खौफ़नाक रौशनी – एस सी बेदी

रेटिंग : 2.5/5

किताब 4 फ़रवरी 2018 से फ़रवरी 6,2018 के बीच पढ़ी गई 
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक 
पृष्ठ संख्या: 40
श्रृंखला : राजन-इकबाल #231
खौफ़नाक रौशनी कवर
पहला वाक्य:
सूरज!
यानी दुनिया का नम्बर वन आदर्शवादी गिरहकट।

सूरज ने होटल गौतम में दाख़िल होते हुए ही एक व्यक्ति की जेब काट ली थी। बटवे में उसे पैसे तो मिले लेकिन उसके साथ ही एक ऐसा नोट भी मिला जिसने उसके होश उड़ा दिये। नोट सलीम नाम के व्यक्ति के लिए था और प्रोफेसर विश्वनाथ के विषय में था।

प्रोफेसर विश्वनाथ भारत की आन बान और शान थे। अपने अविष्कारों से उन्होंने भारत को एक सशक्त देश बनाया था और उस दिन भी वो अपने एक नये आविष्कार का प्रदर्शन करने वाले थे। नोट से इस बात का अंदाजा तो हो गया था कि प्रोफेसर के खिलाफ कुछ षड्यंत्र रचा जा रहा था।

आखिर कौन था सलीम और उसका मकसद क्या था? वो कौन था जो प्रोफेसर विश्वनाथ के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा था?  क्या वो लोग अपने मकसद में कामयाब हो सके? सूरज ने ये जानकारी प्राप्त होने के पश्चात क्या किया? राजन इकबाल इस केस में कैसे शामिल हुए? 


मुख्य किरदार:
सूरज : एक जेब कतरा और राजन की सीक्रेट एजेंट्स की टीम का एक सदस्य
सलीम : एक व्यक्ति जिसकी जेब सूरज ने काटी थी
प्रोफेसर विश्वनाथ – भारत के जाने माने वैज्ञानिक
राजन – एक सीक्रेट एजेंट
इकबाल – राजन का साथी और सीक्रेट एजेंट
शोभा – एक सीक्रेट एजेंट और राजन की प्रेमिका
इंस्पेक्टर प्रताप सिंह- चंदननगर का पुलिस इंस्पेक्टर 

‘नीली रोशनी’ में दर्ज संख्या के हिसाब से ये राजन इकबाल श्रृंखला का 231 वाँ लघु उपन्यास है। कई दिनों से राजन इकबाल के पुराने लघु उपन्यासों को पढ़ने की इच्छा थी। ऐसे में जब राज कॉमिक्स की साईट में विचरण करते हुए देखा कि वो लोग राजन इकबाल के दो सेट बेच रहे हैं तो पढ़ने की इच्छा दोबारा जोर मारने लगी और मैंने फट से वो दो सेट मँगवा लिए। इससे फायदा ये हुआ कि अब मेरे पास एस सी बेदी जी के राजन इकबाल श्रृंखला के 27 बाल उपन्यास पड़े है। हाँ, अगर सारे उपन्यास क्रम से मौजूद होते तो बढ़िया रहता लेकिन फिर जो मिले उसी में खुश रहना भी पड़ता है।

इस किताब की बात करें तो इसकी शुरुआत एक छोटे से संयोग से होती है। कहानी में अगर कहीं भी संयोग हो तो मुझे खटका सा होने लगता है। वही इधर भी हुआ। संयोग मुझे कमजोर प्लाट की निशानी लगती है फिर  भले ही जीवन में कई चीजें संयोगवश ही होती हों। खैर, मेरे हिसाब से तो कहानी के शुरुआत के संयोग की इधर अवश्यकता भी नहीं थी क्योंकि कहानी जब आगे बढ़ती है तो हमारे सारे  नायक  परिस्थितिवश उसी जगह पर होते हैं जहाँ महत्वपूर्ण घटना घटती है। इसलिए शुरुआत में संयोग नहीं भी होता तो चल सकता था। इसके इलावा कहानी सीधी है। इसमें ट्विस्ट तो है लेकिन इतने नहीं है। फिर बाल उपन्यास है तो उसी हिसाब से मैंने इसे पढ़ा भी। घटनायें होती रहती हैं और हमारे नायक उसी हिसाब से कार्य करते हैं। वो कुछ विशेष छानबीन नहीं करते हैं। वो अक्सर जिधर होते हैं उधर ही ऐसा कुछ घटित हो जाता है जो केस में आगे बढ़ने में उनकी मदद करता है। इस मामले में कहानी साधारण है।

हाँ, कहानी में एक महत्वपूर्ण मुद्दे को लेखक ने उठाया है। देश में अक्सर उन लोगों की दुर्दशा होती है जिनकी कि देश को सबसे अधिक जरूरत होती है। और नेता लोग मलाई चाटते रहते हैं। यही प्रमुख कारण है कि हमारे देश के कई प्रतिभावान लोग देश छोड़कर चले जाते हैं। उपन्यास में आई ये बात मुझे पसंद आई।

किताब में राजन इकबाल की श्रृंखला से जुड़े बाकी सब तत्व भी मौजूद हैं। यानी शोभा और राजन का विशेष समीकरण है जिसमे शोभा उससे मनुहार करती रहती है और राजन पत्थर बना रहता है। इकबाल का मजाकिया अंदाज भी जोरो शोरों पर है। हाँ,उपन्यास में सलमा नहीं है तो उसकी कमी थोड़ी सी खली थी क्योंकि इक़बाल और सलमा के बीच के वार्तालाप पढ़ने का मज़ा ही कुछ और होता है।

बाकी अगर आप व्यस्क हैं तो ये किताब आपको कुछ ज्यादा सरल लग सकती है। बच्चों को ये किताब जरूर पसंद आएगी। मैं अपनी बात करूँ तो मुझे इसे पढ़ने में मज़ा आया और इससे मेरे अंदर खरीदी गई अन्य  किताबों को  पढ़ने की उत्सुकता बड़ी है।  हाँ, राजा वाले बाकी के बाल उपन्यासों को भी निकालें तो मजा आ जायेगा। कम से कम 240 से ऊपर उपन्यास हैं और अभी तक 27 ही निकाल रहे हैं वो लोग। तो काफी मटेरियल और निकाल सकते हैं।

अगर आपने इस लघु उपन्यास को पढ़ा है तो आपको ये कैसा लगा था? अपनी राय से मुझे अवगत जरूर करवाईयेगा।


राजन इकबाल श्रृंखला के दूसरे उपन्यासों के विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

4 Comments on “खौफ़नाक रौशनी – एस सी बेदी”

  1. मैंने अभी तक राजन-इक़बाल सीरीज के एक भी उपन्यास नहीं पढ़े हैं।जल्द ही खरीदकर पढूँगा।समीक्षा बढ़िया लिखी।एक बाल-उपन्यास को पढ़ते वक़्त आपको वैसा ही सोचना होगा।बड़ों जैसी maturity खोजना नहीं चाहिए उनमें।तभी पढ़ने में मजा आएगा।

    1. जी पढ़ना इसे। वैसे चूँकि ये बाल उपन्यास इसलिए कमज़ोर प्लाट चल सकता है। मैं इस बात को नहीं मानता। एक अंग्रेजी लेखक हैं अन्थोनी होर्रोविट्ज़ (Anthony Horrowitz) जो बाल उपन्यास लिखते हैं। डिटेक्टिव फिक्शन है लेकिन मज़ाकिया अंदाज़ में। सीरिज़ डायमंड ब्रदर्स के नाम से है। मैं जब पढ़ता हूँ तो गुणवत्ता में अंतर्राष्ट्रीय स्तर तलाशता हूँ इसलिए प्लाट की कमज़ोरी ज्यादा असर दिखाती है।रिक रिओर्डन की कोई भी श्रृंखला देख लीजिए। अगर हिंदी लेखकों को लिखना है तो स्तर इनके बराबर ही रखना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *