संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 60 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: परमाणु, शक्ति
टीम:
लेखक: हनीफ अज़हर | सहयोग: अनुपम सिन्हा | चित्रांकन: सुरेश डीगवाल | इंकिंग, कैलीग्राफी: टी आर आजाद | रंग: सुनील पांडेय
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
दिल्ली की अब शामत आई थी।
क्योंकि आ गया था जीरो जी। उसने न केवल दिल्ली की नई बनी मुख्य मंत्री शीला बेन पर जानलेवा हमला किया था बल्कि अब अपनी शक्तियों के बदौलत दिल्ली की ईंट से ईंट बजाने पर तुला हुआ था।
आखिर कौन था ये जीरो जी? उसने क्यों मुख्य मंत्री पर हमला किया था?
वह क्यों दिल्ली में आतंक फैला रहा था?
क्या इसे रोक पाए परमाणु और शक्ति?
मेरे विचार
‘जीरो जी’ 1999 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ राज कॉमिक्स का विशेषांक है। इस कॉमिक बुक में आपको राज कॉमिक्स के दो सुपर हीरोज परमाणु और शक्ति खलनायक जीरो जी से दो चार होते दिखते हैं।
सोचिए अगर कोई ऐसा व्यक्ति हो जो गुरुत्वाकर्षण को नियंत्रित कर सके तो क्या होगा? वह जब चाहे कहीं का गुरुत्वाकर्षण कम करके चीजों को उड़ाने लगेगा या फिर कहीं का गुरुत्वाकर्षण ज्यादा करके चीजों को जमीन से गोंद की तरह चिपका देगा। अगर ऐसा हो जाए तो वह कितनी तबाही मचा सकेगा, है न? प्रस्तुत कॉमिक के खलनायक जीरो जी के पास ऐसी ही शक्ति है। जीरो जी (यानी शायद जीरो ग्रैविटी) के पास एक हथियार है जिससे वह किसी भी जगह के गुरुत्वाकर्षण को कम ज्यादा करके वहाँ तबाही मचाने की पूरी कुवव्त रखता है। प्रस्तुत कॉमिक में आप उसे दिल्ली में तबाही मचाते और परमाणु और शक्ति को उससे झूझते हुए नाकों चने चबाते देखते हैं।
कहानी की शुरुआत होती है दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला बेन पर हुए एक हमले से। यहाँ पर जीरो जी की एंट्री होती है और पहली बार उसका टकराव परमाणु से होता है। फिर जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है वैसे वैसे आपको पता लगता है कि जीरो जी क्यों दिल्ली के पीछे पड़ा है। वह दिल्ली के ऊपर कई तरह की मुसीबतें लाता है। कहानी में शक्ति भी आती है और जीरो जी का परमाणु और शक्ति से टकराव देखना रोचक होता है।
प्रस्तुत कहानी की बात करें तो यह मूलतः एक एक्शन कॉमिक है। कहानी सीधी सादी है। खलनायक दिल्ली पर हमला करता है और नायक इस हमले से दिल्ली और लोगों को बचाते दिखते हैं। जब खलनायक को लगता है नायकों को हटाये बिना उनका मकसद कामयाब न हो पाएगा तो वह उनपर सीधा हमला करता है और एक रोचक लड़ाई के बाद अंत जो अक्सर होता है वही इधर भी होता है।
चूँकि कहानी दिल्ली में घटित होती तो राज कॉमिक्स के कुछ रचनाकार भी इधर दिखते हैं। कॉमिक बुक पढ़ते हुए जब ऐसे प्रसंग देखने को मिलते हैं तो मन खुश हो जाता है। प्रस्तुत कॉमिक में भी वाही जी, धीरज वर्मा और नरेश जी का कैमियो इधर है।
खलनायक की बात की जाए तो एक अच्छा खलनायक वह होता है जिससे पार पाने में नायकों को मेहनत करनी पड़े। इस मापदंड पर ‘जीरो जी’ खरा उतरता है।
मुख्य खलनायक ‘जीरो जी’ अपने सफेद चेहरे, लंबे भूरे बाल, काले होंठ और लहराते ओवरकोट या ट्रेंच कोट में अपने चेहरे मोहरे से जोकर या क्रो की याद सा दिलाता लगता है। प्रस्तुत कॉमिक बुक में उसकी एंट्री तो हो गई है लेकिन उसके बारे में कुछ विशेष बताया नहीं जाता है। वह कौन है? कहाँ से आया है? उसके पास गुरुत्वाकर्षण को नियंत्रित करने वाला वह बंदूकनुमा यंत्र कहाँ से आया? क्या उसने खुद बनाया या फिर कहीं से चुराया? ऐसे कई सवाल हैं जिनके विषय में इस कॉमिक में कुछ बताया नहीं गया है। ऐसे में कॉमिक बुक के अंत में आप इस विषय में सोचने लगते हैं। अगर लेखक चाहे तो इस किरदार की कहानी के ऊपर अलग से काम कर सकते हैं।
कॉमिक के आखिर से कुछ वक्त पहले परमाणु का एक और बड़ा खलनायक इधर आता है जो कि मामले को और रोमांचक बना देता है। इस खलनायक की पहचान आप कॉमिक पढ़कर ही जाने तो बेहतर होगा।
नायकों की बात की जाए तो प्रस्तुत कॉमिक बुक में परमाणु और शक्ति हैं। कॉमिक बुक में ज्यादा जगह परमाणु को दी गई है। शक्ति परमाणु से देर में कहानी में शामिल होती है लेकिन जब होती है तो अंत तक बनी रहती है। अक्सर परमाणु और शक्ति की कॉमिक्स में उनके व्यक्तिगत जीवन की झलक भी हम देखते हैं लेकिन प्रस्तुत कॉमिक में हम इन दोनों को नायक और उसके द्वारा लायी गई मुसीबतों से ही जूझते देखते हैं।
हाँ, शक्ति के विषय में मैं अक्सर सोचता हूँ कि कॉमिक बुक्स में अक्सर कहा जाता है कि जब भी महिला कहीं मदद के लिए पुकारती है तो वह खिंची चली जाती है। अब पहला प्रश्न उठता है कि वह किस महिला की मदद करनी है इसका चुनाव वो कैसे करती है? दुनिया बहुत बड़ी है और यहाँ तो हर पल अपराध होते रहते होंगे। महिलाओं पर अपराध वैसे भी अधिक होते हैं। ऐसे में क्या वह भारत तक अपनी शक्ति सीमित रखती है? अगर भारत तक भी उसकी ताकतों को सीमित रखा जाए तो भारत भी बहुत बड़ा देश है? वह अपने दूसरे रूप में एक आम ज़िंदगी कैसे जीती होगी? उसका सारा समय तो इस राज्य से दूसरे राज्य में कूदने में लग जाता होगा? फिर एक सवाल ये भी उठता है कि किस तरह के अपराधों में हस्तक्षेप करती है? क्या तभी जब जान का खतरा हो? ऐसे ही और भी कई प्रश्न उठते हैं दिमाग में। क्या आपको इनके उत्तर पता हैं? पता हो तो बताइएगा। बाकी नायकों के साथ ये मुद्दा नहीं है क्योंकि वह किसी की मदद की पुकार नहीं सुन सकते।
कॉमिक बुक की तरफ वापस लौटे तो इसका आर्टवर्क सुरेश डीगवाल का है। आर्टवर्क ठीक ठाक है और कथानक के साथ न्याय करता है।
अंत में यही कहूँगा कि ‘जीरो जी’ एक्शन से भरपूर कॉमिक बुक है। अगर आपको ऐसे कॉमिक बुक पसंद हैं जिसमें एक्शन अधिक होता है तो यह आपको पसंद आएगा। अपनी बात करूँ तो मेरे लिए यह मनोरंजक कॉमिक बुक था। जीरो जी के बारे में और अधिक जानना चाहूँगा।
क्या ये किरदार बाद में किसी कॉमिक में आया था? अगर आपको इसके विषय में कुछ पता हो तो मुझे कॉमिक के विषय में जरूर बताइएगा।
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