रक्त पिपासू – राज भारती

रेटिंग : १ /५
उपन्यास १५ से १७ अगस्त,2015 के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : २३८
प्रकाशक : धीरज पॉकेट बुक्स
श्रृंखला : अग्निपुत्र

पहला वाक्य :
आज उस पहाड़ी खोह का माहोल कुछ अजीब था। 

रक्त पिपासु राजभारती द्वारा कृत अग्निपुत्र श्रृंखला का तेइसवाँ उपन्यास है। अग्निपुत्र एक अमर व्यक्ति है जो युगों युगान्तर से धरती में विचरण कर रहा है। इस समय में उसने कई हैरतअंगेज अनुभव एकत्रित किया हैं जिन्हें वो प्रोफेसर दयाल और प्रोफेसर की बेटीयाँ बाला और कविता के बीच बाँट रहा है। अग्निपुत्र के विषय में मुझे भी इतना ही पता है क्योंकि रक्त पिपासू इस श्रृंखला का पहला उपन्यास है जिसे मैंने पढ़ा है।

खैर अब आते हैं उपन्यास के विषय पर, अग्निपुत्र इस उपन्यास में कौर की रानी नागीना से मिलने और उसके साथ बिताये वक़्त की दास्तान बताना शुरू करता है। अग्निपुत्र के इस सफ़र की शुरुआत जब होती है तब वो जुलू कबिले में शांतिपूर्वक जीवन बिता रहा होता है।इस कबीले का सबसे ताकतवर तांत्रिक जकाली उसे एक ऐसे गौरवर्ण वाली रानी के विषय में बताता है जो उससे भी बढ़ी तांत्रिक है और शूरा (अग्निपुत्र को इस कबीले में यही पुकारा जाता है) से मिलना चाहती है। यह तांत्रिक शूरा को उधर भेजने के लिए मना लेता है। लेकिन ये सफर आसान नहीं है।  नागिना तक पहुँचने के लिए शूरा को काफी मुश्किलों का सामना करना होगा। क्या थी ये मुश्किलें? क्या शूरा अपने मकसद में कामयाब होगा? कौन है ये नागीना? ये तो आपको इस उपन्यास को पढ़ने के बाद ही आपको पता चलेगा।

उपन्यास मुझे औसत से भी कम लगा। मैंने जब इस उपन्यास को पढ़ने की शुरुआत करते है तो मैंने  उम्मीद की थी कि इसमें रोमांच होगा,तिलिस्म होगा लेकिन अफ़सोस मुझे नाउम्मीद होना पढ़ा। किरदार के तौर पर अग्निपुत्र एक अच्छा किरदार है जिसके अंदर काफी सम्भावनायें है लेकिन इधर इनका इस्तेमाल नही किया गया है।

पूरे उपन्यास में  हम पढ़ते हैं की अग्निपुत्र का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता लेकिन फिर भी वो एक मामूली इंसान के जैसे ही व्यवहार करता है। कई बार तो केवल उसकी बातें अपने मियाँ मिट्ठू को चरित्रार्थ करते हैं।

 उपन्यास पढ़ते समय मुझे H Rider haggard के उपन्यास She: A story of adventure की याद आती रही लेकिन ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि दोनों की पृष्ठभूमि अफ्रीका है और दोनों के नायक एक गौरवर्ण वाली जादूगरनी को ढूंढने के सफ़र में निकलते होते हैं।

उपन्यास में कुछ एक रोमांचक दृश्य आते हैं लेकिन वो इतने कम समय के लिए होते है कि उन्हें नगण्य ही समझा जायेगा ।
उपन्यास मुझे तो पसंद नहीं आया और मैं तो इसे किसी भी व्यक्ति को पढ़ने की सलाह  नहीं दूँगा। उपन्यास के अगले अंश भी है  लेकिन उनका मिलना मुश्किल है।  अगर वो मिलते हैं तो मैं उन्हें पढना चाहूँगा ताकि कहानी ख़त्म हो सकते । ऐसा इसलिए है क्योंकि मुझे कहानी मध्य में छोड़ना पसंद नहीं है(चाहे वो जैसी भी हो)।
खैर मैं इस उपन्यास के लिए केवल इतना ही लिखना चाहूँगा की उपन्यास काफी अच्छा हो सकता था। और अगर आप उपन्यास को नहीं भी पढ़ेंगे तो आप कुछ खो नहीं रहे हैं।
अगर आप फिर भी इसे पढ़ना चाहते हैं तो उपन्यास आपको रेलवे के स्टाल्स में मिल सकता है।  


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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20 Comments on “रक्त पिपासू – राज भारती”

  1. राजभारती का एक बार एक अग्निपुत्र श्रृंखला का उपन्यास पढा था, बेहद बकवास था।
    yuvaam.blogspot.com

    1. जी सही कहा। उपन्यास मुझे भी पसन्द नहीं आया। इसी सीरीज का उपन्यास शंखनाद पड़ा हुआ है लेकिन आजतक हिम्मत नहीं हुई है उसे हाथ लगाने की।
      हिंदी में एक राजभारती ही हैं जो हॉरर उपन्यास लिखते हैं।कोई और उपन्यासकार जो हॉरर लिखते हैं अगर आपकी जानकारी में हो तो जरूर अवगत करायिगा।

    1. जी शैलेन्द्र तिवारी का नाम पहली बार सुन रहा हूँ। ढूँढता हूँ। अगर कहीं मिलते हैं तो जरूर पढ़ूँगा। हिंदी में हॉरर उपन्यासकारों की वैसे भी कमी है। आपने एक नया नाम सुझाया। उसके लिए शुक्रिया।

  2. होरर उपन्यास मे परशुराम शर्मा जी की आदमखोर, प्रेत सुंदरी, डांका या फाका पढें, शानदार उपन्यास हैं ये

    1. जी, अगर ये उपन्यास मिले तो जरूर पढूँगा. वैसे सुना है कि सूरज परशुराम जी के पुराने उपन्यास के री प्रिंट निकलवा रहा है. अगर ऐसा होता है तो शायद जल्द ही मुझे इन्हें पढने का मौका मिले. उपन्यास के नाम साझा करने के लिए शुक्रिया. आप अपना नाम भी लिख देते तो बढ़िया होता,दोस्त.

    2. जी विकास भाई मेरा नाम दिनेश कुमार है, निक नेम देव कुमार (दिल्ली)
      क्या आप फेसबुक पे हैं ?

    3. विकास भाई परशुराम शर्माजी के हॉरर सीरीज या अन्य जासूसी सीरीज के उपन्यास कहीं पर भी उपलब्ध नही है। कृपया पता दे तो हम भी आनंद ले उनकी रचनाओं का।

    4. जी मुझे भी इस विषय में कोई आईडिया नहीं है। facebook में परशुराम शर्मा जी सक्रिय रहते हैं। आप उनसे इस विषय में पूछ सकते हैं।
      https://www.facebook.com/parshuram.sharma.9041
      ये उनकी फेसबुक आई डी है। उम्मीद है इससे आपकी कुछ मदद मिल जाएगी।

  3. मैं राज भारती के अग्निपुत्र सीरीज के मायाजाल से लेकर सभी उपन्यास खरीदना चाहता हूँ।

    1. सार्वजानिक मंच पर फोन नंबर देना क्या उचित होगा??? मेरा मानना है आप उन्हें राममेहर जी की ईमेल आईडी या फेसबुक लिंक दे दें। उसके माध्यम से संपर्क होगा तो राम मेहर जी की निजता में भी कोई दखलअन्दाजी न होगी। यहाँ पता नहीं किस किस को उनका नंबर मिल सकता है। इस कारण मैं आपके कमेन्ट को डिलीट कर रहा हूँ। कृपया अन्यथा न लीजियेगा।

  4. मैं राजभारती के अग्निपुत्र सीरीज के मायाजाल से लेकर अंतिम सभी उपन्यास खरीदना चाहता हूँ।

    1. सर मेरे पास अग्निपुत्र श्रृंखला के केवल दो ही उपन्यास हैं।एक ये और दूसरी शंखनाद। लेकिन मैं माफ़ी मांगते हुए ये कहना चाहूँगा कि मैं उपन्यास बेचता नहीं हूँ।

    2. सॉरी सर्, मेरा मतलब यह नहीं था। मैं यह सारे उपन्यास खरीदना चाहता हूँ। कृपया इसमे मेरी मदद करने का कष्ट करें आपको यदि मालूम हो कि ये कहाँ से मिल सकते है तो बता दें।

    3. चौरसिया जी,मुझे तो ये उपन्यास दो तीन साल पहले एक रेलवे स्टेशन पे मौजूद ए एच व्हीलर के स्टाल पर मिले थे। अभी भी मैं अक्सर ऐसे स्टाल्स पर चला जाता हूँ तो कुछ उपन्यास मिल जाते हैं। वैसे ये उपन्यास धीरज पॉकेट बुक्स, जो कि मेरठ में है, से आया है। आप उनसे पता कर सकते हैं। ये लिंक जस्ट डायल से मिला है :
      https://www.justdial.com/Meerut/Dheeraj-Pocket-Books-Near-Odeon-Cinema/9999PX121-X121-101205151058-F9V5DC_BZDET
      आप फोन पर संपर्क करके ज्यादा जानकारी ले सकते हैं। वही आपको सही तरह से गाइड कर पायेंगे।

  5. राज भारती जी के अग्निपुत्र सीरीज के पहले दो उपन्यास मायाजाल और महामाया पढने लायक है

    1. जी अगर मिले तो जरूर पढूँगा। वैसे डेलीहंट में काफी उपन्यास हैं राजभारती जी के तो उधर मिल सकते हैं।

  6. हाॅरर उपन्यास के लिए आप तांत्रिक बहल और शैलेन्द्र तिवारी के उपन्यास पढें।
    तांत्रिक बहल के उपन्यास हो सकता है न मिलें पर शैलेन्द्र तिवारी के उपन्यास मिल जायेंगे।

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