पुस्तक समीक्षा: रोचकता और नवीनता का समावेश करती है पुस्तक ‘माया का रहस्यमयी टीला’

पुस्तक टिप्पणी: माया का रहस्यमयी टीला - डॉ. शील कौशिक | सुमन बाजपेयी

‘माया का रहस्यमयी टीला’ डॉ शील कौशिक द्वारा लिखी पुस्तक है। पुस्तक फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी है। पढ़ें पुस्तक पर लेखिका सुमन बाजपेयी की लिखी टिप्पणी।


संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पेज काउंट: 46 | प्रकाशक: फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन | चित्रांकन: पलव चहांदे

पुस्तक लिंक: अमेज़न

कहानी

भवानी जंगल में एक रेतीला टीला था। इस पर लाल रंग की चीटियों का कब्जा था। सुना था ये चींटियाँ अंतरिक्ष के किसी अन्य ग्रह ‘टाइटन-टैनो’ से यहाँ आकर बस गयी थीं। इनका मंतव्य धरती पर भी एकछत्र राज स्थापित करने का था। इसी टीले के सामने एक अन्य डोम के आकार का टीला था जो काले रंग की चींटियों का घर था।

लाल चींटियों की रानी माया एक दुष्ट रानी थी। जबकि काली चींटियों की झिलमिल रानी सहृदय और प्रजापालक थी। माया चींटी के पास जादुई शक्तियाँ थी इसलिए वह अक्सर काली चींटियों से युद्ध करती रहती थी।

आखिर माया का स्वभाव कैसे बदला?

एलियन चींटियाँ कहाँ से आयीं थीं?

उनका रुप कैसे बदला?

टिप्पणी

बाल साहित्य के नाम पर इस समय लगातार पुस्तकें छप तो रही हैं, पर उन्हें देखकर यही महसूस होता है कि हम बच्चों को क्या दे रहे हैं। इस तरह का साहित्य क्या बच्चों को देना उचित है?

कथावस्तु, कथानक के अतिरिक्त, चित्र, उत्पादन व प्रकाशन किसी भी गुणवत्ता पर ध्यान दिए बिना बस पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं। बच्चों की किताबों में जितना ध्यान कथानक पर देना जरूरी होता है, उतना ही पुस्तक के आवरण, चित्र व प्रस्तुति पर देना भी आवश्यक होता है। ‘बस छपना है’ के ख्याल से कैसे भी करके पुस्तक छपवाने की दौड़ में एक ऐसी पुस्तक पढ़ने का अवसर मिला जो ऊपर वर्णित तमाम तमाम पैमानों पर खरी उतरती है। एक ही बार में इस पुस्तक को खत्म किए बिना नहीं रहा जा सकता।

हाल ही में ख्यातिप्राप्त लेखिका और विविध विधाओं में अपनी कलम चलाने वाली साहित्यकार डॉ. शील कौशिक की पुस्तक आयी है ‘माया का रहस्यमयी टीला’।‌ यह एक लघु उपन्यास है और इसमें मनोरंजन, रोचकता व नवीनता तीनों तत्वों का समावेश है।

भवानी जंगल के एक रेतीले टीले के अंदर लाल रंग की चीटियों ने रहस्यमयी सुरंग खोदकर घर बनाए हुए थे और पुस्तक इन्हीं लाल चीटियों की दुनिया की कहानी पर आधारित है। इनकी काली चीटियों के साथ हमेशा युद्ध की स्थिति बनी रहती है। लाल चीटियों की रानी माया के पास जादुई शक्तियाँ थीं। उनकी वजह से वह मनमानी किया करती थी। कहा जाता था कि ये चींटियाँ अंतरिक्ष के किसी अन्य ग्रह ‘टाइटन टैनो’ से आकर यहाँ बस गयी थीं। इन सुरंगों के भीतर अनेक रहस्य छिपे थे। एलियन चींटियाँ भी इनके सम्पर्क में आती हैं।‌

पुस्तक की कहानी के बारे में विस्तार से लिखने का अर्थ होता है पुस्तक पढ़ने का मजा खराब करना, इसलिए इतना ही कहूँगी कि बाल पाठकों को यह पुस्तक अवश्य पसंद आएगी क्योंकि आगे क्या होगा यह कौतूहल बाँधे रखता है। अंत तक कहानी में एक प्रवाह बना रहता है। चीटियों के बारे में भी अदभुत जानकारी भी इसमें निहित है।

कहानी की चित्रात्मकता, संवाद और पात्रों के नाम तक लुभाते हैं। परी, पहाड़ी, अंतरिक्ष, एक ब्यूटीशियन चींटी, एक जासूस चींटी, अद्भुत परिवेश और चित्रण मनमोहक हैं। पलव चहांदे के चित्र खूबसूरत हैं और कहानी को जीवंतता प्रदान करते हैं।

बस पढ़ते हूए ऐसा लगता है कि अध्यायों को थोड़ा और विस्तार दिया जा सकता था। सम्पादकीय त्रुटियों को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह बाल लघु उपन्यास बच्चों के लिए छप रहीं पुस्तकों के बीच अपनी गुणवत्ता की वजह से एक पहचान बनाने में सफल होगा।

पुस्तक लिंक: अमेज़न


टिप्पणीकार परिचय
सुमन बाजपेयी
सुमन बाजपेयी

सुमन बाजपेयी पिछले तीन दशकों से ऊपर से साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। ‘सखी’ (दैनिक जागरण की पत्रिका ), मेरी संगिनी और 4th D वुमन में वो असोशीएट एडिटर रह चुकी हैं। चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट में उन्होंने सम्पादक के रूप में कार्य किया है। सम्पादक के रूप में उन्होंने कई प्रकाशकों के साथ कार्य किया है। अब स्वतंत्र लेखन और पत्रकारिता कर रही हैं।

कहानियाँ, उपन्यास, यात्रा वृत्तांत वह लिखती हैं। उनके बाल उपन्यास और बाल कथाएँ कई बार पुरस्कृत हुई हैं।

वह अनुवाद भी करती हैं। सुमन बाजपेयी अब तक 150 से ऊपर पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर चुकी हैं।

हाल ही में प्रकाशित उनके उपन्यास ‘द नागा स्टोरी ‘ और ‘श्मशानवासी अघोरी‘ पाठकों के बीच में खासे चर्चित रहे हैं।

उनके बाल उपन्यास तारा की अनोखी यात्रा, क्रिस्टल साम्राज्य, मंदिर का रहस्य बाल पाठकों द्वारा पसंद किये गए हैं।


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