आज का उद्धरण

महाश्वेता देवी कोट्स

शोक से भी बलवान है समय। शोक तट है तो समय सदा प्रवाहित होने वाली गंगा। समय शोक पर बार-बार मिट्टी की परत चढ़ाता जाता है। फिर एक दिन प्रकृति के अमोघ नियमों के अनुसार समय की परतों के नीचे दबे शोक पर अंकुर-सी उँगलियाँ उगती हैं। अंकुर – आशा, दुःख, चिंता और द्वेष के अंकुर!

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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4 Comments on “आज का उद्धरण”

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को   ♦बगिया भरी बबूलों से♦   (चर्चा अंक-3942)   पर भी होगी। 
    — 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    –हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    

    सादर…! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    1. जी चर्चालिंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार…..

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