गजानन रैना साहित्यानुरागी हैं। साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखते रहते हैं।आज वह अपने खास अंदाज में एक लेखक के विषय में बता रहे हैं? बताइए तो वह कौन था?
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वो एक लेखक भी था, एक चिकित्सक भी। 29 जनवरी ( सारे ग्रेट लोग जनवरी पसंद करते हैं), 1860 की एक अलसाई दोपहरी उसका जन्म हुआ था।
ये आदमी शान से जिया, अपनी शर्तों पर जिया। उसने ’सीगल ‘, और ‘ द चेरी आर्चर्ड ‘ जैसे अमर नाटक लिखे, जिनके कथ्य और टेक्सचर का अतिक्रमण डेढ़ शताब्दी से अधिक बीत जाने के बाद भी कम लोग कर सके हैं। बल्कि अधिकांशतः आलोचकों का मानना है कि नहीं कर सके हैं।
इसके अतिरिक्त उसने विश्व की बेहतरीन कथायें (या कहें, लघु कथायें) लिखी।
उसके महादेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक, आभिजात्य के शिखर, लियो टॉलस्टाय ने उसके बारे में कहा था कि उसके न आगे कोई था, न पीछे। वह तो बस अनूठा था, एक और बस एक।
सैंतीस साल की उम्र में उसे पता चला कि वो राजरोग, ट्यूबर कुलोसिस का शिकार हो चुका था।
उस जमाने में यह रोग शर्तिया मौत का एलान था। वो समाचार सुन कर हंस दिया, फिर वो पूरी ऊर्जा से लिखने में लग गया।
कहा उसने अपनी प्रिया, अपनी परस्तिश से, “देखो, पहले हमें पता था कि हमारे पास तीस साल हैं। अब ये लोग कहते हैं कि बस कुछ और बरस बचे हैं, बस कुछ साल और। अब हम तुम्हें, लिखने को और जिंदगी को जो समय दें, कांसंर्टेटेड वे में देना होगा। ये पनियल नहीं हो सकता।”
और लेखक ने दिखा दिया कि वो बातें ही नहीं कर रहा था। प्रिया को एक पूरे जीवन का प्रेम दे डाला उन साढ़े सात बरसों में, भिगा डाला, उसके होने को, अपने होने से। उसने अपना शत प्रतिशत दे दिया था,अपनी चाहत को। कई जिंदगियों के लिए काफी।
जिंदगी को उसने वो साढ़े सात बरस टूट कर प्यार किया था। उसके आस पास के लोग, यहां तक कि एक मामूली वेटर अपनी आखिरी साँस तक यह नहीं भुला सका कि किसी लेखक ने किस शान से टू टाइमिंग की थी।
एक ओर वो जिंदगी को बांहों में सहेजे था तो दूसरी तरफ मौत के आने पर वो कंपित नहीं हुआ था।
शैंपेन का आखिरी जाम साथ पी कर मेहमान की कमर में हाथ डाल,शान से चलता वो विदा हुआ था।
अपने इतने लंबे कैरियर में मौत ने ऐसी शर्मिंदगी का सामना कम ही किया था।
वो लेखक था, एंटन चेखव!
V. Chekhovskii, Moscow – Christie's, LotFinder: entry 5140875, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=15472347 द्वारा |
लेखक परिचय:
गजानन रैना |
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रोचक आलेख, धन्यवाद ।
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।