संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 90 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स
टीम
कथा एवं चित्र: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विट्ठल कांबले एवं विनोद कुमार | सुलेख व रंग: सुनील पाण्डेय
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
हिटलर एक बार फिर धरती पर लौट आया था। उसकी आत्मा ने एक किशोर के शरीर पर आधिपत्य जमा लिया था और अब वह अपने अधूरे छूटे काम को पूरा कर देना चाहता था।
धरती और मनुष्यों पर राज करना चाहता था, वो तानाशाह।
और उसके समक्ष खड़े थे नागराज और ध्रुव।
क्या बचा पाए वो पृथ्वी को इस तानाशाह से?
हिटलर की आत्मा ने किस युवा पर कब्जा जमाया था? वह आखिरकार कैसे धरती पर लौट पाया?
नागराज और ध्रुव कैसे इस मामले से जुड़े?
किरदार
बेहाथ – एरिया कमांडर
शमशीर – एक आईएस आई का अफसर
मसूद – आतंकवादी
जिओटो – एक ओझा जो मर चुका था
वीटो – जिओटो का शिष्य और दामाद
मारिया – जिओटो की बेटी और वीटो की पत्नी
जीवो – मारिया और वीटो का बेटा
मेरे विचार
‘तानाशाह’ राज कॉमिक्स (Raj Comics) द्वारा प्रकाशित नागराज (Nagaraj) और ध्रुव (Super Commando Dhruva) का एक टू इन वन विशेषांक है। 90 पृष्ठों में फैली इस गाथा में राज कॉमिक्स के पसंदीदा सुपर हीरोज नागराज (Nagraj) और ध्रुव (Dhruv) आतंकवादियों और पारलौकिक शक्तियों से दो दो हाथ करते दिखाई देते हैं।
1998 में प्रकाशित यह कॉमिक नागराज के टू इन वन विशेषांकों की सीरीज का चौथा कॉमिक्स था। इससे पूर्व इस शृंखला में ‘राजनगर की तबाही’, ‘प्रलय’ और ‘विनाश’ प्रकाशित हो चुके थे। वहीं ‘तानाशाह’ के बाद ‘सूरमा’ प्रकाशित हुआ था जो कि मैंने कुछ दिन पूर्व ही पढ़ा था।
कहानी की बात करें तो अनुपम सिन्हा (Anupam Sinha) की लिखी यह कहानी एक्शन से भरपूर है। कहानी की शुरुआत महानगर में मौजूद एक न्यूक्लियर पावर प्लांट में हो रही चोरी से होती है जिसके तार राजनगर से जुड़े होते हैं। जाहिर है महानगर में हो रही इस चोरी को रोकने नागराज आता है और फिर चोरों के पीछे राजनगर पहुँचता है। वहीं राजनगर में कुछ ऐसा हो जाता है कि ध्रुव भी इस योजना में शामिल लोगो से टकरा जाता है। इस तरह इस मामले से नागराज और ध्रुव दोनों जुड़ जाते हैं। फिर राजनगर में कुछ ऐसा होता है कि हमारे सुपर हीरोज के प्रतिद्वंदी नागराज के अलावा हिटलर की आत्मा भी बन जाती है।
हिटलर की आत्मा कैसे कहानी में आती है? महानगर की चोरी और राजनगर में योजना बनाते लोगों का मकसद क्या है? हमारे हीरोज इनसे कैसे भिड़ते हैं और इस दौरान किन किन परेशानियों से जूझते हैं? वह कैसे अपने ऊपर आई मुसीबतों से पार पाते हैं? यही सब कॉमिक बुक की कहानी बनती है।
कॉमिक की कहानी एक्शन से भरपूर है और यह एक्शन शुरुआत से लेकर अंत तक बना रहता है। ध्रुव और नागराज यहाँ एक टीम की तरह काम करते दिखते हैं। जहाँ ध्रुव फँसता दिखता है वहाँ नागराज उसकी मदद करता है। जहाँ नागराज और अन्य फँसते दिखते हैं वहाँ ध्रुव उन्हें रास्ता सुझाता है। इनके साथ साथ चंडिका, ब्लैक कैट, ओझा गिओटो भी कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह भी हमारे हीरोज की मदद करते और जान बचाते दिखते हैं।
कहानी में एक और चीज देखने को मिलती है। जहाँ मुसीबत के वक्त ध्रुव का दिमाग बुलेट ट्रेन की रफ्तार से दौड़ने लगता है वहीं नागराज का दिमाग कुंद हो जाता है। नागराज कॉमिक्स में एक प्रसंग में कहता भी है कि:
…ओह! मैं समझ गया। यह बात तो मुझे पहले ही समझ जानी चाहिए थी, ब्लैक कैट! लेकिन परेशानी में शायद मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था।
खलनायकों की बात करूँ तो कहानी का मुख्य खलनायक हिटलर की आत्मा है जो कि हमारे हीरोज को नाकों चने चबाने की कूवत रखता है। कहा जाता है कि हमें अपने दुश्मनों को कम करके नहीं आँकना चाहिए। अक्सर बड़े बड़े खलनायक ये काम कर जाते हैं और फिर मुँह की खाते हैं और इधर भी ऐसा ही होता दिखता है।
हिटलर की आत्मा के अतिरिक्त बेहाथ और प्यूमा का किरदार रोचक गढ़ा गया है।
कहानी में एक्शन तो है ही साथ ही कई ट्विस्ट भी आते हैं लेकिन चूँकि यह कहानी 1998 में लिखी गई थी और तब से लेकर आज तक ऐसे ट्विस्ट हम कई बार देख चुके हैं तो वो इतना अधिक प्रभावित तो नहीं कर पाते हैं। लेकिन फिर भी मनोरंजन करने में वो सफल होते ही हैं।
हाँ, कहानी में कंजा खान की एंट्री बेहतर हो सकती थी। जिस तरह से उसे काम करते दर्शाया जाता है उससे यह बात साफ हो जाती है कि वह असल में कौन है। अगर उसके काम करने के तरीके में शारीरिक बल कम और दिमाग ज्यादा चलता दिखता तो कहानी में अच्छा ट्विस्ट बन सकता था।
आर्ट वर्क की बात की जाए तो आर्टवर्क अनुपम जी का है जो कि अच्छा है। आर्टवर्क ऐसा नहीं है कि आप पढ़ते हुए ठहरकर उसे निहारे लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आपको उन्हें देखकर नाक भौं सिकोड़नी पड़े। आर्ट वर्क कहानी के साथ न्याय करता है।
अंत में यही कहूँगा कि तानाशाह एक पठनीय एक्शन से भरपूर कॉमिक बुक है जो आपका पूरा मनोरंजन करने में सफल होती है। अगर नहीं पढ़ी है तो एक बार पढ़कर देख सकते हैं।
पुस्तक लिंक: अमेज़न