संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: मनोज कॉमिक्स | शृंखला: हवलदार बहादुर
टीम
कहानी: विनय प्रभाकर | चित्रांकन: बेदी
कहानी
हवलदार बहादुर को अपने घर से भागना पड़ा था।
वह पहले ही शंगालू के कारण परेशान था और अब उसके पीछे रूपनगर की पुलिस और अमेरिका का कुख्यात अपराधी गंजा किंग कांग पड़ गए थे।
ऐसे में हवलदार बहादुर को उसके याड़ी जिन्न ने भागकर रूपनगर के जंगलों में जाने का विचार दिया तो वो उसे जम गया।
आखिर ये शंगालू कौन था?
हवलदार बहादुर के पीछे रूपनगर की पुलिस क्यों पड़ी थी?
अमेरिका के कुख्यात अपराधी गंजे किंगकांग को हवलदार बहादुर से क्या चाहिए था?
क्या हवलदार बहादुर अपनी मुसीबत से निजाद पा पाया?
विचार
‘हवलदार बहादुर और गंजा किंगकांग’ मनोज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित हवलदार बहादुर का एक विशेषांक है। कॉमिक बुक की कहानी विनय प्रभाकर द्वारा लिखी गई और इसका चित्रांकन बेदी जी द्वारा किया गया है।
प्रस्तुत कॉमिक बुक का शीर्षक भले ही ‘हवलदार बहादुर और गंजा किंगकांग’ है लेकिन इसके कथानक रूपी पहिये को एक अपहरण द्वारा गति मिलती है। होता ये है कि धरती से तीन लोगों का अपहरण किया जाता है और फिर उन्हें छोड़कर एक ऐसी घोषणा कर दी जाती है कि उनके पीछे उनके देशों की पुलिस और अपराधी पड़ जाते हैं। इन तीन लोगों में हवलदार बहादुर भी शामिल होते हैं और फिर परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं कि इन तीनों में से केवल हवलदार बहादुर ही बचे होते हैं और इनके पीछे रूपनगर की पुलिस के साथ साथ कुख्यात अपराधी गंजा किंगकांग भी पड़ जाता है।
हवलदार बहादुर का अपहरण कौन करता है? बाकी दोनों लोगों का क्या होता है? हवलदार बहादुर इस बिना बताई मुसीबत से कैसे अपनी गर्दन निकालते हैं और इस दौरान उनके साथ क्या क्या होता है? यही वह प्रश्न हैं जिनके उत्तर ये कॉमिक बुक देती है।
चूँकि हवलदार बहादुर का कॉमिक है तो चीजें इधर अतरंगी ही होती है लेकिन किरदारों की हरकतें हास्य पैदा करती हैं। हवलदार का याड़ी जिन्न जब तब हँसाता है। जिस तरह से हवलदार के साथ वो पेश आता है उससे मज़ा आता है। खड़गसिंह और कमिश्नर का वार्तालाप भी हँसाता है और पुलिस वालों की हरकतें भी हास्य पैदा करती हैं। इसके अलावा किंगकांग का साथी एक जादूगर डोडो भी है। इसके करतब मैनडार्क के बराबर के रहते हैं लेकिन जिस तरह से लोगों का पता लगाने के लिए वो जादुई गेंद का जुगाड़ करता है वो रोचक है। कहानी में भूत बच्चा भी है और हवलदार बहादुर और उसके बीच के संवाद मजेदार हैं।
अगर कहानी में लॉजिक की बात की जाए तो उसकी थोड़ी कमी सी है लेकिन हवलदार बहादुर के कॉमिक बुक्स में वो भला होती ही कहाँ हैं लेकिन फिर भी कुछ बातें ऐसी थीं जिनको लेखक ध्यान में रखता तो बेहतर होता।
जिन देशों के लोगों का अपहरण हुआ उससे तो यह समझा जा सकता है कि विश्व के सुपरपावर देश के लोगों का अपहरण करना अपहरणकर्ता का मकसद था लेकिन जिन तीन लोगों का अपहरण किया गया उन्हें ही विशेषकर क्यों चुना गया? इस बात पर कोई रोशनी नहीं डाली गई है। अगर डाली जाती तो बेहतर होता। इनके अपहरण करने का कोई पुख्ता कारण होता तो बेहतर होता। अभी तो बस ये कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त जब प्रसारण सारे विश्व में था तो केवल एक अपराधी का हवलदार बहादुर के पीछे पड़ना थोड़ा अटपटा लगता है। अगर गंजा किंगकांग के पीछे पड़ने और बाकियों के न पड़ने का कोई ठोस कारण दिया होता तो बेहतर होता।
इस कॉमिक बुक में जो व्यक्ति अपहरण करता है वो अपहरण होने वालों को छोड़ने से पहले उन्हें एक ऐसी चीज देता है जिससे धरती खत्म हो सकती है। उसने यह कान घुमाकर क्यों पकड़ा और खुद ही धरती क्यों नहीं खत्म कर दी? इसका एक कारण एक डायलॉग में दे देते तो बेहतर होता।
कॉमिक बुक के आर्ट की बात करूँ तो यह टिपिकल बेदी जी वाला आर्ट है। मुझे तो पसंद आता है। अगर आपको ऐसा आर्ट पसंद है तो आपको भी पसंद आयेगा।
अंत में यही कह सकता हूँ कि हवलदार बहादुर और गंजा किंगकांग एक बार पढ़ी जा सकती है। हवलदार की हरकतें पढ़ना आपको पसंद आता है तो आपको पढ़ते हुए मज़ा आयेगा। हाँ, दिमाग ज्यादा नहीं लगाएँगे तो बेहतर होगा।