संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशन: जगरनॉट | एएसआईएन: B097NFX1GC
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
मुस्तफा और बंडु ने जब मुक्ता के घर में चोरी की योजना बनाई तो उन्होंने सोचा भी न था कि उन्हे मुक्ता से ऐसी कोई कहानी सुनने को मिलेगी। उन्होंने अपने चोरी के करिअर में आज तक कई तरह के बहाने सुने थे लेकिन मुक्ता ने जो बहाना बनाया उसकी उम्मीद उन्हें नहीं थी।
मुक्ता की माने तो जिस लैपटॉप को यह चोर बेसमेंट से लाना चाह रहे थे उसमें उसके पिता की आत्मा का वास था और चोरों को उसे ले जाना उनके लिए भारी पड़ सकता था।
क्या मुक्ता की कही बात में सच्चाई थी या वह लैपटॉप बचाने की एक कोशिश ही थी?
क्या चोरों ने उनकी बात मानी?
मेरे विचार
द घोस्ट राइटर लेखक मयूर दिदोलकर द्वारा लिखी गयी कहानी है। इससे पहले मैंने मयूर दिदोलकर का कहानी संग्रह नागिन पढ़ा था और वह भी मुझे काफी पसंद आया था। ऐसे में द घोस्टराइटर से काफी उम्मीद थी और पढ़ने के बाद यही कहूँगा कि वह उम्मीद पूरी हुई है।
द घोस्ट राइटर एक रोमांच कथा है। छोटे-छोटे ग्यारह अध्यायों में विभाजित यह कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है वैसे वैसे इसमें होने वाले घटनाक्रम आपको आगे पढ़ते चले जाने के लिए विवश से कर देते हैं। कहानी में लेखक ने पारलौकिक तत्वों का इस्तेमाल किया है जो कि कथानक में रोमांच बढ़ा देता है और वहीं अंत का घुमाव चौंका देता है।
किरदारों की बात करूँ तो वह कहानी के अनुरूप हैं।
शीर्षक भी कहानी पर फिट बैठता है। एक तो कहानी में नायिका के पिता घोस्ट लेखक रहते हैं, जो दूसरे के नाम से लिखते थे। वहीं दूसरी तरफ कहानी में नायिका के अनुसार उसके पिता मृत्यु के बाद लैपटॉप पर लिखा करते थे तो इस हिसाब से भी कहानी पर शीर्षक फिट बैठता है।
कमी की बात करूँ तो घर में एक गुप्त रास्ता लेखक द्वारा दर्शाया गया है जो कि मुझे थोड़ा अटपटा लगा। आज के वक्त में घरों में गुप्त रास्ते के होने पर विश्वास करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल था। इस एक चीज को छोड़ दें तो कहानी में कुछ कमी नहीं लगी।
मैं तो यही कहूँगा कि अगर आपने इस कहानी को नहीं पढ़ा है तो एक बार अवश्य द घोस्ट राइटर को पढ़िए। मुझे यकीन है आप इससे निराश नहीं होंगे।