शंखनाद – राजभारती

रेटिंग : 2.5/5
उपन्यास 8 अप्रैल,2017 से 16,अप्रैल 2017 के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 239
प्रकाशक : धीरज पॉकेट बुक्स
श्रृंखला : अग्निपुत्र #64

पहला वाक्य :
“तो फिर प्रतिष्ठित मेहमानों! आप पहले क्या पसंद करेंगे?” अग्निपुत्र ने मुसकुराते हुए कहा

सालों से अग्निपुत्र इस धरती पर विचर रहा था। अनेक नामों से वो जाना गया। जब प्रोफेसर दयाल और उनकी बेटियाँ बाला और कविता एक एक्सीडेंट में अग्निपुत्र द्वारा बचाकर अपनी गुफा में लाये गये तो अग्निपुत्र ने उन्हें अपनी कहानी सुनाने की सोची। इस उपन्यास में वो अपनी दास्तान को जारी रख रहा है।
इस दास्ताँ में अग्निपुत्र एकास के नाम से जाना जाता है। वो यूनान के एक द्वीप में एक गुलाम की हैसियत में जी रहा था। जब उसके मालिक ऐल्फैडस को उसके अपनी बेटी  गुलशार के साथ रिश्ते के विषय में पता चला तो पहले तो उसने एकास को मारने की कई योजनायें बनाई। लेकिन जब वो उनमे कामयाब न हो सका तो उसने एकास को  निकल जाने के लिए कहा। 
एकास को पता था कि अगर वो मना करता तो ऐल्फैडस को पॉलीगास से निकाल देते। इसलिए उसने जाना ही बेहतर समझा। 
और वो निकल पड़ा नये सफर पे। इस सफर में उसे मिली शाकनिया, उसे मिली लैयशा और प्राप्त हुए कई रोमांचक अनुभव।
कौन थी ये शाकनिया? कौन थी लैयशा ? और कैसे थे ये अनुभव?

अग्निपुत्र श्रृंखला का यह दूसरा उपन्यास था जिसे मैंने पढ़ा था। इसको पढ़ने का अनुभव पिछले वाले (रक्तपिपासू) से अच्छा था। उपन्यास की शुरुआत जब गुलाम बने एकास से होती है तो मुझे लग गया था कि इस जमाने की कहानी को मैं पसन्द करूँगा। उपन्यास में शाही षड्यंत्र हैं, समुद्री लुटेरे हैं, धोखेबाजी है, बदला है यानी उपन्यास को रोमांचक बनाने का हर एक तत्व है।
उपन्यास के कथानक में तेजी का आभाव है लेकिन चूँकि थोड़ी थोड़ी देर में रोमांचक घटनायें होती हैं तो ये धीमापन इतना अधिक प्रभावित नहीं करता है।
बाकी उपन्यास में अग्निपुत्र दो नामों से जाना जाता है: एकास और सारोम। इसमें हमेशा सत्ता से दूर रहने वाला अग्निपुत्र एक बस्ती भी बसाता है।

अग्निपुत्र एक किरदार के रूप में मुझे पसन्द है। एक व्यक्ति जिसका बदन सुनहरे रंग का है। जो कभी बूढ़ा नहीं होता। जिसके शरीर को कोई भी हथियार नुक्सान नहीं पहुँचा सकता।  एक ऐसा किरदार अग्नि में जलकर जिसके अंदर ताकत का संचार होता है और पानी जिसे आराम देता है। ऐसे किरदार अगर लेखक को मिले तो वो 
अपनी कल्पना के घोड़े अनगिनत मार्गों में दौड़ा सकता है। इस किरदार की कहानी कभी खत्म नहीं होंगी। और किसी भी दिशा में जा सकती हैं।

अग्निपुत्र के चरित्र ने भी मुझे प्रभावित किया। उसके मन में द्वेष नहीं था। और वो सबको आसानी से माफ़ कर देता था। इसी उपन्यास में उसे कितने लोग मारने की कोशिश करते हैं, उसे धोखा देते हैं लेकिन वो उनके प्रति किसी भी प्रकार का बैर भाव नहीं रखता है। हाँ, जिन लोगों को वो चाहता है अगर उन्हें नुक्सान पहुंचे तो वो नुक्सान पहुँचाने वाले कि इहलीला समाप्त करने में भी गुरेज नहीं करता है। 

 उपन्यास में मौजूद किरदारों के नाम उस वक्त में यूनान में मौजूद लोगों के नामों के सामान है या नहीं ये नहीं कह सकता। उस वक्त का वर्णन भी कितना सटीक है ये भी मैं नहीं कह सकता। इसमें आपको लेखक के ऊपर भरोसा करना पड़ता है। फिर ये एक गल्प है कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं।


मुख्य किरदार :
अग्निपुत्र : एक रहस्यमयी जीव। जो दिखता तो इन्सानों जैसा है लेकिन उसमे कई शक्तियाँ हैं। 
प्रोफेसर दयाल: एक दुर्घटना से अग्निपुत्र ने इन्हें बचाया था और अब उन्हें अपनी दास्ताँ सुना रहा है 
कविता : दयाल की बेटी 
बाला : दयाल की दूसरी बेटी 
ऐल्फैडस: पालीगॉस में अग्निपुत्र इसके गुलाम के रूप में रहता था
गुलशार: एलफैडस की एक लौती बेटी जो अग्निपुत्र से मोहब्बत करने लगी थी 
अल्फोज़: एक गुलाम बेचने वाला सौदागर 
लैयशा: अजबेला की राजकुमारी 
शाकानिया: अजबेला की रानी जिसने एकास (अग्निपुत्र) को ऊँचे दामों में खरीदा था 
तायशा: लैयशा की गुरु जिसने उसे सितारों से भविष्य जानने का इल्म सिखाया  था 
बोकाम: एक समुद्री लुटेरा 
जालोत: एकास (अग्निपुत्र) का दोस्त जिसे वो अल्फोज़ के पास मिला था 
कन्गाना: शाकानिया के जहाज में मौजूद एक योद्धा जो अपने खूंखार व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था 
अरफास: एक गुलाम बेचने वाला व्यापारी जिसके गिरफ्त में एकास फंस जाता है। 

किरदार तो और भी हैं लेकिन अभी मुझे इतने ही याद हैं।

अंत में इतना ही कहूँगा कि उपन्यास अच्छा बन पड़ा है और एक बार तो पढ़ा जा सकता है। 


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “शंखनाद – राजभारती”

    1. बिपुल जी, वैसे तो राजभारती के ज्यादातर उपन्यास मैंने रेलवे स्टेशन में मौजूद एएच व्हीलर के स्टाल से खरीदे हैं। मैं अक्सर उधर से ही ख़रीदता हूँ।

      ई बुक के रूम में उपन्यास डेली हंट नाम एप्प पर उपलब्ध हैं।
      https://m.dailyhunt.in/Ebooks/hindi/pret-jal-book-121232

      अगर आपके पास एंड्राइड फोन है तो आप इसमें जाकर किताब खरीदकर फोन में पढ़ सकते हैं। इसके अलावा शायद रवि पॉकेट बुक्स भी राज भारती के उपन्यास प्रकाशित करते हैं। आप इसकी जानकरी उनके पृष्ठ पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
      उनका फेसबुक पेज ये रहा:

      https://www.facebook.com/ravipocketbooks/

      वो पेटीएम से पैसे लेकर भी उपन्यास भेज देते हैं।

      उम्मीद है ये जानकरी आपके काम आएगी।

      ब्लॉग पर आने का शुक्रिया।

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