सुनहरी मृग

कॉमिक बुक 22 नवम्बर 2020 को पढ़ी गयी 

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट:
पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | लेखक: तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: बेदी | श्रृंखला: बाँकेलाल 

review सुनहरी मृग



कहानी:
शक्ति नगर का बच्चा बच्चा आजकल उदास था। और हो भी क्यों न? शक्तिनगर के महाराज शक्तिसिंह एक खतरनाक रोग से ग्रसित जो हो गये थे। उनका रोग तभी ठीक हो सकता था जब कि पंगाघाटी में रहने वाले  सुनहरी मृग के भीतर मौजूद कस्तूरी उन्हें खिलायी जाए। 

लेकिन यह सब करना उतना आसान नहीं था। पंगाघाटी जो भी आजतक गया था वह कभी लौट कर नहीं आया था। ऐसे में अब बाँकेलाल ने पंगाघाटी जाने का मन बना लिया था। उसने एक ऐसी योजना बनाई थी जिसके अंतर्गत उसे सुनहरी मृग लाना ही लाना था।

आखिर पंगाघाटी में जाने वाला मनुष्य लौट कर क्यों नहीं आता था?
ऐसा क्या हुआ कि बाँकेलाल ने पंगाघाटी जाने का मन बना लिया?
क्या बाँकेलाल अपनी योजना में सफल हो पाया?

वहीं दूसरे और शक्तिनगर के आस पास के राज्यों में आजकल डाकू भयंकर सिंह का आतंक अपने चरम पर था। ऐसा कहा जाता था कि डाकू भयंकर सिंह के पास ऐसा विचित्र हथियार था जो कि आग उगलता था। अब डाकू भयंकर सिंह ने शक्तिनगर को लूटने का निर्णय ले लिया था।

आखिर कौन था यह डाकू भयंकर सिंह?
उसके पास वह विचित्र हथियार कहाँ से आया था?
क्या लोगों को उसके कहर से निजाद मिल पाई? क्या डाकू भयंकर सिंह शक्तिनगर को लूट पाया?

 विचार:
सुनहरी मृग बाँकेलाल डाइजेस्ट 11 में मौजूद तीसरा कॉमिक बुक है। कंकड़ बाबा के श्राप से मुक्त होकर बाँकेलाल और विक्रमसिंह विशालगढ़ की तलाश में भटक रहे हैं और इस दौरान वो कई मुसीबतों से जूझ रहे हैं। इसी श्रृंखला के अंतर्गत यह कॉमिक बुक भी आता है। 

सुनहरी मृग के कथानक की बात करूँ तो इसमें दो कहानियाँ एक साथ चलती हैं। एक तरफ तो डाकू भयंकरसिंह की कहानी है और दूसरी तरफ पंगाघाटी की कहानी है। दोनों की ही कहानी वैसे तो जुदा जुदा लगती है लेकिन चूँकि यह बाँकेलाल कॉमिक है तो पाठक के रूप में इतना अंदाजा तो लगता ही है कि यह दोनों कहानियाँ आखिर में मिलेंगी और सब सुलट जायेगा। ऐसा होता भी है। 

डाकू भयंकर सिंह का किरदार मुझे पसंद आया। मुझे लगता है कि कहानी के इस पहलू को और विस्तार देना चाहिए था। अभी चूँकि बांकेलाल पंगाघाटी जाता है उधर उसके साथ क्या होता है इसी पहलू पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। डाकू भयंकर सिंह शुरुआत और आखिर में ही मुख्य कहानी का हिस्सा बनता है। मुझे लगता है बाँकेलाल  और उसका टकराव बीच में भी होता तो ज्यादा मजा आता। वहीं डाकू भयंकर सिंह के पास इस कॉमिक में एक चमत्कारी ताकत रहती है। यह ताकत उसके पास कैसे आई और वह कैसे वह सब कर पाया जो वह इस कॉमिक में करता दिखता है इसके ऊपर थोड़ा विस्तार से प्रकाश डाला जाता तो बेहतर रहता। अभी तो केवल ये बताया गया है कि वह ये कर सकता है या उसकी शक्ति का स्रोत फलानी चीज है। 

मुझे तो लगता है कि डाकू भयंकर सिंह को लेकर एक बत्तीस पृष्ठ की कॉमिक बुक रची जा सकती है। जिसमें उसके बाँकेलाल के काल में आने से पूर्व की कहानी लिखी हो। वह कॉमिक बुक पढ़ना बड़ा रोचक होगा।

कॉमिक पर वापस आये तो सुनहरी मृग का मुख्य कथानक बाँकेलाल का पंगाघाटी जाना ही है। वहाँ क्या क्या होता है यह देखना रोचक रहता है। बाँकेलाल की कर बुरा हो भला वाला श्राप यहाँ तीन लोगों : पंगासुर, राजा शक्ति सिंह और राजा विक्रम सिंह पर असर करता दिखता है। यह सब कैसे होता है यह तो आप कॉमिक पढ़कर ही जान पाएंगे। हाँ, इधर यह जरूर कहना चाहूँगा कि  कॉमिक बुक का अंत बेहतर हो सकता था। डाकू भयंकर सिंह और बाँकेलाल का टकराव दिखाया जाता तो बेहतर होता। अभी बिना किसी  टकराव के ही सारी जटिलताएं खत्म हो जाती हैं। यहाँ पर थोड़ा खतरनाक टकराव दिखलाया जाता तो अंत बेहतर हो सकता था।

अंत में यही कहूँगा कि कॉमिक बुक रोचक है और आपका मनोरंजन करता है। इसके अंत पर थोड़ा और काम किया जाता तो यह और बेहतर हो सकता था। अभी लगता है जल्दबाजी में निपटाया गया हो।  कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है।

रेटिंग: 2.5/5 

बाँकेलाल की अन्य  कॉमिक बुक्स के प्रति मेरी राय:
बाँकेलाल

© विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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