गुरुकुल में तीन दिन - प्रेमचंद

गुरुकुल में तीन दिन – प्रेमचंद

1927 के आषाढ़ में प्रेमचंद गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय गये थे। वह तीन दिनों तक उधर रुके रहे। वहाँ उनके जो अनुभव थे उसे उन्होंने इस वृत्तांत में लिखा है। यह वृत्तांत माधुरी पत्रिका के अप्रैल अंक में प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

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सरयूपार की यात्रा - भारतेंदु हरिश्चंद्र

सरयूपार की यात्रा – भारतेंदु हरिश्चंद्र

भारतेंदु हरीशचंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता माना जाता है। उनके लिखे नाटक प्रसिद्ध हैं। ‘सरयूपार की यात्रा’ में भारतेंदु हरीशचंद्र ने अयोध्या की यात्रा के दौरान हूए अनुभव का वर्णन किया है। आप भी पढ़ें:

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दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा - प्रेमचंद

दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा – प्रेमचंद

सन् 1934 में हिंदी प्रचार सभा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रेमचंद मद्रास गये थे। मद्रास से वह मैसूर गये और वहाँ से बेंगलुरू गये। अपनी यात्रा के दौरान उनके जो अनुभव थे उन्होंने इस लेख में उन अनुभवों के विषय में लिखा है। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-2 - महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-2 – महावीर प्रसाद द्विवेदी

सन् 1905 में रॉबर्ट ई. पीरी ने उत्तरी ध्रुव की यात्रा शुरु की थी। 1909 में पूरी की। इसके बाद रॉबर्ट ई पीरी और डॉक्टर कुक के बीच यह विवाद शुरु हुआ कि किसने उत्तरी ध्रुव तक की पूरी यात्रा की है। इसी को लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी ने यह लेख लिखा था। इसमें पीरी की यात्रा का संक्षिप्त विवरण वो देते हैं। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-1- महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-1- महावीर प्रसाद द्विवेदी

सन् 1905 में रॉबर्ट ई. पीरी ने उत्तरी ध्रुव की यात्रा शुरु की थी। इसी को लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी ने यह लेख लिखा था जो कि सरस्वती पत्रिका में 1907 को प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-दो – महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-दो – महावीर प्रसाद द्विवेदी

कप्तान स्कॉट ने दक्षिणी ध्रुव की यात्रा की थी। जब उनकी दक्षिणी ध्रुव में हुई मृत्यु की खबर आयी तो उनकी यात्रा का विवरण देता यह आलेख महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया था। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-एक - महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-एक – महावीर प्रसाद द्विवेदी

लेफ़्टिनेंट शैकलटन अपने साथियों के साथ दक्षिणी ध्रुव की दूसरी यात्रा करने गए थे। वहाँ से लौट आने पर जो उन्होंने वहाँ की यात्रा के सम्बन्ध में प्रकाशित किया उसका ही संक्षिप्त विवरण महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा इस लेख में किया गया है। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: यमलोक का जीवन - महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: यमलोक का जीवन – महावीर प्रसाद द्विवेदी

डॉ शैकलटन दक्षिणी ध्रुव की यात्रा पर जाकर लौट आये थे। बीमारी ने उन्हें आने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने अपनी यात्रा का वृत्तांत लिखा जिसे आधार बनाकर महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा यह लेख लिखा गया। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: जर्मनी की सैर - राहुल सांकृत्यायन

यात्रा वृत्तांत: जर्मनी की सैर – राहुल सांकृत्यायन

पेरिस की यात्रा के बाद राहुल सांकृत्यायान जर्मनी गए थे। ‘जर्मनी की सैर’ में वह अपने जर्मनी में बिताए दिनों और वहाँ हुए अनुभवों के विषय में बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: पेरिस में

यात्रा वृत्तांत: पेरिस में – राहुल सांकृत्यायन

वर्ष 1932 में राहुल सांकृत्यायन ने 14 से 26 नवम्बर के बीच के 14 दिन पैरिस में बिताए थे। ‘पेरिस में’ में उनके इन्हीं दिनों का वृत्तांत है। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: तिब्बत में प्रवेश - राहुल सांकृत्यायन

यात्रा वृत्तांत: तिब्बत में प्रवेश – राहुल सांकृत्यायन

‘तिब्बत में प्रवेश’ राहुल सांकृत्यायन का लिखा यात्रा वृत्तांत है। इस वृत्तांत में वह तिब्बत में तीसरी बार प्रवेश करने का अनुभव पाठकों से साझा कर रहे हैं। 21 अप्रैल से 6 मई के बीच की गयी यात्रा के विषय में वह बता रहे हैं। आप भी पढ़ें।

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यात्रा वृत्तांत: ल्हासा की ओर - राहुल सांकृत्यायन

यात्रा वृत्तांत: ल्हासा की ओर – राहुल सांकृत्यायन

वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी-कलिङ्पोङ् का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीज़ें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसीलिए जगह-जगह फ़ौजी चौकियाँ और क़िले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी। आजकल बहुत से फ़ौजी मकान गिर चुके हैं।

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