एक रात - रांगेय राघव

एक रात – रांगेय राघव

‘एक रात’ रांगेय राघव का लिखा रिपोर्ताज है। इसमें उन्होंने अकाल के समय के बंगाल की स्थिति को दर्शाया है। आप भी पढ़ें यह मार्मिक रिपोर्ताज:

एक रात – रांगेय राघव Read More
मरेंगे साथ, जिएँगे साथ - रांगेय राघव

मरेंगे साथ, जिएँगे साथ – रांगेय राघव

‘मरेंगे साथ, जिएँगे साथ’ रांगेय राघव का लिखा रिपोर्ताज है। एक डॉक्टरी दल के साथ जब वो गाँव में टीका लगाने गए तो वहाँ की क्या हालत थी और उधर उनके क्या अनुभव रहे यह वह इधर बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

मरेंगे साथ, जिएँगे साथ – रांगेय राघव Read More
अदम्य जीवन - रांगेय राघव

अदम्य जीवन – रांगेय राघव

‘अदम्य जीवन’ लेखक रांगेय राघव का लिखा एक रिपोर्ताज है। इसमें ढाका के एक गाँव शिद्धिरगंज जाकर उन्होंने वहाँ जो कुछ देखा वो बताया गया है। बंगाल में हुए अकाल और महामारी के बाद यह यात्रा की गयी थी जिसमें गाँव के जीवन पर पड़े असर और गाँव वासियों की जीवटता का मार्मिक चित्रण वो करते हैं।

आप भी पढ़ें:

अदम्य जीवन – रांगेय राघव Read More
बाँध भँगे दाओ -रांगेय राघव

बाँध भँगे दाओ -रांगेय राघव

‘बाँध भँगे दाओ’ रांगेय राघव का लिखा रिपोर्ताज है जिसमें उन्होंने कलकत्ते से कुष्टिया नामक कस्बे में आगमन के विषय में बताया है। बंगाल के अकाल और महामारी के बाद उन्होंने यहाँ का दौरा किया था। इस दौरान कैसे वहाँ जमाखोरी हो रही थी और जनता उससे कैसे लड़ी इसी का ब्योरा उन्होंने इधर दिया है। आप भी पढ़ें:

बाँध भँगे दाओ -रांगेय राघव Read More