आज का उद्धरण

उदयन वाजपयी | क़यास | हिन्दी कोट्स


प्रेम ही शायद एकमात्र विशुद्ध भावना है इसलिए नहीं कि उसमें दूसरी भावनाएँ होती नहीं। वे होती हैं बल्की बाकी भावनाओं की तुलना में वे यहाँ कुछ ज्यादा ही बड़ी संख्या में होती हैं पर वे सब की सब प्रेम में प्रवेश करते ही अपने रंग को छोड़कर प्रेम के ही रंग में रंग जाती हैं।

उदयन वाजपेयी, कयास

किताब लिंक: पेपरबैक | हार्डकवर


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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4 Comments on “आज का उद्धरण”

  1. प्रेम की महत्ता दर्शाता सुन्दर सन्देश।

  2. उदयन जी की बात यूं तो ठीक लगती है पर यह भावुक व्यक्तियों पर ही लागू होती है । जो दुनियादारी के रंग में अच्छी तरह रंग गया, उस पर प्रेम का रंग चढ़ना ज़रा मुश्किल ही होता है । ऐसे व्यक्ति की प्रेमभरी बातें भी विश्वास करने योग्य नहीं होतीं । आजकल विशुद्ध प्रेम करने वाले बहुत कम होते हैं ।

    1. जी उदयन जी ने प्रेम की ही बात की है। प्रेम भरी झूठी बातें करने वाला तो आडम्बर कर रहा है। उन पर तो यह लागू ही नहीं होती है। आभार।

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