पंडी ऑन द वे - दिलीप कुमार

व्यंग्य: पंडी ऑन द वे – दिलीप कुमार

पुस्तक मेलों की अपनी एक अलग धमक होती है। अलग-अलग तरह के लोग वहाँ आते हैं। सबके अपने प्रयोजन होते हैं। पाठक,लेखक, प्रकाशक तो मौजूद रहते ही हैं लेकिन इनके अतिरिक्त भी कुछ लोग होते हैं जो पुस्तक मेलों में बहुदा देखे जाते हैं। लेखक दिलीप कुमार का व्यंग्य ‘पंडी ऑन द वे’ पुस्तक मेलों में मौजूद एक ऐसे ही चरित्र पर चिकोटी काटता है। आप भी पढ़ें।

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लेखक संदीप नैयर से रितिक चौहान की बातचीत

हिंदी साहित्य पर ऋतिक चौहान से प्रश्नोत्तरी

ऋतिक चौहान से एक प्रश्नोत्तरी हुई जिसमें उन्होंने लेखक संदीप नैयर से बहुत ही मौजूँ और सधे हुए सवाल पूछे। आप भी पढ़िए।

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