नोट: उफ्फ़… डर का मंज़र मेरा दूसरा प्रकाशित साझा संकलन है। संग्रह में मेरी कहानी ‘डेडलाइन’ को भी स्थान दिया गया है जिसके लिए मैं शोपीजन और संपादक मन मोहन भाटिया का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
उफ्फ़ डर का मंजर मन मोहन भाटिया द्वारा संपादित 15 कहानियों का संग्रह है जो कि शोपीजेन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस संग्रह में बारह लेखकों की निम्न कहानियों को संकलित किया गया है:
- डेडलाइन -विकास नैनवाल
- मौत का घर – जयदेव चावरिया
- मुर्दा मोड़ – अपर्णा बाजपेई
- शापित गाँव – अपर्णा बाजपेई
- सन्नाटों वाली रात – अरविंद कुमार श्रीवास्तव
- ट्रिन ट्रिन ट्रिन – आँचल राठौर
- वो भयानक रात – अनिल पुरोहित
- आत्मा का प्रतिशोध – अनिल पुरोहित
- प्रायश्चित – रवि गोयल
- कुलधारा का रहस्य – वंदना सोलंकी
- खूनी बावड़ी – वंदना सोलंकी
- अगला शिकार – आल्हादिनी
- रास्ते का राजा – साबिर खान
- उलझन: एक अनोखी दास्ताँ – मनोज कुमार
- देखा हुआ मंजर – शोभा शर्मा
उफ्फ़ डर का मंजर के विषय में संपादक मन मोहन भाटिया अपनी फेसबुक पोस्ट में जो लिखते है वह किताब परिचय के रूप में सटीक बैठता है तो मैं उसे यहाँ पर जस का तस उद्धृत करना चाहता हूँ:
आज की भागदौड़ के युग में गलाकाट प्रतिस्पर्धा में हम मशीनी जीवन जी रहे हैं। हर रोज एक नई डेडलाइन है, जिसे हर हालत में पूरा करना है। इसी डेडलाइन को पूरा करने के चक्कर में हम सिर्फ अपने स्वास्थ्य को ही नहीं, अपितु अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं। डेडलाइन का डेथ लाइन बनने में सिर्फ एक धागे जैसी महीन दूरी रहती है। डेडलाइन का डर रहता है, लेकिन जीवन खो देने का डर नहीं रहता है। लेखक विकास नैनवाल ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में डर पर आधारित मनोवैज्ञानिक कृति डेडलाइन को रचित किया है।
जयदेव चावरिया ने मौत का घर में चिर परिचित अंदाज में डर का माहौल बनाकर प्रतिशोध को दर्शाया है।
कहते हैं जुल्म का बदला मौत के बाद भी लिया जाता है। शरीर तो नाशवान है लेकिन आत्मा तो अमर है। मुर्दा मोड़ एक ऐसे अंत पर समाप्त होती है, जहाँ अभी भी बहुत सी अनहोनी होनी बाकी है। शापित गाँव में लोगों का भय कब समाप्त होगा, आज भी कहना मुश्किल है। यही अपर्णा बाजपेई की कलम ने अंकित किया है।
मनोवैज्ञानिक डर का एक और उदाहरण अरविन्द कुमार श्रीवास्तव की सन्नाटों वाली रात है जहाँ शब्दों और घटनाओं के अनुक्रम के माध्यम से डर स्थापित हुआ है।
कुछ इसी प्रकार का डर आँचल राठौर ने ट्रिन ट्रिन ट्रिन में स्थापित किया है।
अनिल पुरोहित राजस्थान के उस भाग में रहते हैं, जहाँ सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। रेत के टीले चारों ओर आपको आकर्षित करते हैं और उन्हीं रेत के टीलों की वो भयानक रात और फिर आत्मा का प्रतिशोध सत्य घटनाओं पर आधारित है। भूत जहाँ प्रतिशोध लेते हैं, वहीं आपकी रक्षा भी करते हैं। जब भय उत्पन्न होता है, तब एक हौसला भी उत्पन्न होता है।
रवि गोयल की कहानी प्रायश्चित भूत के इंसाफ की कहानी है। कहानी सोचने पर मजबूर करती है, भूतों को सिर्फ अपना मकसद पूरा करना है। किसी को अनावश्यक हानि नहीं पहुँचानी है।
वंदना सोलंकी ने चिर परिचित अंदाज में कुलधरा का रहस्य और खूनी बावड़ी पर डर का वातावरण उत्पन्न किया है।
आल्हादिनी का अगला शिकार भी भूतिया किला पर आधारित है और हमें याद दिलाता है, कुछ तो बात है, तभी किला पर भूतिया ठप्पा लगता है।
जब कोई चुड़ैल आपसे चिपक जाए, तब आप उसके गुलाम हो जाते हो। विख्यात हॉरर लेखक साबिर खान ने इसी डर को रास्ते का राजा में दास्तान के रूप में लिखा है।
मनोज कुमार की उलझन – एक अनोखी दास्तान भी मनोवैज्ञानिक डर की कहानी है। कितना भयानक, रोंगटे खड़े कर देने वाला होता है वो मंजर देखना, जब आत्मा रोती है। किसी कमजोर क्षणों में, लोग फांसी लगा कर अपनी लीला समाप्त कर लेते हैं। रौंगटे खड़े कर देने वाला मंजर शोभा शर्मा की कहानी देखा हुआ मंजर में है।
नोट: ‘किताब परिचय’ एक बुक जर्नल की एक पहल है जिसके अंतर्गत हम नव प्रकाशित रोचक पुस्तकों से आपका परिचय करवाने का प्रयास करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक को भी इस पहल के अंतर्गत फीचर किया जाए तो आप निम्न ईमेल आई डी के माध्यम से हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:
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(Kitab Parichay is an initiative by Ek Book Journal to bring into reader’s notice interesting newly published books. If you want to us to feature your book in this initiative then you can contact us on following email:
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (31-08-2022) को "जय-जय गणपतिदेव" (चर्चा अंक 4538) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
उफ्फ़ डर का मंजर ' साझा कहानी संकलन की कहानियों के बारे में जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद। हार्दिक शुभकामनाएं
पुस्तक के विषय में आपको जानकारी पसंद आई यह जानकर अच्छा लगा, मैम। आभार।