जनवरी में आ रहा है सुरेंद्र मोहन पाठक का दुबई गैंग

 

जनवरी में आ रहा है सुरेंद्र मोहन पाठक का दुबई गैंग
सुरेंद्र मोहन पाठक

हिंदी के महशूर अपराध कथा सुरेंद्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) के उपन्यासों का उनके पाठकों को बेसब्री से इंतजार रहता है। उनके पाठकों के लिए यह अच्छी खबर है कि उनके उनके नवीनतम उपन्यास की घोषणा हो चुकी है। यह घोषणा उनके और उनके प्रकाशक साहित्य विमर्श प्रकाशन (Sahitya Vimarsh Prakshan) के पृष्ठ से हाल फिलहाल में की गई। 

घोषणा के मुताबिक लेखक सुसुरेंद्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) का नया उपन्यास ‘दुबई गैंग’ जनवरी में प्रकाशित किया जाएगा। यह उपन्यास साहित्य विमर्श प्रकाशन (Sahitya Vimarsh Prakshan) द्वारा प्रकाशित किया जायेगा।  

दुबई गैंग की स्क्रिप्ट के साथ लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक, स्रोत: साहित्य विमर्श प्रकाशन का फेसबुक पृष्ठ

दुबई गैंग सुरेंद्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) की जीत सिंह शृंखला (Jeet Singh Series) का उपन्यास है। यह जीत सिंह का बारहवाँ उपन्यास होगा। इससे पहले लेखक जीत सिंह को लेकर हीरा फेरी लिख चुके हैं जो कि पाठको के बीच काफी प्रसिद्ध हुआ था।

बताते चलें कि सुरेंद्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak)  का किरदार जीत सिंह एक ताला चाबी बनाने वाला मैकेनिक था जो कि अपने हुनर के चलते और अपनी प्रेमिका को दिए वादे को पूरा करने के लिए जुर्म की राह पर निकल पड़ा था। पर अब वो  अपराध की ज़िंदगी छोड़ शराफ़ की ज़िंदगी बिताना तो चाहता है लेकिन किस्मत उसके साथ ऐसे खेल खेलती है कि उसे अपनी जान बचाने के लिए अपराध करना ही पड़ता है। उसकी इन्हीं दुश्वारियों को इस शृंखला के उपन्यास में दर्शाया जाता है। अपने पिछले उपन्यास में उसकी टैक्सी में कुछ हीरे छूट गए थे  जिसके चक्कर में उसके पीछे डॉन के आदमी पड़ गए थे और उसकी जान के लाले हो गए थे। अब अपने नए उपन्यास में कौन सी मुसीबत उसके सिर आती है और वो किस तरह इससे बचकर निकलता है यह देखना रोचक होगा।

यह भी पढ़ें: सुरेंद्र मोहन पाठक के उपन्यास ‘हीरा फेरी’ की समीक्षा

बताते चले इससे पहले लेखक  सुरेंद्र मोहन पाठक का उपन्यास पाँच दिन मई में आया था। यह उपन्यास हिंद युग्म प्रकाशन से आया था जो कि लेखक ने उनके प्राइवेट डिटेक्टिव किरदार सुधीर कोहली को लेकर लिखा गया था।

वहीं इसी साल की शुरुआत में उनका उपन्यास झूठी औरत साहित्य विमर्श प्रकाशन (Sahitya Vimarsh Prakshan)  से पुनः प्रकाशित हुआ था  जिसे उन्होंने फिर से नये सिरे से लिखा था। 


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