संस्करण विवरण
फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | पृष्ठ संख्या: 48 | शृंखला: परमात्मा #2 | लेखक: तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: दिलीप चौबे | इफेक्टस: खुशी राम | डिजिटल कैलिग्राफी: अमित कठेरिया
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
दिल्ली में हो रही हैरतंगेज घटनाओं का सिलसिला रुका नहीं था। मौसम बताने वाले उपग्रह के नष्ट होने के बाद अब दिल्ली के आकाश में एक नई दिक्कत पैदा होने लगी थी। ऐसी दिक्कत जिसने सबको परेशान कर दिया था।
एक राक्षस से टकराने और देव दूतों से दो चार होने के बाद भी परमाणु को उनके अस्तित्व पर यकीन नहीं आ रहा था। वहीं उसकी अपनी जिंदगी भी शिप्रा और शीना रूपी दो पाटों के बीच में पिस रही थी।
दिल्ली और परमाणु की हालत ऐसी हो गयी थी जिसने उन्हें कहने पर मजबूर कर दिया था ‘जो होगा देखा जाएगा’।
आखिर दिल्ली के आकाश में कौन सी परेशानी उत्पन्न हो गयी थी?
देवदूतों और राक्षसों के पीछे का रहस्य क्या था?
शिप्रा और शीना के बीच फँसी परमाणु की जिंदगी अब क्या रूप अख्तियार करने वाली थी?
मेरे विचार
‘जो होगा देखा जाएगा’
परमाणु की ‘परमात्मा शृंखला’ का दूसरा कॉमिक बुक है। कॉमिक की शुरुआत पहले कॉमिक
‘अब क्या होगा’ के आगे से ही होती है। वैसे तो इस कॉमिक में भी पहले कॉमिक का संक्षिप्त विवरण दिया गया है लेकिन बेहतर यही होगा कि आप पहले उस कॉमिक को पढ़ें।
प्रस्तुत कॉमिक की बात करें तो यह कॉमिक भी पहले कॉमिक की तरह एक तरह से कहानी की भूमिका ही सेट करता है। यहाँ बहुत सी चीजें होती जरूर है लेकिन रोमांच की कमी भी आपको महसूस होती है। ‘अब क्या होगा?’ के अंत में दिखने वाला परमात्मा इस कॉमिक में दिखाई नहीं देता है लेकिन त्रिकाली के प्रसंग से उसके विषय में ये तो पता चलती है कि उसके पास कुछ तो दिव्य ताकतें हैं। कॉमिक की अच्छी बात यह है कि परमात्मा के अलावा भी कई चीजें कॉमिक में होती दिखती हैं जिनके उत्तर जानने की इच्छा आपको अगला कॉमिक पढ़ने के लिए मजबूर जरूर कर देंगी। मसलन दिल्ली के आसमान में होने वाली गड़बड़ी का कारण कौन था? मौसम विभाग के उपग्रह को किसने नष्ट किया? परमात्मा और त्रिकाली मिलकर क्या खेल खेल रहे थे? परमात्मा का धरती में आने का क्या कारण है? क्या शीना परमाणु का राज जान पाएगी? ये सभी सवाल अगले भाग को पढ़ने की इच्छा जगा देती हैं।
वहीं कॉमिक में एक जेट को लैंड करने का प्रसंग है। इस सीन में लेखक की रिसर्च प्रभावित करती है। लेखक चाहते तो उस जानकारी को दिये बिना भी कहानी को आगे बढ़ा सकते थे लेकिन जिस तरह से उन्होंने वह जानकारी पाठकों से साझा की है वह मुझे पसंद आई।
हाँ, यहाँ मैं इतना जरूर कहूँगा कि अगर इस कॉमिक में भी परमाणु किसी दिशासुर जैसे किसी खलनायक से लड़ता दिखाया जाता तो बेहतर होता। इसके अलावा परमात्मा के जिक्र के साथ-साथ उसके कुछ सीन्स भी इधर होते तो बेहतर होता। अभी इसमें बहुत कुछ घटित होते हुए भी ज्यादा कुछ घटित होते नहीं प्रतीत होता है। क्योंकि सवाल इतने बचे रहते हैं तो एक तरह से अधूरेपन का अहसास आपको यह कराता है। कुछ सवालों के उत्तर अगर यहाँ दिखते तो बेहतर होता।
कॉमिक बुक के आर्ट की बात करूँ तो इसका आर्ट मुझे पसंद आया। कई बार भारतीय कॉमिक बुक्स के किरदार भारतीय कम और पश्चिमी अधिक लगते हैं लेकिन इस कॉमिक के किरदारों के चेहरे पर भारतीयता की छाप देखने को मिलती है जो कि एक सुखद अहसास है। कॉमिक बुक के इस आर्ट को देखने के बाद मैं दिलीप चौबे के दूसरे आर्ट वर्क वाले कॉमिक भी देखना चाहूँगा।
अंत में यही कहूँगा कि भले ही कहानी में रोमांच के तत्व कम हों लेकिन अगले भाग के लिए उत्सुकता यह कॉमिक भरपूर जगाता है। देखना यह है कि क्या इन सवालों के जवाब मिलेंगे या फिर लेखक अगले भाग तक उसे सरका देंगे। कॉमिक बुक अगर आप एकल कॉमिक के तरह पढ़ेंगे तो निराश होंगे लेकिन अगर शृंखला के भाग के हिसाब से पढ़ेंगे तो यह आपको अपना कार्य बाखूबी करते दिखेगा।
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