीं मारा। मतलब एक गहनों की दुकान लूटने के बजाय बैंक का लाकर लूट सकता था जहाँ ज्यादा दौलत मिल सकती थी उसे। शायद चूँकि शक्ति को दिखाना था तो ये सरल सा काम उससे करवाया जो कि जमता नहीं है।
इसके अलावा कहानी की एक कमी इसका अंत भी है। शक्ति तीसरे खलनायक पर विजय प्राप्त करने के लिए जो रास्ता चुनती है, जिसके विषय में आप पढ़कर जाने तो बेहतर होगा, वह फिलहाल मेरे लिए पचाना थोड़ा मुश्किल था। इस आखिरी बिन्दु पर काम कर उसे थोड़ा पचाने लायक बनाना चाहिए था।
किरदारों की बात करूँ तो जिस तरह से शक्ति खलनायकों से दो चार होतीं है वह प्रभावित करता है। कॉमिक बुक में आमिर शाह का किरदार भी रोचक था लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में वह उतना प्रभावी नहीं रह जाता है। उसे थोड़ा बेहतर किया जा सकता था। इसके अलावा कहानी में तीन खलनायक और हैं और वो प्रभावशाली हैं। हाँ नाम केवल बलिरक्ष का ही दिया है लेकिन तीनों ही मुझे रोचक लगे।
कॉमिक बुक के आर्ट की बात करें तो आर्ट मुझे अच्छा लगा। ऐसी कोई विशेष कमी कहीं लगी नहीं।
अंत में यही कहूँगा कि मौत के पुतले (Maut Ke Putle) एक्शन से भरा एक तेज रफ्तार कॉमिक है। कहानी चूँकि सीधी सरल है तो ये आपको चमत्कृत नहीं करेगी लेकिन फिर आपको बोर भी नहीं होने देगी। मौत के पुतले (Maut Ke Putle) एक बार पढ़ना चाहें तो पढ़ सकते हैं।