संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 238 | प्रकाशक: धीरज पॉकेट बुक्स | शृंखला: अग्निपुत्र

पहला वाक्य:
आज उस पहाड़ी खोह का माहोल कुछ अजीब था।
कहानी
अग्निपुत्र जुलू कबिले में शांतिपूर्वक जीवन बिता रहा होता है जब कबीले का सबसे सबसे ताकतवर तांत्रिक जकाली उसे एक ऐसे गौरवर्णी रानी नगीना के विषय में बताता है जो उससे भी बड़ी तांत्रिक है और शूरा (अग्निपुत्र को इस कबीले में यही पुकारा जाता है) से मिलना चाहती है। जकाली भी अग्निपुत्र को उस रानी से मिलने के लिए मना लेता है।
फिर शुरू होता है अग्निपुत्र का रानी से मिलने का सफर। पर ये सफर इतना आसान नहीं था।
आखिर कौन थी ये गौरवर्णी रानी? वो क्यों अग्निपुत्र से मिलना चाहती थी? क्या अग्निपुत्र उससे मिल पाया?
टिप्पणी
रक्त पिपासु राजभारती द्वारा कृत अग्निपुत्र शृंखला का तेइसवाँ उपन्यास है। उपन्यास धीरज पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। अगर आप अग्निपुत्र के विषय में नहीं जानते हैं तो बता दूँ कि अग्निपुत्र एक अमर व्यक्ति है जो युगों युगान्तर से धरती में विचरण कर रहा है। अपनी इन यात्राओं में उसने कई हैरतअंगेज अनुभवों को एकत्रित किया हैं जिन्हें वो प्रोफेसर दयाल और प्रोफेसर की बेटियों बाला और कविता के बीच बाँट रहा है। प्रोफेसर दयाल और उनकी बेटियाँ एक हवाई दुर्घटना में बच गए थे। अब अग्निपुत्र ने उन्हें बचाया या खुद बचकर वो अग्निपुत्र से एक गुफा में मिले ये मुझे नहीं पता लेकिन इस शृंखला के उपन्यासों की शुरुआत अग्निपुत्र और बाला और उसकी बेटियों के गुफा में बैठकर अग्निपुत्र से कहानी सुनाने को कहने से होती है। हर उपन्यास में अग्निपुत्र इन्हें अपने एक अनुभव की कहानी सुनाता है। प्रस्तुत उपन्यास में भी ऐसा ही हो रहा है।
रक्त पिपासु में अग्निपुत्र कौर की रानी नागीना से मिलने और उसके साथ बिताये वक़्त की दास्तान बताना शुरू करता है। यहाँ अग्निपुत्र नगीना से मिलने के सफर पर निकला है और इस सफर में जो कुछ होता है वो उपन्यास का कथानक बनता है।
उपन्यास की बात करूँ मुझे यह औसत से भी कम लगा। मैंने जब इस उपन्यास को पढ़ने की शुरुआत करी थी तो विषय वस्तु देखकर मैंने उम्मीद की थी कि इसमें रोमांच होगा, तिलिस्म होगा लेकिन अफ़सोस मुझे नाउम्मीद होना पढ़ा। किरदार के तौर पर अग्निपुत्र एक अच्छा किरदार है जिसके अंदर काफी सम्भावनाएँ हैं लेकिन इधर इनका इस्तेमाल नहीं किया गया है।
पूरे उपन्यास में हम पढ़ते हैं की अग्निपुत्र का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता लेकिन फिर भी वो एक मामूली इंसान के जैसे ही व्यवहार करता दिखता है। कई बार तो केवल उसकी बातें अपने मियाँ मिट्ठू की कहावत को चरित्रार्थ करती हैं। उपन्यास में कुछ एक रोमांचक दृश्य आते हैं लेकिन वो इतने कम समय के लिए होते है कि उन्हें नगण्य ही समझा जायेगा।
उपन्यास पढ़ते समय मुझे एच रायडर हैगार्ड के उपन्यास ‘शी’ की याद आती रही लेकिन ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि दोनों की पृष्ठभूमि अफ्रीका है और दोनों के नायक एक गौरवर्णी जादूगरनी को ढूँढने के सफ़र में निकलते होते हैं।
उपन्यास मुझे तो पसंद नहीं आया और मैं तो इसे किसी भी व्यक्ति को पढ़ने की सलाह नहीं दूँगा। उपन्यास की कहानी अगले भागों में खत्म होती है। अगर वो मुझे मिलते हैं तो मैं उन्हें पढ़ना चाहूँगा ताकि कहानी ख़त्म हो सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुझे कहानी मध्य में छोड़ना पसंद नहीं है (चाहे वो जैसी भी हो)।
खैर, मैं इस उपन्यास के लिए केवल इतना ही लिखना चाहूँगा की अगर इसका सम्पादन होता और इसमें रोमांच का तड़का डाला होता तो यह मौजूदा रूप से काफी अच्छा हो सकता था। अगर आपने उपन्यास को नहीं पढ़ा है तो यकीन मानिये आप कुछ खो भी।
राजभारती का एक बार एक अग्निपुत्र श्रृंखला का उपन्यास पढा था, बेहद बकवास था।
yuvaam.blogspot.com
जी सही कहा। उपन्यास मुझे भी पसन्द नहीं आया। इसी सीरीज का उपन्यास शंखनाद पड़ा हुआ है लेकिन आजतक हिम्मत नहीं हुई है उसे हाथ लगाने की।
हिंदी में एक राजभारती ही हैं जो हॉरर उपन्यास लिखते हैं।कोई और उपन्यासकार जो हॉरर लिखते हैं अगर आपकी जानकारी में हो तो जरूर अवगत करायिगा।
हाॅरर उपन्यास के लिए आप शैलेन्द्र तिवारी के मकङा सीरीज के उपन्यास पढें।
http://www.pdfbookbox.blogspot.in
जी शैलेन्द्र तिवारी का नाम पहली बार सुन रहा हूँ। ढूँढता हूँ। अगर कहीं मिलते हैं तो जरूर पढ़ूँगा। हिंदी में हॉरर उपन्यासकारों की वैसे भी कमी है। आपने एक नया नाम सुझाया। उसके लिए शुक्रिया।
होरर उपन्यास मे परशुराम शर्मा जी की आदमखोर, प्रेत सुंदरी, डांका या फाका पढें, शानदार उपन्यास हैं ये
जी, अगर ये उपन्यास मिले तो जरूर पढूँगा. वैसे सुना है कि सूरज परशुराम जी के पुराने उपन्यास के री प्रिंट निकलवा रहा है. अगर ऐसा होता है तो शायद जल्द ही मुझे इन्हें पढने का मौका मिले. उपन्यास के नाम साझा करने के लिए शुक्रिया. आप अपना नाम भी लिख देते तो बढ़िया होता,दोस्त.
जी विकास भाई मेरा नाम दिनेश कुमार है, निक नेम देव कुमार (दिल्ली)
क्या आप फेसबुक पे हैं ?
जी देव जी, हूँ उधर।
विकास भाई परशुराम शर्माजी के हॉरर सीरीज या अन्य जासूसी सीरीज के उपन्यास कहीं पर भी उपलब्ध नही है। कृपया पता दे तो हम भी आनंद ले उनकी रचनाओं का।
जी मुझे भी इस विषय में कोई आईडिया नहीं है। facebook में परशुराम शर्मा जी सक्रिय रहते हैं। आप उनसे इस विषय में पूछ सकते हैं।
https://www.facebook.com/parshuram.sharma.9041
ये उनकी फेसबुक आई डी है। उम्मीद है इससे आपकी कुछ मदद मिल जाएगी।
मैं राज भारती के अग्निपुत्र सीरीज के मायाजाल से लेकर सभी उपन्यास खरीदना चाहता हूँ।
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सार्वजानिक मंच पर फोन नंबर देना क्या उचित होगा??? मेरा मानना है आप उन्हें राममेहर जी की ईमेल आईडी या फेसबुक लिंक दे दें। उसके माध्यम से संपर्क होगा तो राम मेहर जी की निजता में भी कोई दखलअन्दाजी न होगी। यहाँ पता नहीं किस किस को उनका नंबर मिल सकता है। इस कारण मैं आपके कमेन्ट को डिलीट कर रहा हूँ। कृपया अन्यथा न लीजियेगा।
मैं राजभारती के अग्निपुत्र सीरीज के मायाजाल से लेकर अंतिम सभी उपन्यास खरीदना चाहता हूँ।
सर मेरे पास अग्निपुत्र श्रृंखला के केवल दो ही उपन्यास हैं।एक ये और दूसरी शंखनाद। लेकिन मैं माफ़ी मांगते हुए ये कहना चाहूँगा कि मैं उपन्यास बेचता नहीं हूँ।
सॉरी सर्, मेरा मतलब यह नहीं था। मैं यह सारे उपन्यास खरीदना चाहता हूँ। कृपया इसमे मेरी मदद करने का कष्ट करें आपको यदि मालूम हो कि ये कहाँ से मिल सकते है तो बता दें।
चौरसिया जी,मुझे तो ये उपन्यास दो तीन साल पहले एक रेलवे स्टेशन पे मौजूद ए एच व्हीलर के स्टाल पर मिले थे। अभी भी मैं अक्सर ऐसे स्टाल्स पर चला जाता हूँ तो कुछ उपन्यास मिल जाते हैं। वैसे ये उपन्यास धीरज पॉकेट बुक्स, जो कि मेरठ में है, से आया है। आप उनसे पता कर सकते हैं। ये लिंक जस्ट डायल से मिला है :
https://www.justdial.com/Meerut/Dheeraj-Pocket-Books-Near-Odeon-Cinema/9999PX121-X121-101205151058-F9V5DC_BZDET
आप फोन पर संपर्क करके ज्यादा जानकारी ले सकते हैं। वही आपको सही तरह से गाइड कर पायेंगे।
राज भारती जी के अग्निपुत्र सीरीज के पहले दो उपन्यास मायाजाल और महामाया पढने लायक है
जी अगर मिले तो जरूर पढूँगा। वैसे डेलीहंट में काफी उपन्यास हैं राजभारती जी के तो उधर मिल सकते हैं।
हाॅरर उपन्यास के लिए आप तांत्रिक बहल और शैलेन्द्र तिवारी के उपन्यास पढें।
तांत्रिक बहल के उपन्यास हो सकता है न मिलें पर शैलेन्द्र तिवारी के उपन्यास मिल जायेंगे।