सूरज पॉकेट बुकस अपने इइंप्रिंट बुककेमिस्ट(Bookemist ) के साथ लोकप्रिय साहित्य प्रकाशित करने वाले अग्रणी प्रकाशन संस्थानों में से एक है। अगर आपको लोकप्रिय साहित्य पसंद हैं तो सूरज पॉकेट बुक्स के पास आपके पढ़ने के लिए काफी किताबें मिल जाती हैं। यह टीम निरंतर नई किताबें प्रकाशित करती रहती है। आज हम आपके लिए उनके द्वारा हाल ही में प्रकाशित किताबों की सूची लेकर आ रहे हैं। उम्मीद है आपको इनमें से काफी कुछ नया पढ़ने को मिलेगा।
सलाखें – परशुराम शर्मा (Salakhein – Parshuram Sharma)
अगर आप हिन्दी लोकप्रिय साहित्य में रूचि रखते हैं तो बाज, इंका और आग जैसी श्रृंखलाओं के रचनाकार परशुराम शर्मा आपके लिए किसी भी पहचान के मोहताज नहीं होने चाहिए। 16 साल की उम्र में पहला उपन्यास लिखने वाले परशुराम शर्मा आज भी लेखन क्षेत्र में सक्रिय हैं।
परशुराम शर्मा ने 300 से ऊपर उपन्यासों की रचना के अलावा नागराज, अंगारा, भेड़िया जैसे कॉमिक बुक किरदारों की रचना भी की है। लेखन क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ साथ उन्होंने गीत संगीत और अदाकरी की दुनिया में भी हाथ आजमाया है।
सलाखें परशुराम शर्मा की आत्मकथा है जिसमें उन्होंने अपने जीवन के स्याह सफेद पहलुओं को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है।
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | अमेज़न
[New books Published by Sooraj Pocket Books]
फंकी कोट्स – सुरेन्द्र मोहन पाठक (Funky Quotes – Surender Mohan Pathak)
सुरेन्द्र मोहन पाठक आज हिन्दी के सबसे प्रसिद्ध अपराध लेखक हैं परन्तु अगर आप सुरेन्द्र मोहन पाठक के रचना संसार से वाकिफ हैं तो आप यह भी जानते होंगे कि वह अपराध साहित्य के इतर भी किताबें अक्सर प्रकाशित करते रहे हैं। सूरज पॉकेट बुक्स द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित फंकी कोट्स (Funky Quotes) भी एक अलग तरह की किताब है। अंग्रेजी में प्रकाशित इस किताब में लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक ने कुछ चुटीले , कुछ रोचक और कुछ जीवन दर्शन से जुड़े उद्धरणों (quotes) को संकलित किया है।
यह अपने तरह के अलग किताब है जिसे कि आप अगर प्रकाशक की वेबसाइट से मँगवाते हैं तो आपको इसकी एक लेखक द्वारा हस्ताक्षर की हुई प्रति मिलेगी।
आपको बताते चलें कि फंकी कोट्स से पहले सुरेन्द्र मोहन पाठक का पहला कहानी संग्रह तकदीर का तोहफा भी सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हो चुका है।
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | अमेज़न
ख्वाहिशों का सफर – देवाशीष उपाधाय(Kwahishon Ka Safar – Dewashish Upadhyay)
ख्वाहिशों का सफर देवाशीष उपाध्याय का लिखा हुआ उपन्यास है। यह एक मेधावी छात्र अंकुर ठाकुर की कहानी जिस अपनी ख्वाहिशो को पूरा करने के लिए किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वह उनसे उभर कर अपने लक्ष्य को किस प्रकार हासिल करता है यही इधर दर्शाया गया है।
उपन्यास के विषय में:
अंकुर ठाकुर बिहार के आरा जिले का एक मेधावी छात्र था, परंतु उसकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा में जिले में टॉप करने के बाद उसके पिताजी आईआईटी की तैयारी का चाहते थे लेकिन उनके पास फीस भरने को पैसा नहीं था। बावजूद इसके अंकुर अपनी काबिलियत के दम पर फ्री सीट पर कोटा की एक प्रतिष्ठित कोचिंग में एडमिशन प्राप्त करता है। पहले प्रयास में आईआईटी मेंस में अच्छे नंबर आने के बावजूद एडवांस एग्जाम से 15 दिन पहले उसे डेंगू हो जाता है, जिसके कारण उसका IIT में फाइनल सलेक्शन नहीं हो पाता है। दूसरे अटेम्प्ट में मेंस से 3 दिन पहले उसके पिताजी का देहांत हो जाता है, उसके पास इतना भी पैसा नहीं होता है कि वह टिकट लेकर अपने गाँव आरा जा सके। वह बिना टिकट यात्रा करता है लेकिन विदाउट टिकट पकड़ लिया जाता है। जिसके कारण वह गांव की बजाय जेल पहुँच जाता है… आगे क्या होता है। क्या वह सफल होता है? यही उपन्यास का कथानक बनता है।
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | किंडल
वो बेगुनाह थी – मोहन मौर्य (Wo Beguah Thi- Mohan Maurya)
वो बेगुनाह थी लेखक मोहन मौर्य का नवप्रकाशित उपन्यास है। यह उनका चौथा उपन्यास है। बताते चलें इसके पहले उनका उपन्यास चक्रव्यूह सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ था जो कि उनके पूर्व प्रकाशित उपन्यास ऑपरेशन ए ए ए का दूसरा भाग था।
उपन्यास के विषय में
रश्मि माथुर 22 वर्षीय खूबसूरत लड़की, जो हैदराबाद की आई टी कंपनी में 22 लाख के पैकेज पर कार्यरत थी । पुलिस ने उसे ड्रग्स सप्लाई के इल्जाम में गिरफ्तार किया था, पर उसका कहना था कि वो बेगुनाह है और उसे किसी ने फँसाया है । पुलिस को उसकी इस थ्योरी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था । तब उसे बेगुनाह साबित करने निकला एक 38 वर्षीय आई टी कंपनी में ही कार्यरत राहुल वर्मा, जो जासूसी उपन्यास पढ़ते-पढ़ते खुद को भी जासूस समझने लगा था । क्या वो उसे बेगुनाह साबित जारने मे सफल हुआ या खुद किसी मुसीबत के गले जा लगा ?
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | अमेज़न
जोकर के दो आगे जोकर – शुभानन्द (Joker ke Do Aagey Joker – Shubhanand)
जोकर से पाठक पहली बार जावेद अमर जॉन श्रृंखला के पहले उपन्यास जोकर जासूस (2012) में मिले थे। उस वक्त पाठकों ने जोकर को काफी पसंद किया था। जोकर द्रोवेलिया नाम के देश का एक ख़ुफ़िया एजेंट है जो कि जोकर जासूस में भारत आया था। अब एक बार फिर शुभानन्द जोकर को ‘जोकर के दो आगे जोकर’ में लेकर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हुए हैं।
यह भी पढ़ें: जोकर जासूस की समीक्षा
उपन्यास के विषय में:
‘जोकर के दो आगे जोकर, जोकर के दो पीछे जोकर, बोलो कितने जोकर?’ – इस पहेली के साथ जोकर ने एक बार फिर हिंदुस्तान की सरजमीं पर कदम रखे और पहुँचा मुंबई की सेंट्रल जेल के अंदर एक खास मिशन के लिये एक खास पार्टनर की तलाश में। जेल से किसी तरह निकलने के बाद वह सीधे पहुँचा छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित अबूझमाड़ के जंगलों में।
आखिर क्या था वह मिशन और क्या थी वो चीज जिसकी फिराक में जोकर एक बार फिर अपनी जान का रिस्क लेकर भारत पहुंचा था ? छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगल में एक खतरनाक मिशन की कहानी।
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | अमेज़न
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | अमेज़न
किताब लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स | अमेज़न
उपन्यासों के बारे में काफी अच्छी जानकारी दी आपने। इन में से कुछ रचनाएँ मैंने पढने के लिए चयनित की हैं।
धन्यवाद ।।
आभार गुरप्रीत जी…
उपयोगी जानकारी मिली।
जी आभार….
उपन्यासों के विषय को रेखांकित करते हुए सुंदर प्रस्तुति ।
आभार…