संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई बुक | प्लेटफॉर्म: प्रतिलिपि | प्रकाशक: डायमंड कॉमिक्स | शृंखला: लम्बू-मोटू | कथानक: जमीर हुसैन | चित्रांकन: आदिल खान | सहयोग: राशिद खान | संपादक: गुलशन राय
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
कहानी
शहर में हो रही तीरंदाजों की हत्याओं ने पुलिस की नाक में दम कर रखा था। कोई था जो कि शहर के नामी तीरंदाजों का अपहरण कर रहा था और कुछ दिनो बाद अपहृत तीरंदाज की नुची हुई लाश पुलिस को बरामद होती थी।
वह चाहकर भी अपहरणकर्ता का पता नहीं लगा पा रहे थे।
यही कारण था कि लंबू मोटू ने इस मामले में हाथ डालने का सोचा था।
आखिर कौन था जो तीरंदाजों का अपहरण कर रहा था?
उसका उनके अपहरण के पीछे क्या मकसद था?
क्या लम्बू मोटू इस गुत्थी को सुलझा पाए?
मेरे विचार
लम्बू मोटू और आदमखोर पेड़ (Lambu Motu aur Aadamkhor Ped) डायमंड कॉमिक (diamond comics) द्वारा प्रकाशित लम्बू-मोटू शृंखला (Lambu Motu Series) का कॉमिक बुक है। कई बार व्यक्ति अपने लालच के चलते अपराध की राह पर निकल पड़ता है और फिर मानवता से उसका रिश्ता टूट सा जाता है। प्रस्तुत कॉमिक भी एक ऐसे ही लालची इंसान के विषय में है।
कॉमिक की शुरुआत में ही खलनायक को दर्शाया जाता है। यह खलनायक किसी कारण से धनुर्धरों का अपहरण कर रहा है और उन्हें एक कार्य देता है। अब तक उसके दिए कार्य में कोई भी धनुर्धर सफल नहीं हो पाया है और असफल धनुर्धरों को मारने में उसे कोई गुरेज नहीं है।
ऐसे व्यक्ति को पकड़ने के लिए लम्बू मोटू एक जाल बुनते हैं और फिर जो होता है वो कॉमिक की कहानी बनता है।
कहानी साधारण है लेकिन आपको बोर नहीं करती है। खलनायक जिसका नाम प्रोफेसर टिंगू है का एक मकसद है जिसे पाने के लिए उन्हें कई पहेलियों को सुलझाना है। इन पहेलियों को सुलझाने के लिए लम्बू क्या दिमाग लगाता है और कैसे खलनायक के चंगुल से छूटता है यह देखना रोचक रहता है। वैसे तो कहने को लम्बू-मोटू शृंखला का कॉमिक बुक है लेकिन इस कॉमिक में ज्यादा खतरों का सामना लम्बू करते हुए ही दिखता है।
इस कॉमिक में लम्बू-मोटू के विषय में कुछ और जानकारियाँ भी पाठकों को मिलती है। पहली यह कि लम्बू कमाल धनुर्धर है और दूसरी ये कि वह पैसों के लिए पुलिस के मामले सुलझाते हैं। पिछली पढ़ी गई कॉमिक्स में मेरे मन में यह सवाल उभरा था कि ये लोग रहते तो अकेले ही हैं तो इनका खर्चा कैसे चलता होगा। इस कॉमिक से पता लग जाता है कि हर केस को सुलझाने के अच्छे पैसे ये पुलिसवालों से लेते हैं।
कहानी की कमी की बात करें तो कुछ कमियाँ मुझे लगी। जैसे कॉमिक में खलनायक कहता है कि बंदूक से उसका निशाना कभी चूकता नहीं है। ऐसे में मैं सोच रहा था कि वह अपना मकसद हासिल करने के लिए डार्ट गन का प्रयोग क्यों नहीं करता है?? करता तो इतने लोगों को मारने की उसे जरूरत न होती।
कॉमिक में एक एक पहेली के दौरान लम्बू को खाना खाकर आगे बढ़ना पड़ता है। वह लोग जहाँ होते हैं वह सदियों पुराना तिलस्म रहता है तो यह बात तय है कि उधर रखा खाना तिलस्म बनने की शुरुआत में ही रखा गया होगा। ऐसे में वह लोग उस खाने को खाने से पहले एक बार भी सोचते नहीं है कि सदियों पुराना खाना खा रहे हैं तो वो खराब न हो और ऐसी कौन सी चीज है जो सदियों तक खुले रहने के बावजूद खराब न होती हो।
कहानी में मोटू को कम ही रखा गया है। आखिर में भी जब वह एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए खलनायक के जोड़ीदार पर काबू पाता है तब भी केवल इतना बताया गया है कि उसने काबू पा लिया है। उसने काबू कैसे पाया यह नहीं दर्शाया गया है। दर्शाया जाता तो बेहतर होता।
कहानी का शीर्षक लम्बू-मोटू और आदम खोर पेड़ इस कहानी पर जमता नहीं है। कहानी में आदमखोर पेड़ आते जरूर हैं लेकिन वो न तो केंद्र में हैं और उनसे चूँकि उनसे केवल लम्बू जूझता दिखता है तो शीर्षक जमता नहीं है। इससे बेहतर तो लम्बू-मोटू और तीरंदाजों का कातिल या फिर लम्बू-मोटू और तिलस्म का रहस्य या फिर लम्बू मोटू और शैतान प्रोफेसर जैसे शीर्षक इस कहानी पर अधिक जमते।
कॉमिक के आर्ट वर्क की बात करूँ तो आर्ट ठीक है। यह आपको ठिठकने पर मजबूर नहीं करता है लेकिन इतना बुरा भी नहीं है पढ़ते हुए खराब लगे।
अंत में यही कहूंगा कि यह सीधी सादी कहानी पर बना कॉमिक है जिसे आप पढ़ते चले जाते हैं। कहानी में ट्विस्ट एक दो ही हैं और उसके अलावा एक निश्चित दिशा में यह आगे बढ़ती चली जाती है। आपको घुमावदार कहानियाँ पसंद हैं तो शायद यह निराश करे लेकिन सरल कहानियाँ पसंद हैं तो एक बार पढ़कर देख सकते हैं।
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
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