जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान 2024 की हुई घोषणा

जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान 2024

जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान 2024 की घोषणा की जा चुकी है। जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान 2024 लेखक मिथलेश प्रियदर्शी को उनकी पुस्तक ‘लोहे का बक्सा और बंदूक‘ के लिए प्रदान किया गया है।

लोहे का बक्सा और बन्दूक - मिथलेश प्रियदर्शी

यह घोषणा शनिवार 26 जुलाई 2025 को लेखक शशिभूषण द्विवेदी की जयंती के अवसर पर फेसबुक लाइव के दौरान की गयी। यह फेसबुक लाइव लेखक और इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय की फेसबुक वॉल पर किया गया था। फेसबुक लाइव में अशोक कुमार पांडेय के साथ चयन समिति के सदस्य आशुतोष भारद्वाज, गिरिराज किराडू मौजूद थे। लाइव में समिति के सदस्यों ने पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर बात की।

पुस्तक के विषय में चयन समिति द्वारा अपने साझा व्यक्तव्य में कहा गया है:

मिथिलेश प्रियदर्शी की कहानियाँ जीवन और यथार्थ को व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनैतिक सच्चाइयों में विभक्त नहीं करती। ख़ुद कहानियों के भीतर भी इन सच्चाइयों के लिए अलग अलग प्रसंग और शैलियाँ नहीं हैं। हर विवरण और हर वाक्य में तीनों सच्चाइयाँ एक साथ उपस्थित होती रहती हैं। मिथिलेश के कहानी संग्रह ‘लोहे का बक्सा और बन्दूक’ की प्रत्येक कहानी हर पल एक साथ मौजूद इन सच्चाइयों के परस्पर तनाव और मेल को हर बार एक अलग सामाजिक परिवेश में घटित करते हुए अपना ख़ास शिल्प पाती है।

इन कहानियों की मुख्य विषयवस्तु हिंसा है। राज्य की हिंसा, राज्य द्वारा प्रायोजित हिंसा, क्रांतिकारी हिंसा, विचारधारात्मक हिंसा, सामाजिक हिंसा, व्यक्तिगत हिंसा और अंतर्वैयक्तिक हिंसा के कई संस्करण इन कहानियों में हत्या और अपराध की गहरी, आस्तित्विक छानबीन की प्रक्रिया में आते हैं। हिंसा के स्रोतों – राज्य, विचारधारा, और धर्म को करीब से प्रश्नांकित करती यह कहानियाँ कहती हैं कि शांति और प्रेम का सहज, सामान्य जीवन जी पाना भी बिना योजना और रणनीति बनाये असंभव हो गया है। संग्रह की एक कहानी के रूपक में कहें तो हिंसा और प्रेम एक ही पहाड़ के इस तरफ़ और उस तरफ़ रहते हैं और दोनों का नाम जोवाकिम लिंडा है। ‘

कौन हैं मिथलेश प्रियदर्शी

मिथलेश प्रियदर्शी

मिथिलेश प्रियदर्शी का जन्म 16 दिसम्बर, 1985 को झारखंड के चतरा जिले में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा चतरा में ही सम्प्पन हुई। आगे की पढ़ाई पटना, वर्धा से होते हुए जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में मीडिया में पी-एच.डी. के साथ ख़त्म हुई। कुछ समय के लिए बिलासपुर सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में मीडिया और सिनेमा का अध्यापन। कहानी लेखन की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई और पहली कहानी ‘लोहे का बक्सा और बन्दूक़’ को वागर्थ-2007 का ‘नवलेखन पुरस्कार’ प्राप्त। तब से विभिन्न पत्रिकाओं में कहानी लेखन जारी। उड़िया, बांग्ला, पंजाबी के अलावा कमोबेश सभी कहानियाँ मराठी में अनूदित। फिलहाल मुम्बई में रहकर मराठी फ़िल्म लेखन में सक्रिय। (स्रोत: अमेज़न)

बताते चलें जानकीपुल शशि भूषण पुरस्कार के लिए चयन समिति द्वारा पहले बारह पुस्तकों की लॉन्ग लिस्ट और फिर छह पुस्तकों की शार्ट लिस्ट जारी की गयी थी। इन छह पुस्तकों में से विजेता को चुना गया। शार्ट लिस्ट में जगह बनाने वाली अन्य पुस्तकें निम्न हैं:

  1. आवाज़ें काँपती रहीं – अनघ शर्मा
  2. दरिया बंदर कोट – उपासना
  3. ठहरे हुए से लोग – प्रकृति करगेती
  4. वनिका – लवली गोस्वामी
  5. सलाम बॉम्बे वाह्या वर्सोवा डोंगरी – सारंग उपाध्याय

जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान

वर्ष 2023 में शुरू हुआ जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान जानकीपुल वेबसाइट की पहल है जिसके माध्यम से वह कथाकार शशिभूषण द्विवेदी के लेखन को पाठकों के बीच सजीव बनाये रखना चाहते हैं। जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान के माध्यम से हर वर्ष एक रचना (कहानी संग्रह या उपन्यास ) को लेखक शशिभूषण द्विवेदी की जयंती पर पुरस्कृत किया जाता है।

ज्ञात हो वर्ष 2023 का जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान लेखिका दिव्या विजय को उनके कहानी संग्रह सगबग मन को दिया गया था।


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