रेटिंग : 3.5/5
कहानी 18th जुलाई 2017 को पढ़ी गयी
कहानी 18th जुलाई 2017 को पढ़ी गयी
संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : ई-बुक
प्रकाशक : डेली हंट
प्रथम प्रकाशन : १९५९
पहला वाक्य:
कमल भौंचक्का सा वकील शामनाथ का मुँह देखता रहा।
कमल इस बात से हैरान था कि मॉडर्न प्लास्टिक लिमिटेड के पाँच हज़ार शेयर उसके नाम कर दिए गये थे। वो मॉडर्न प्लास्टिक लिमिटेड के मालिक राय ज्योति प्रसाद से केवल बार मिला था और वो मुलाकात भी मामूली सी थी। फिर क्यों उसके नाम ये शेयर्स जिनकी कीमत 7000 रुपये थी किये गए थे?
इस बात को लेकर ज्योति प्रसाद के वकील शामनाथ भी हैरान थे? आखिर वसीयत के इस क्लॉज़ के पीछे क्या कारण था?
57 साल पुराना आदमी सुरेंद्र मोहन पाठक जी की पहली प्रकाशित रचना है। सबसे पहले ये कहानी मनोहर कहानी नामक पत्रिका में वर्ष १९५९ को प्रकाशित हुई थी।
कहानी के विषय में बात करूँ तो इसे विज्ञान गल्प की श्रेणी में रखा जा सकता है। कहानी में टाइम ट्रेवल यानी समय में भविष्य या भूतकाल में जाने के एलिमेंट्स हैं। कमल और शामनाथ के डायलाग से कहानी आगे बढ़ती है।
कहानी रोचक है और पाँच दस मिनट में इसे पढ़ा जा सकता है। कहानी 1962 में घटित होती है। उस वक्त के पैसे की वैल्यू को पढ़ते हुए आज अजीब लगता है। उस वक्त 70000 कितनी बढ़ी रक्म रही होगी इसका अंदाजा लगाना मेरी उम्र के पाठकों को थोड़ा मुश्किल लगेगा।
कहानी में कुछ भी साफ तौर पर नहीं बताया गया है लेकिन पाठक कमल और शामनाथ के संवादों को पढ़ने के बाद आसानी से अंदाजा लगा सकता है कि क्या हुआ होगा। इससे ज्यादा लिखूंगा तो कहानी का सस्पेंस उजागर हो जायेगा इसलिए बाकी आप पढ़कर पता लगा लीजियेगा।
मुझे तो कहानी पसन्द आयी। अगर आपने इसे पढ़ा है तो मुझे बताईयेगा कि आपको इसे पढ़कर कैसा लगा। अगर आपने इसे नहीं पढ़ा है तो आप इसे डेलीहंट एप्प के माध्यम से पढ़ सकते हैं। लिंक निम्न है :
कहानी का शीर्षक रोचक है जो कहानी पढने के लिए आकृष्ट करता है।
कहानी पढने की इच्छा जागृत हुयी है।
जरूर। अच्छी कहानी है। झट से पढ़ी भी जा सकती है। एक बार जरूर पढियेगा।
Please explain the ending